आयुर्वेद में दोनों ही प्रकार की रत्ती या गुंजा को बालों के लिए हितकारी, बलदायक, और वात, पित्त, ज्वर, मुखशोष, भ्रम, श्वास, अधिक प्यास, त्वचा रोगों, गंजापन, और कोढ़ को नष्ट करने वाला माना गया है।
शरपंखा एक औषधीय पौधा है। इसे आयुर्वेद में प्राचीन समय से औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। औषधीय प्रयोजन के लिए इसके पूरे पौधे का प्रयोग होता है। पौधे का पंचांग काढ़े के रूप में बहुत से रोगों में प्रभावी है।
हरड़ के दो प्रकार हैं, छोटी और बड़ी। छोटी हरड़, बड़ी हरड़ से करीब आधी होती है। बड़ी हरड़ पीले रंग की होती है और इस पर धारियाँ होती है। दोनों ही हरड़ को औषधीय प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हरीतकी जो पानी में डालने पर डूब जाए वह अच्छी मानी जाती है।
स्वास्थ्य गुडों से भरपूर करी-पत्तों को चटनी बनाने और नमकीन चावल, पुलाव, सब्जी, सांभर, ढोकला आदि में छौंक लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जानिये कड़ी पत्ता का उपयोग, करी पत्ता के नुकसान, कड़ी पत्ता फॉर हेयर, कड़ी पत्ता के नुकसान।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
कनेर का किसी भी प्रकार से सेवन हानिकारक है। कनेर के पत्तों, जड़, टहनी, दूध आदि में जो अल्कालॉयड पाए जाते हैं वह सीधे दिल को प्रभावित करते है। यह दिल की गति को बहुत ही धीमा का देते है।