झंडु झंडोपा के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
झंडोपा, को केवांच के प्रसंस्कृत बीज पाउडर से बनाया गया हैं। यह पार्किंसंस के इलाज के लिए प्रयोग की जानी वाली एक हर्बल दवा है। इसके दुष्प्रभाव अपेक्षाकृत कम है और ज्यादातर जठरांत्र पर होते हैं।
Details of various Ayurvedic medicines. Ingredients, benefits and dosage information.
झंडोपा, को केवांच के प्रसंस्कृत बीज पाउडर से बनाया गया हैं। यह पार्किंसंस के इलाज के लिए प्रयोग की जानी वाली एक हर्बल दवा है। इसके दुष्प्रभाव अपेक्षाकृत कम है और ज्यादातर जठरांत्र पर होते हैं।
इस दवा का प्रयोग बार-बार आने वाले बुखार के लिए, विषम जार और जीर्ण ज्वर के लिए किया जाता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और शरीर को बल देता है।
सप्तामृत लौह का सेवन दिमाग, आँखों, कान, नाक, गले, आदि इन्द्रियों को ताकत देता है। सही पथ्य का पालन करने पर इसका सेवन एसिडिटी, गैस, मूत्राघात/पेशाब का शरीर में रूक जाना, बुखार, उल्टी, अनीमिया आदि पर अच्छे प्रभाव दिखाता है।
एकांगवीर रस के सेवन से लकवे, अर्दितवात, गृध्रसी, आधे शरीर के पक्षाघात, समेत सभी वात- विकारों में लाभ होता है।
मकरध्वज गुटिका को शुक्र दोष, कमजोरी, पुरुष इनफर्टिलिटी, मनोदुर्बल्य, यौन कमजोरी, और नपुंसकता के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
मकरध्वज वटी, का सेवन शरीर में बल और स्टैमिना को बढाता है। पुरुषों द्वारा इसका सेवन शीघ्रपतन, नपुंसकता, को नष्ट करता है तथा स्तम्भन शक्ति को बढ़ाता है।
योगेन्द्र रस को उच्च रक्तचाप, वात-पित्त के कारण होने वाले उन्माद, हिस्टीरिया, पक्षाघात या पैरालिसिस, बेहोशी, गृध्रसी, इन्द्रियों की कमजोरी, टी.बी, वीर्य विकार, तथा प्रमेह के उपचार में दिया जाता है।
हेमनाथ रस प्रमेह और श्वेत प्रदर रोग की दवाई है। यह त्रिदोष के कारण उत्पन्न रोगों की अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। इसका सेवन जनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालता है।
मेनोसन में फायटोएस्ट्रोजन है जो की प्राकृतिक एस्ट्रोजन की तरह विभिन्न अंगों पर प्रभाव डालते हैं। यह दवाई क्लैमाकटरिक climacteric (रजोनिवृत्ति) के लक्षणों से राहत देने में मदद करती है। यह दवा मेनोपॉज हो जाने के बाद हृदय रोग और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने और प्रबंधन में उपयोगी है।
फेमीजेन S।G। Phyto Pharma Pvt। Ltd। द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवा है जिसे स्त्री रोग लिकोरिया के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।