विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
पारिजात दिव्य गुणों से युक्त पेड़ है। इसे संस्कृत में शेफालिका कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल जिसमें शिलीमुख अर्थात भंवरा आराम से सोता है। इसे हरिश्रृंगार या हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स है। पारिजात, आयुर्वेद का एक बहुत ही अच्छी तरह से जाना जाने वाला औषधीय पौधा है। यह भारतवर्ष का मूल निवासी है। यह उप-हिमालयी क्षेत्रों से दक्षिण के गोदावरी तक मिलता है। पारिजात के पुष्पों, पत्तों, आदि का औषधीय कार्यों के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में इस्तेमाल बहुत पुराने समय से उपयोग किया जाता रहा है।
पारिजात का पेड़ कैसा होता है
पारिजात Parijat, Harsingar, Shefalika के पुष्पों को भगवान् श्री कृष्ण की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसकी बहुत ही अनुपम गंध होती है। पारिजात के पुष्प रात में खिलते है और सुबह स्वतः ही गिर जाते है।
कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष सागर मंथन से उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष को इन्द्र ने अपने उद्यान नंदन कानन में लगा दिया। देवराज इंद्र के निमंत्रण पर जब श्री कृष्ण स्वर्ग लोग में अपनी पत्नी देवी रुकमणी के साथ पहुंचे तो देवराज ने स्वागत में यह पुष्प उन्हें भेंट किये। इन पुष्पों को देवी रुकमणी ने अपने बालों में धारण कर लिया। जब श्री कृष्ण और रुकमणी, द्वारका वापस लौटे तो उन पुष्पों को देख श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा उस पुष्प के पेड़, पारिजात को लाने की जिद की। श्री कृष्ण ने इंद्र से आग्रह किया की वे उन्हें पारिजात दे दें। लेकिन इंद्र ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। तब श्री कृष्ण ने इन्द्र से घनघोर युद्ध कर इस वृक्ष को जीत कर धरती पर लाये और इसे द्वारका में प्रतिष्ठित किया।
पारिजात का पेड़ झाड़ी जैसा होता है। इसकी जड़ के पास से कई तने निकल आते हैं । इसके पत्ते हरे खुरदरे और रोएँ युक्त होते हैं। ऊपर से ये हरे और नीचे से हलके रंग के होते है। पारिजात के पुष्प पेड की टहनी पर गुच्छे में लगते है। पारिजात पुष्प की ६-७ पंखुड़ियाँ सफ़ेद रंग की होती और नारंगी रंग की डंठल से जुडी होती है। पुष्प खिलने के बाद हरे गोल रंग के चपटे फल लगते है।
पारिजात फूलों से पीला रंग भी निकाला जाता है। यह रंग कपड़ों को रंगने और पुलाव को पीला रंग देने के लिए होता है।
पारिजात के स्थानीय नाम
- Sanskrit: Parijatha पारिजात, हरश्रृंगार
- Bengali: Shephalika, Siuli शेफालिका, सिउली
- Hindi: Harashringara, हरसिंगार Harsingar
- Malayalam: Parijatakam पारिजताकम
- Marathi: Parijathak
- Gujarati: Jayaparvati
- Oriya: Gangasiuli
- Kannada: Parijatha
- Tamil: Parijata, Paghala
- English: Tree of Sorrow, Night Jasmine, Coral Jasmine.
