रस्नादी क्वाथ के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
रस्नादी क्वाथ एक आयुर्वेदिक काढ़ा है। इसे वातविकार में प्रयोग किया जाता है। इसमें रसना, दशमूल, भूमिआमला, अडूसा, आमला, हल्दी, सोंठ आदि जड़ी-बूटियाँ हैं जो की शरीर से सूजन दूर करती है।
रस्नादी क्वाथ एक आयुर्वेदिक काढ़ा है। इसे वातविकार में प्रयोग किया जाता है। इसमें रसना, दशमूल, भूमिआमला, अडूसा, आमला, हल्दी, सोंठ आदि जड़ी-बूटियाँ हैं जो की शरीर से सूजन दूर करती है।
रास्नासप्तक क्वाथ को गठिया, जोड़ों के दर्द, पीठ में दर्द, साइटिका, पसली के दर्द आदि में सूजन और दर्द से आराम पाने के लिए किया जाता है। इस काढ़े में अमलतास की फली का गूदा और एरंड भी है जो की कब्ज़ को दूर कर पाचन को सही करने में मदद करते हैं।
Zika वायरस के बारे में जाने की यह कैसे फैलता है और इसके लक्षण क्या क्या होता है। लगभग 10 साल पहले, जीका वायरस, प्रशांत द्वीपों/पैसिफ़िक आइलैंड में भी फ़ैल गया। पिछले साल से यह साउथ अमेरिका के देशों में भी पाया जाने लगा जहाँ यह अब तक 1 लाख से अधिक ब्राजीलियाई को संक्रमित कर चुका है। यह अब लैटिन अमेरिका में तेजी से फैल रहा है।
महारास्नादि क्वाथ काढ़ा एक हर्बल आयुर्वेदिक औषधि है। इसे विभिन्न प्रकार के वात रोगों, सर्वांगवात, अर्धांग वात, संधिवात, साइटिका, आमवात, योनी दोष, शुक्र दोष, इनफर्टिलिटी, गठिया, पक्षाघात, फाइलेरिया, जबड़े की जकड़न, गर्दन की अकड़न, हर्निया, घुटने के दर्द, आदि में प्रयोग किया जाता है।
वातगंजाकुश रस के सेवन से कफ प्रधान वात रोग नष्ट होते हैं। इसके बारे में आयुर्वेद में कहा गया है, इसके सेवन से दारुण गृध्रसी भी एक सप्ताह में ठीक हो जाती है। यह शरीर से अतिरिक्त चर्बी को भी हटाती है। इसका सेवन शरीर से आम-दोष को कम करता है।
शिरः शूलादिवज्र रस, को सभी प्रकार के सिर दर्द में लाभप्रद माना गया है। दिमाग की कमजोरी के कारण होने वाले सिर दर्द में इसके सेवन से लाभ होता है। इसके लिए, इस दवा को बादाम और मिश्री और दूध के साथ लिया जाता है। यह दिमाग को ताकत देता है।
लीलाविलास रस का सेवन शरीर में बढ़े हुए पित्त को कम करता है और साथ ही पाचन को बेहतर बनाकर अपच, पेट के भारीपन, गैस आदि से राहत देता है।