महामरिच्यादि तैल के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

इसका प्रयोग भिन्न प्रकार के त्वचा रोगों में किया जाता है जैसे की कुष्ठ, सूजन, घाव, न ठीक होने वाले घाव, फोड़ा, फुंसी, खुजली, रिंगवर्म/दाद या दाद्रु, शीतपित्त आदि। इसमें कृमिनाशक गुण हैं।

नूरानी तेल के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

इसे मालिश के लिए और दर्द, चोट, घाव, जलने, कटने आदि में बाहरी रूप से लगाया जाता है। इसमें दर्द निवारक और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते है।

कामदुधा रस (मौक्तिक युक्त) के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कामदुधा रस (मौक्तिक युक्त) में पित्तशामक, शीतल, और मस्तिष्क को शांत करने के गुण हैं। यह शरीर में अधिक गर्मी होने के कारण होने वाले रक्तपित्त, रक्तातिसार, रक्तप्रार, अम्लपित्त, खट्टी डकार, सिर में दर्द, भ्रम, पेशाब में जलन, रक्त की विकृति आदि को दूर करता है।

पित्तशामक वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

सूतशेखर रस आयुर्वेद की बहुत जानी मानी दवा है जिसे पित्त विकारों में प्रयोग किया जाता है। गैरिक या लाल गेरू, लोहे का एक ऑक्साइड (Fe2O3) है।

सूतशेखर रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

सूतशेखर रस शरीर में अधिक पित्त के कारण होने वाले रोग/पित्त विकार, अम्लपित्त, मन्दाग्नि, पेट दर्द, चक्कर आना, उल्टी, अतिसार, पेट फूलना, हिचकी आदि रोगों में लाभप्रद है।

जन्तुघ्न वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

इसका प्रयोग से बहुत से कॉमन इन्फेक्शन के प्रति शरीर की इम्युनिटी बढ़ाती है और उनके उपचार में मदद मिलती है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-बैक्टीरियल गुण हैं।

कुटजावलेह के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

कुटजावलेह, वात और कफ डायरिया, दस्त और पेचिश रोगों की अच्छी हर्बल दवा है। यह दवा प्रभावी रूप से आंतों के अमीबी संक्रमण को कम कर देता है। यह ब्लीडिंग डिसऑर्डर, की भी अच्छी दवा है।

आमलकी रसायन के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

आमलकी रसायन पित्त को कम करने वाला है। यह एसिडिटी को ठीक करता है। इसके सेवन से बल, मेधा, शक्ति और रक्त की वृद्धि होती है। यह शरीर को शक्ति देता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।

बैद्यनाथ पंचासव के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

पंचासव गैस, कब्ज, अम्लता, उदर शूल, पेट दर्द, अपच आदि जैसे सभी पाचन विकार के उपचार में उपयोगी है।