वीर्य शोधन वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
इसके सेवन से वीर्य विकार दूर होते हैं। यह पुष्टिकारक है। वीर्य सभी धातुओं का सार है। अच्छी संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति अनिवार्य है।
इसके सेवन से वीर्य विकार दूर होते हैं। यह पुष्टिकारक है। वीर्य सभी धातुओं का सार है। अच्छी संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति अनिवार्य है।
अम्लपित्त, पित्त की अधिकता पित्तवर्धक खाना ज्यादा खाने से, गर्म-मसालों के खाने से, पाचन की कमजोरी से, दूषित खाने या बासी खाने से हो सकता है।
अम्लपित्तान्तक लौह, एक आयुर्वेदिक रस औषधि है जिसे अम्लपित्त की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। भैषज्य रत्नावली में इस दवा का विवरण दिया गाया है।
पुरुषों द्वारा मन्मथ रस का सेवन नाड़ियों की कमजोरी को दूर करता और स्तम्भन तथा कामेच्छा को बनाए रखता है। स्त्रियों द्वारा इसका सेवन श्वेत प्रदर को दूर करता है। इसके सेवन से गर्भाशय मज़बूत हो जाता है तथा ओवरी की कमजोरी, शिथिलता भी दूर हो जाती है। यह स्त्रियों की गर्भधारण की शक्ति को बढ़ाता है।
मदनानन्द मोदक एक उत्तम रसायन है। यह मन्दाग्नि को दूर करता है और पाचन को बेहतर बनता है। यह पुरुषों के लिए उत्तम टॉनिक है।
मदन प्रकाश चूर्ण एक वाजीकारक चूर्ण है। इसका सेवन बल, शक्ति, शुक्र और वीर्य की वृद्धि करता है। यह शुक्र के पतलेपन को दूर कर उसे गाढ़ा करता है तथा स्तम्भन शक्ति को बढ़ाता है। यह एक उत्तम रसायन है।
बिल्वादी चूर्ण का सेवन पाचन पर अच्छे प्रभाव डालता है। कच्चे बेल की गिरी के चूर्ण को आयुर्वेद में हजारों सालों से प्रवाहिका और अतिसार के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
वानरी गुटिका या वटी (वटी या गुटिका, टेबलेट को कहा जाता है) एक हर्बल आयुर्वेदिक औषधि है जिसे वानरी बीजों से बनाया गया है।
वानरी, कपिकच्छु-केवांच का ही एक नाम है। केवांच के पौधे की फली पर बन्दर की तरह रोयें होते हैं जिस कारण केवांच को कपिकच्छु, कपिलोमा, कपि, मर्कटी, और वानरी कहा जाता है।