कालमेघासव के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कालमेघासव, एक आयुर्वेदिक आसव है जिसे मुख्य रूप से ज्वर के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इस आसव के सेवन से सभी प्रकार के बुखार जैसे की मलेरिया, बार-बार आने वाला बुखार, पुराना बुखार, टाइफाइड, आदि नष्ट होते हैं।

महालक्ष्मीविलास रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

यह पाचन और अवशोषण को बढ़ा कर शरीर को बल देने में सहयोग करती है। यह वीर्य की कमी और नपुंसकता को दूर करने वाली दवा है। यह शिरोरोग / सिर के रोगों और कफ रोगों की अच्छी दवाई है।

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) दवा एक रसायन है जो की शरीर में बल, ताकत, वीर्य, ओज की वृद्धि करती है तथा अनेक तरह के रोगों को दूर करती है। यह बुखार, कफ, चमड़ी के रोगों, सिर के रोगों, गुदा के रोगों आदि में लाभप्रद है।

अभ्रक भस्म के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

अभ्रक भस्म त्रिदोष के रोगों, प्रमेह, कुष्ठ, टी.बी., लीवर-स्पलीन रोगों, बुखार, गुल्म, ग्रन्थि, कमजोरी, हृदय रोग, उन्माद, वीर्यपात, नपुंसकता, नसों की कमजोरी, आदि में बहुत लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर में लोहे की कमी दूर होती है।

एनेर्जिक-31 के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

एनेर्जिक-31 एक बहुउद्देशीय हर्बल दवा है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यह एक हेल्थ सप्लीमेंट है जो की शरीर को ताकत, ऊर्जा और शक्ति देता है। यह एक टॉनिक है।

श्वित्र नाशक कैप्सूल्स के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

पिगमेंट्स के न होने पर वहां त्वचा का रंग सफ़ेद हो जाता है। यह एक इन्फेक्शस रोग तो नहीं है पर देखने में अच्छा नहीं लगता। ल्यूकोडर्मा के इलाज के लिए श्वित्र नाशक कैप्सूल्स दवा दी जाती है।

कुष्ठ कुठार रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है। कुष्ठ कुठार रस, को कुष्ठ Leprosy और चर्म रोगों में दिया जाता है।

कुंकुमादि तैलम् के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कुम्कुमादी तेल एक ब्यूटी आयल है जिसे चेहरे की मालिश और दाग-धब्बों को दूर करने के लिए लगाया जाता है। इसका नस्य भी लिया जाता है. इसको लगाने से दाग-धब्बे, पिम्पल के निशान, मेलास्मा, आदि दूर होते है।

सारिवादि वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

सारिवादि वटी को कान का बहाना, कान में आवाजें आना, ठीक से सुनाई न देना, कान में दर्द, आदि में प्रयोग किया जाता है। सारिवादि वटी को ब्लीडिंग डिसऑर्डर, प्रमेह, स्त्री रोगों और हृदय रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।