त्रिफला मंडूर के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

त्रिफला मंडूर को अम्लपित्त रोग में प्रयोग किया जाता है। यह शरीर में ज्यादा अच्छे से अवशोषित होता है और पचने में भी हल्का है।

पुनर्नवादि मंडूर के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

पुनर्नवादि मंडूर, में पुनर्नवा और मंडूर के अतिरिक्त गोमूत्र, त्रिफला, त्रिकटु विडंग, हरदी, दारुहल्दी, मोथा आदि घटक हैं जो की यकृत-प्लीहा, उदर, रक्त, आदि के सही काम करने में सहयोग करते हैं। यह खून की कमी को दूर करती है।

मट्ठा के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि

buttermilk

छाछ या मट्ठा, स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। यदि मट्ठे में अजवाइन और काला नमक मिलाकर पिया जाए तो पुरानी कब्ज़ दूर होती है। यह पाइल्स में भी लाभ करता है। जलोदर में इसे जीरे, अजवाइन, सेंधा नमक मिलाकर पीना चाहिए। भारी भोजन खाने से यदि अपच हो जाए तो छाछ का सेवन करना चाहिए।

मण्डूर भस्म के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

खून की कमी को दूर करने के साथ ही मंडूर भस्म यकृत और तिल्ली के रोगों में भी प्रयोग की जाती है। लिव 52 जो की एक बहुत ही जानी-मानी लीवर की दवा है, उसमे मंडूर भस्म एक महत्वपूर्ण घटक है।

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

क्योंकि यह आरोग्य (बिना रोग) का वर्धन (बढ़ाती) करती है इसलिए आरोग्य वर्धिनी कहलाती है। आरोग्यवर्धिनी वटी, को आरोग्यवर्धिनी गुटिका, आरोग्यवर्धिनी रस और केवल आरोग्यवर्धिनी के नाम से भी जाना जाता है।

चन्द्रकला रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

चन्द्रकला रस, हर तरह के पित्त-विकार और वात-पित्त-विकारों में लाभप्रद है. यह शरीर में गर्मी बढ़ जाने से जो रोग होते हैं जैसे की शरीर में जलन, हाथ-पैर में जलन, नाक से खून आना, उलटी होना, आँखें लाल हो जाना, रक्तचाप में वृद्धि हो जाना, भ्रम, बेहोशी, आदि को दूर करता है. स्त्रियों के रक्त-प्रदर, श्वेत प्रदर, जलन, चक्कर आना, भूख न लगना, तथा अन्य उपद्रव जो पित्त के बढ़ने के साथ हो उसमें भी यह दवा दी जाती है

लोकनाथ रस बृहत् के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

लोकनाथ रस बृहत्, यकृत और स्पलीन के रोगों की अत्यंत लाभकारी दवाई है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है।

कपर्दक (वराटिका) भस्म के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कौड़ी कैल्शियम का कार्बोनेट होता है। इसे आयुर्वेद में एक औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। यह तासीर में गर्म होता है और मुख्यतः इसे अम्लपित्त, पेट के रोगों, यकृत रोगों, संग्रहणी तथा अन्य बहुत से रोगों के उपचार में दवा के रूप में दिया जाता है।

हिमालया हिमकोसिड के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

यह एक प्राकृतिक एंटासिड है जो की अपच, जलन, पेट फूलना, मतली, पेट में दर्द आदि लक्षणों से राहत देती है।

नृपतिवल्लभ रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

नृपतिवल्लभ रस को संग्रहणी Sprue और सभी तरह के अतिसार diarrhoea में प्रयोग किया जाता है। यह दवा पाचन को सही करती है और लूज़ मोशन को रोकती है।