Category Archives: जड़ी बूटी
चिरायता Chirata Herb (Swertia Chirata) in Hindi
चिरायता को बहुत पुराने समय से आयुर्वेद में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता रहा है। चरक और सुश्रुत में पूरे पौधे का पेस्ट / काढ़ा, रक्त साफ़ करने के लिए, विष के उपचार में, पुराने चमड़ी के रोगों, सूजन, बुखार, खांसी, आंतरिक रक्तस्राव, और पेशाब के रोगों में प्रयोग किया। इसका सेवन माँ के दूध से गंदगी को दूर करता है। बुखार में इसे धनिया की पत्तियों के साथ लिया जाता है।
निशोथ / त्रिवृत Nishoth (Ipomoea turpethum) in Hindi
बादाम Sweet almonds in Hindi
बादाम का चरक और सुश्रुत ने वाताम नाम से इसका वर्णन किया है और इसे अकेले ही या अन्य घटक के साथ आंतरिक दुर्बलता debility, एनीमिया anemia कमजोरी weakness को दूर करने के लिए और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया। बादाम का सेवन शक्ति और वीर्य को बढ़ाता है। यह अत्यधिक पौष्टिक, शांतिदायक और टॉनिक है। यह मूत्रवर्धक माना जाता है। इसे आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने जैसे की अमृतप्राश घी, में भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक विद्वानों के अनुसार बादाम ईरान से आना वाला बादाम सबसे अच्छा माना है।
मेथी Methi (Fenugreek) Information, Uses and Cautions in Hindi
जिनसेंग Ginseng in Hindi
जिनसेंग उत्पादों को आम तौर पर सामान्य टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन जीवन शक्ति को बढ़ाता है और शरीर के विभिन्न अंगों के सही से काम करने में सहयोग करता है। यह शरीर की तनाव से लड़ने की क्षमता तथा रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह नसों को ताकत देता है और बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता है। यह दिमाग में खून के दौरे को बढ़ाता है और यह सीखने और याद करने की क्षमता में वृद्धि करता है।
वच Vacha In Hindi
प्रमुख प्रयोग: यह मानसिक विकारों के लिए प्रमुखता से प्रयोग की जाती है। यह स्रोतों को साफ़ करती है, एकाग्रता- स्मृति को बढ़ाती है, भाषा को साफ़ करती है। यह मस्तिष्क में आम दोष को नष्ट करती है और दिमाग के धीमे काम करने को दूर करती है। इसका प्रयोग पैरालिसिस, बेहोशी, अस्पष्ट बोल-चाल, अवसाद, अलजाईमर डिसीज, याददाश्त की कमजोरी, आदि में किया जाता है। वच को मानसिक विकारों में ब्राह्मी, मंडूकपर्णी, और शंखपुष्पी के साथ प्रयोग करते हैं।
तुम्बुरु (नेपाली धनिया) Tumburu in Hindi
तुम्बुरु का फल मीठा, कड़वा तथा बीज सुगन्धित होते हैं। यह एक औषधीय पेड़ है और इसे पत्ते, छाल, बीज, और कांटे लोगों द्वारा दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। इसके बीजों का मुख्य प्रयोग आजकल दांतों की देखभाल के लिए होता है। दंतमंजन बनाने के लिए, इसके बीजों का पाउडर इस्टेमाल होता है। इसकी मुलायम टहनी को दातुन की तरह प्रयोग करने से दांत साफ़ होते है। मसूड़ों से खून आना, पायरिया आदि में इसकी छाल के पाउडर से गम पर मालिश करने से लाभ होता है।
कालीजीरी Kalijiri in Hindi
कालीजीरी किसी भी तरह के जीरे से अलग है। इंग्लिश में इसे ब्लैक क्यूमिन कहते हैं पर यह कलोंजी Nigella sativa से बिल्कुल भिन्न है। कलोंजी को भी इंग्लिश में ब्लैक क्यूमिन ही कहते है। इसी प्रकार बाकची, या सोमराजी एक और पौधे के बीज को, सोरेला कोरीलिफ़ोलिया (Psoralea corylifolia) को कहते है। आयुर्वेद के बहुत से विशेषज्ञ सोरेला कोरीलिफ़ोलिया को ही बावची या सोमराजी मानते हैं पर बंगाल में कालीजीरी को सोमराजी नाम से जानते और प्रयोग करते हैं।