यकृदरि लौह, लीवर और प्लीहा के रोगों को दूर करता है और पाचन शक्ति को सही करता है। लीवर-प्लीहा में रोग होने पर, या किसी कारणवश उनके बढ़ जाने से खाने का पाचन सही से नहीं हो पाता।
यकृदरि लौह एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसे यकृत और प्लीहा के रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इस दवा में लौह, ताम्र, और अभ्रक भस्म, बिजौरा नीम्बू पेड़ की जड़ तथा हिरण की चमड़ी की भस्म है।
यकृदरि लौह, एक लौह-कल्प है और इसमें लौह एक महत्वपूर्ण घटक है। इस दवा के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर होती है और शरीर को ताकत मिलती है।
यकृदरि लौह, लीवर और प्लीहा के रोगों को दूर करता है और पाचन शक्ति को सही करता है। लीवर-प्लीहा में रोग होने पर, या किसी कारणवश उनके बढ़ जाने से खाने का पाचन सही से नहीं हो पाता। पाचन की वकृति होने पर शरीर में रस-धातु कम होने लगते है। बुखार भी आने लगता है। ऐसे में इस दवा का सेवन बहुत लाभ करता है।
Yakridari Lauh is made of prepared iron, mica, copper, root of Citrus Bergamia and burnt deer-skin. It is indicated in enlarged liver, spleen, jaundice etc.
Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
यकृदरि लौह के घटक | Ingredients of Yakridari Lauh in Hindi
- लौह भस्म Lauha churna/bhasma 24 g
- अभ्रक Abhraka bhasma 24 g
- ताम्र Tamra bhasma 12 g
- बिजौरा नीम्बो की जड़ की छाल Limpakanghri (Nimbu) (Rt. Bk.) 48 g
- मृग चर्म की भस्म Mrigajina bhasma (Antardhuma bhasma of Mrigajina (burnt ash of Deer\’s skin) 48 g
मुख्य घटक
अभ्रक भस्म: यह भस्म लीवर के रोगों, पेट रोगों, बुखार, टी.बी., पीलिया, अस्थमा, कमजोरी आदि में बहुत लाभप्रद है। यह शरीर को ताकत देती है और मन्दाग्नि को दूर करती है। यह वात-पित्त-कफ को संतुलित करती है। खून की कमी के कारण पीलिया में इसे लौह के साथ दिया जाता है।
लौह भस्म पांडू, पित्तविकार, बुखार, अम्लपित्त आदि में नहुत लाभकारी है। यह टॉनिक है और रोगों का नाश करने वाली है।
ताम्र भस्म पेट रोगों, अजीर्ण, विषम ज्वर, प्लीहा-लीवर विद्धि, अम्लपित्त, आदि में बहुत उपयोगी है। यह शक्तिवर्धक, रुचिकारक, पित्त निर्माण में सहयोग करने वाली, और मन्दाग्नि दूर करने वाली है।
यकृदरि लौह के फायदे | Benefits of Yakridari Lauh in Hindi
- यह लीवर और तिल्ली के रोगों के लिए गुणकारी दवा है।
- यह पेन्क्रियास पर काम कर पाचन में सहयोग करने वाले एंजाइम्स को स्रावित करती है।
- पाचन सही होने हर शरीर की हर धातु पुष्ट होती है।
- इसमें लौह होने से यह रक्त के निर्माण में मदद करती है।
- यह खून को बढाती है और एननीमिया को दूर करती है।
यकृदरि लौह के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Yakridari Lauh in Hindi
- उदर रोग (Diseases of abdomen / enlargement of abdomen)
- गुल्म (Abdominal lump)
- कमाला (Jaundice)
- यकृत रोग (Liver diseases)
- प्लीहा रोग (Splenic disease)
- जीर्णज्वर (Chronic fever)
- कास (Cough)
- श्वास (Dyspnea/Asthma)
- हलीमका (Chronic obstructive Jaundice/Chlorosis/Advanced stage of Jaundice)
- मंदाग्नि (Impaired digestive fire),
- दौर्बल्य (Weakness)
यकृदरि लौह की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Yakridari Lauh in Hindi
- 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे गौ-मूत्र या पानी के साथ लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
This medicine is manufactured by Baidyanath (Yakridari Lauh).