सुदर्शन चूर्ण के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
सुदर्शन चूर्ण एक आयुर्वेदिक चूर्ण है जिसे भैषज्य रत्नावली के ज्वराधिकार से लिया गया है। इसे तिक्त जड़ी-बूटियों से बनाया गया है। यह दवा बुखार और मधुमेह के उपचार में उपयोगी है।
सुदर्शन चूर्ण एक आयुर्वेदिक चूर्ण है जिसे भैषज्य रत्नावली के ज्वराधिकार से लिया गया है। इसे तिक्त जड़ी-बूटियों से बनाया गया है। यह दवा बुखार और मधुमेह के उपचार में उपयोगी है।
सितोपलादि चूर्ण के सेवन से कफ और पेट सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है। यह चूर्ण अस्थमा, सांस की तकलीफ, सूखी-गीली खांसी, कोल्ड, कफ, साइनोसाइटिस, ब्रोंकाइटिस आदि तकलीफों में लाभप्रद है।
एलादि वटी या गुटिका एक हर्बल आयुर्वेदिक गोली के रूप में दवा है। इसे सूखी खाँसी, गले का संक्रमण, हिचकी, उल्टी, सर्दी, बुखार, चक्कर आना, पेट दर्द आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
इस दवा का प्रभाव मूत्रल, त्रिदोषशामक, पित्त दोष को दूर करने वाला, और मूत्र शोधक है। इसके सेवन से पेशाब सम्बन्धी रोग, उलटी, पित्त दोष, शरीर में अधिक गर्मी, अत्यधिक प्यास लगना आदि दोष दूर होते है।
बैद्यनाथ लिवेरेक्स दावा का सेवन हिपेटाईटिस, पीलिया, शाब के सेवन के कारण लीवर में खराबी, भूख न लगना, कमजोरी आदि में किया जाता है।
साइट्रिक एसिड पानी में घुलनशील, खाने योग्य एसिड है इसलिए इसे प्रिज़रवेटिव की तरह संसाधित भोज्य और पेय पदार्थों में उपयोग किया जाता है।
शोथारि मंडूर को किसी भी कारण से पूरे शरीर में होने वाली सूजन Swelling caused by a buildup of fluid in the tissues को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह शरीर में ज्यादा अच्छे से अवशोषित होता है और पचने में भी हल्का है।