कफकेतु रस के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
कफकेतु रस, एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे अधिक कफ, कफ के कारण बुखार, खांसी, जुखाम, सिरदर्द, गले में दर्द, आदि के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
कफकेतु रस, एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे अधिक कफ, कफ के कारण बुखार, खांसी, जुखाम, सिरदर्द, गले में दर्द, आदि के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
इस दवा को श्वसन संक्रमण, कफ, खासी, खांसी के दौरे, और जुखाम के ईलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह महिलाओं के मासिक दर्म से सम्बंधित विकारों को दूर करती है। इसके सेवन से राजोरोध और मासिक के दौरान दर्द, कम मात्रा में मासिक धर्म का होना आदि नष्ट होते हैं।
इसके सेवन से पेट रोग, पेट फूलना, भूख न लगना, पाचन की कमजोरी, आदि रोगों से राहत मिलती है।
कसीस भस्म, को कमजोरी और दुर्बलता के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में खून की कमी/एनीमिया तथा इसके कारण होने वाले उपद्रव दूर होते है। कसीस भस्म जिगर और तिल्ली के रोगों के लिए भी दी जाती है।
इसमें चांदी वर्क, मकरध्वज, शुक्ति भस्म, केसर आदि भी डले हैं जो की स्वास्थ्य को बेहतर बनाते है। इसका सेवन शरीर को शक्ति देता है और एजिंग के प्रभाव को रोकता है।
बैद्यनाथ च्यवनप्राश, आयुर्वेदिक च्यवनप्राश है जो की 52 महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों से बना है। इसमें चांदी वर्क, मकरध्वज, शुक्ति भस्म, केसर आदि भी हैं जो की स्वास्थ्य को बेहतर बनाते है। इसका सेवन शरीर को शक्ति देता है और एजिंग के प्रभाव को रोकता है।
कल्याणक घृत का सेवन शरीर, दिमाग और प्रजनन अंगों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाता है। यह पाचन की कमजोरी, और श्वसन अंगों के विकारों में भी लाभप्रद है। गर्भावस्था में इसके सेवन से होनी वाली संतान स्वस्थ्य और बुद्धिमान होती है।
इसके प्रयोग से नपुंसकता, क्षय, दुर्बलता, रोग के कारण कमजोरी, अधिक मैथुन के कारनण कमजोरी, कांतिहीनता, स्वरभेद, कास, हिचकी, बुखार, बहुत अधिक प्यास, उल्टी, बेहोशी, दिल के रोग, योनी के रोग, मूत्र रोग और संतानहीनता आदि में लाभ होता है।
इसके सेवन से मेद्य, स्मृति-शक्ति, दिमागी विकार, मानसिक विकार (उन्माद, अपस्मार) Psychological disorders, बुद्धि की कमजोरी आदि दिमाग सम्बंधित विकारों में लाभ होता है। यह बोलने की दिक्कतों जैसे की साफ़ न बोल पाना, हकलाना, बार-बार गला बैठना, आदि शिकायतों में भी अच्छे प्रभाव दिखाता है।