- Ayurvedic: Paarijaata, Shephali, Shephalika, Mandara
- Unani: Harasingar
- Siddha: Pavazha mattigai
पारिजात भारत, बांग्लादेश, भारत-पाक उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया, उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया, बर्मा और सीलोन में भी पाया जाता है।
पारिजात का बैज्ञानिक वर्गीकरण (Classification)
- जगत (Kingdom): Plantae पादप
- प्रभाग (Division): Magnoliophyta मेग्नोलियोफाइटा
- संवर्ग (Class): Magnoliopsida मेग्नोलियोप्सिडा
- गण (Order): Lamiales लेमियेल्स
- कुल (Family): Oleaceae ओलिएसी
- वंश (Genus): Nyctanthes निकेटेंथस
- जाति (species): arbor-tristis आर्बोट्रीस्ट्स
- वानस्पतिक नाम: Nyctanthes arbor-tristis निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स
पारिजात पेड़ के रासायनिक घटक | Chemical constituents in Hindi
आधुनिक शोध, पारिजात के हिस्सों से पॉलीसैकराइड, इरिडोइड ग्लाइकोसाइड, हेनीलप्रोपेनॉइड ग्लाइकोसाइड, ß- सीटोस्टेरोल, ß-अमीरिन, हेन्ट्री-एकोंटेन, बेंज़ोइक एसिड, ग्लाइकोसाइड, nyctanthoside-a iridoid, निकेटन्थिक एसिड, फ्रीडेलिन, लुपोल, ओलेक्नोलिक एसिड, 6ß-हाइड्रोक्सीलोंगानिन, इरिडोइड ग्लूकोसिडेसार्बोरसिदेस A, B and C, अल्कलॉइड्स, फ्लोबेटांइन्स, टेरपेनॉइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड, निकेटन्थिक एसिड, फ्रीडेलिन, लुपोल, ओलेक्नोलिक एसिड, 6ß-हाइड्रोक्सीलोंगानिन, इरिडोइड ग्लूकोसिडेसार्बोरसिदेस A, B and C, अल्कलॉइड्स ,फ्लोबेटांइन्स, टेरपेनॉइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड भी इससे अलग किये गए हैं।
पारिजात हरसिंगार औषधीय उपयोग | Night Jasmine medicinal uses in Hindi
पारिजात, कटिस्नायुशूल sciatica, रुमेटिज्म rheumatism, गठिया gout और अन्य बहुत से अन्य रोगों के उपचार में प्रयोग होता है।
पारिजात के पत्ते Leaves
- पत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण sciatica, chronic fever, rheumatism, internal worm infections आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
- पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखार loss of appetite, piles, liver disorders, biliary disorders, intestinal worms, chronic fever, obstinate sciatica, rheumatism and fever आदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
- पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
- पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह fever, high blood pressure and diabetes के इलाज के लिए दिया जाता है।
- पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले digestives, सांप के विष के असर को कम करने वाले antidote to reptile venoms, टॉनिक tonic, विरेचक laxative, स्वेदजनक diaphoretic और मूत्रवर्धक diuretic गुण होते हैं।
- पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में, arthritis, obstinate sciatica, malaria, intestinal worms, tonic को प्रयोग किया जाता है।
पारिजात के फूल flowers
- पारिजात के पुष्पों को पित्त दोष कम करने, कफ, वात कम करने, टॉनिक, बवासीर और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
- पुष्पों के पीले हिस्से का प्रयोग सिल्क और सूती कपड़ों को रंगने में भी होता है।
पारिजात का तना Stem
परंपरागत रूप से स्टेम छाल के पाउडर का प्रयोग गठिया, जोड़ों के दर्द rheumatic joint pain, मलेरिया, और कफ को ढीला करने के लिए होता है। ओड़िसा मलेरिया के उपचार के लिए, छाल के पाउडर, अदरक, और पिप्पली का काढ़ा बनाकर दो दिन तक लिया जाता है।
पारिजात के बीज Seeds
- बीजों को कृमि नाशक anthelmintics और खालित्य/गंज alopecia में इस्तेमाल किया जाता है।
- यह पित्त को कम करता है और कफ को ढीला कर बाहर निकालने expectorant में मदद करता है। यह पित्त की अधिकता से होने वाले बुखार में भी उपयोगी है।
- बीजों का पाउडर का प्रयोग सिर में रुसी, पपड़ी, सूखी त्वचा का इलाज करने लिए प्रयोग लिया जाता है। इसके अतिरित इसे बवासीर और त्वचा रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
Medicinal Uses of Harsingar (Parijat) in Hindi
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
साइटिका, ग्रिध्सी Sciatica
1. पारिजात, ३-६ पत्तों को कूट कर पानी में उबाल, सुबह और शाम रोज़ पीने से लाभ होता है।
2. पारिजात के सूखे पत्तों का पाउडर, 1 चम्मच पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।
आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द Arthritis, joint pain
पारिजात के पत्ते, पुष्प, छाल, टहनी को ५ ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढा बनाकर रोज़ पियें।
जोड़ों की सूजन Joint Swelling
पारिजात के फूलों का पेस्ट लगायें।
हड्डी टूटना Fracture
पत्ते और छाल का पेस्ट लगाकर एक कपड़े से कसकर लपेट दें।
