गोक्षुरादि गूग्गुलु के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

गोक्षुरादि गूग्गुलु एक आयुर्वेदिक दवा है। जैसा नाम से ही पता चलता है इस दवा के दो मुख्य घटक गोखरू और गुग्गुल है। गोखरु और गुग्गुल के योग से बनी यह दवा मूत्र रोग और शरीर में सूजन के इलाज में प्रयोग की जाती है।

महात्रिफला घृत की फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

महात्रिफला घृत एक आयुर्वेदिक औषधीय-घी है। इसे गाय के घी, त्रिफला तथा अन्य कई उपयोगी जड़ी बूटियों से तैयार किया जाता है। यह नेत्र रोगों के इलाज के लिए एक बहुत अच्छी हर्बल दवा है।

दशमूल हरीतकी रसायन के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

दशमूल हरीतकी रसायन एक आयुर्वेदिक औषधि है जो विभिन्न रोगों में लाभप्रद है। आयुर्वेद में, दशमूल विशेष रूप से सूजन और दर्द के लिए प्रयोग किया जाता है। दस जड़ अलग-अलग भिन्न- भिन्न औषधीय गुण रखती है।

द्राक्षावलेह के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

यह रसायन या टॉनिक कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा, गर्भावस्था के दौरान माँ को दिया जाता है जिससे होने वाली माँ और उसके बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा हो।

मधुस्नुही रसायन Madhusnuhi Rasayanam Details and Uses in Hindi

मधुस्नुही रसायनम पूरे शरीर का पोषण करती है और इसे एक रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें त्रिफला, त्रिकटु , त्रिजात, शहद, घी, मिश्री समेत बत्तीस अन्य सामग्री है।

लवण भास्कर चूर्ण के फायदे, नुकसान और उपयोग

इस चूर्ण के सेवन से अग्निमांद्य/मन्दाग्नि, अजीर्ण, वात-कफज गुल्म, तिल्ली, पेट के रोग, पाइल्स, कब्ज़, चमड़ी की बिमारियों, आमविकार आदि में लाभ होता है.

जातिफलादि चूर्ण के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

इस दवा का मुख्य संघटक जायफल nutmeg है। जायफल Myristica fragrans के पेड़ के फल के बीज की गिरी seed kernel है। जायफल पाचन रोग के लिए एक प्रभावी जड़ी बूटी है।

नारसिंह चूर्ण के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

नारसिंह चूर्ण आयुर्वेदिक दवा है। यह चूर्ण वाजीकारक aphrodisiac, बलवर्धक, और टॉनिक है। इसका सेवन हर तरह के रोग में किया जाता है।

दाड़िमादि घृत के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

दाड़िमादि घृत एक आयुर्वेदिक घी है, विशेष रूप से अपच, पित्त-विकार, स्प्रू, बवासीर, मिर्गी, माइग्रेन, सिरदर्द, माथे में दर्द, आंखों के रोग, और गर्भाशय के विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।

इंदुकान्त घृत के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि

इंदुकान्त घृत आयुर्वेदिक दवा है। यह दशमूल, पूतिका, देवदारु, घी तथा अन्य औषधिया वनस्पतियों से बनी है। इन्दुकांत घृतम को सहस्रयोगम से लिया गया है। इस दवा को मुख्यतः पेट के विकार और वात रोगों में लिया जाता है।