शरीर में दर्द, सूजन Pain in Body, Swelling in Body
३-६ पत्तों को कूट कर दो गिलास पानी में उबाल कर दिन में दो बार पिए।
पुराना बुखार Chronic fever
बुखार के लिए, पारिजात की पत्तियों का रस ४-६ ग्राम, शहद में मिलाकर, गर्म पानी के साथ, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लेने से पीने से लाभ होता है।
मलेरिया Malaria, विषम ज्वर Visham jvara (Recurrent or irregular fever)
मलेरिया में, पारिजात की पांच ताजा पत्तियों का पेस्ट, मौखिक रूप से दिन में तीन बार, 7-10 दिनों तक दिया जाता है।
बुखार Fever
पारिजात की २-३ पत्तियां, ३ ग्राम छाल, और तुलसी के कुछ पत्तों को ले कर पानी में उबाल कर सुबह-शाम पिए।
पेट में कीड़े, आंत के कीड़े Intestinal worms
- पत्तों का रस ४-६ ग्राम की मात्रा में, १ चम्मच शहद और चुटकी भर नमक के साथ लें।
- दो चम्मच पारिजात पुष्पों के रस को एक चुटकी नमक के साथ दो दिनों लें।
- पारिजात के पत्तों का रस २ चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट लें।
बालों में रुसी Dandruff
बालों में पारिजात के बीजों को पीस कर लगायें।
कफ, छाती में कफ के कारण जकड़न Excessive cough, Chest congestion
पत्तों का रस शहद के साथ लें।
सर्दी खांसी Cough/cold
- तीन पत्तियों और काली मिर्च का पेस्ट मौखिक रूप से पानी के साथ लें।
- चाय बनाते समय पारिजात के १-२ पत्ते डाल कर पीने से लाभ होता है।
मधुमेह Diabetes
40 दिन लगातार, मौखिक रूप से पत्तियों का काढा लें।
घाव Wound
बाहरी रूप से पत्ती पीस कर लगाएँ।
पारिजात की औषधीय मात्रा | Dosage in Hindi
पारिजात की छाल की औषधीय मात्रा ३ रत्ती (1 ratti=125 mg) है।
पारिजात के पत्तों की औषधीय मात्रा 3-6 ताज़ा पत्ते है।
Harsingar/Harshingar/Parijat/Night jasmine is a divine tree with small white-orange aromatic flowers. The flowers bloom after sunset and fall from the tree before sunrise. The flowers are used in puja. Traditionally, the flowers are used for dying the clothes in saffron colour.
In Ayurveda, the leaves are extensively used for treatment of many diseases. The decoction and juice of leaves has been used widely as a decoction for the treatment of arthritis, rheumatism, joint pain and sciatica since centuries.
The leaves are also used for treatment of fever. For chronic fever, the leaves juice is given with honey.
The decoction of leaves is recommended as a specific remedy for obstinate sciatica. For making decoction, the leaves are boiled in one liter water till the volume reduces to one fourth. This is filtered and taken twice a day. This is taken regularly for few months.
Harshingar is also used for parasitic infestation, cough, hiccough, malarial fever, scabies and other skin disease.
The leaf juice is applied externally on ringworm and other skin diseases.
Traditionally, the leaves juice is given in dosage of 10-20 ml.
The dried fruits are taken to get relief from cough. The decoction of dried flower with jaggery is used as an antifertility agent in females.
A scientific study was done for anti-malarial activity of Parijat leaves.
Patients with malaria were treated with the paste of 5 fresh leaves of Parijat, given orally 3 times/day for 7-10 days. The relief of symptoms and signs of malaria and the features of Vishama Jwara was graded basally and daily. Out of 120 patients, 92 (76.7%) showed complete clinical and parasitic cure within 7 days. Other 20 patients, who then continued on the same treatment, were cured by 10 days.
An investigation was carried out to assess the antidiabetic property. They exerted hypoglycemic effect/blood sugar lowering. The animals were made diabetic by streptozotocin (55 mg/kg, i.p) after confirming the diabetes level more than 300 mg/dl the chloroform extract from leaves and flower of N. arbortristis (50, 100, 200 mg/kg) were used for 27 days in diabetic rats. The extract significantly lowered serum glucose levels in treated rats when compared with control. The anti-diabetic activities of the leaves and flowers chloroform extract were comparable to glibeclamide at 10 mg/kg orally.
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5 ya 7 harsingar ka patta le . chatani banaye . 1 gilas pani me boil kare .jab pani aadaha rah jaye to subah bina filter kiye pee jaye . 90 din se adhik na piye .puri tarah se theek ho jayege.
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