फिटकरी के बारे में भारतीयों को जानकारी बहुत ही प्राचीन समय से थी। भारत में चिकित्सा के लिए इसका प्रयोग आयुर्वेद में किया जाता रहा है। चरक संहिता में भी इसके प्रयोग का वर्णन पाया जाता है। रत्न समुच्चय ग्रन्थ में इसे तुवरी कहा गया है। रसतरंगिणी में इसे पित्त-कफ नाशक, ज्वरनाशक, आँखों के रोगों में लाभप्रद, खूनके बहने को रोकने वाली, मुख के रोगों, कान रोगों और नाक से खून बहने से रोकने वाली माना गया है।
फिटकरी को संस्कृत में स्फटिका, हिंदी में फिटकरी, इंग्लिश में पोटाश एलम कहते है। कांक्षी, तुवरी, स्फटिका, सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका आदि इसके अन्य संस्कृत पर्याय हैं। यह एक रंगहीन, क्रिस्टलीय पदार्थ है। साधारण फिटकरी का रासायनिक नाम पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट KAl(SO4)2.12H2O होता है। देखने में यह प्राकृतिक नमक के ढेले जैसी होती है।
फिटकरी सफेद, पीले, लाल और काली रंग की हो सकती है। सफ़ेद रंग की फिटकरी को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।
फिटकरी के बारे में भारतीयों को जानकारी बहुत ही प्राचीन समय से थी। भारत में चिकित्सा के लिए इसका प्रयोग आयुर्वेद में किया जाता रहा है। चरक संहिता में भी इसके प्रयोग का वर्णन पाया जाता है। रत्न समुच्चय ग्रन्थ में इसे तुवरी कहा गया है। रसतरंगिणी में इसे पित्त-कफ नाशक, ज्वरनाशक, आँखों के रोगों में लाभप्रद, खूनके बहने को रोकने वाली, मुख के रोगों, कान रोगों और नाक से खून बहने से रोकने वाली माना गया है।
फिटकरी एल्युमीनियम और पोटेशियम सल्फेट का संयोग है। फिटकरी को एक प्रकार की खनिज मिट्टी जिसे रोल (हिंदी) या एलम शोल (इंग्लिश) से बनाया जाता है। जहाँ भूमि में एल्युमीनियम और सल्फर ज्यादा मात्रा में पाया जाता है वहां की ऊपरी मिट्टी में फिटकरी की थोड़ी मात्रा में प्राकृतिक रूप से मिलती है। इसका निर्माण कृत्रिम रूप से सौराष्ट्र की मिट्टी को सत्वपातित करके किया जाता था। आजकल तो इसे रासयनिक तरीके से काफी मात्रा में बनाया जाता है।
चिकित्सा के लिए फिटकरी का प्रयोग खून के बहने / रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है। शुद्ध फिटकरी या इसकी भस्म को सुजाक, रक्तप्रदर, खांसी, निमोनिया, खून की उलटी, विष विकार, मूत्रकृच्छ, त्रिदोष के रोगों, घाव, कोढ़ आदि में आंतरिक प्रयोग भी किया जाता है।
इसे पानी को साफ करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे रंग पक्का करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
प्रकार: अकार्बनिक खनिज, क्रिस्टलीय
रासयनिक सूत्र Molecular formula: KAl(SO4)2·12H2O हाइड्रेट पोटैशियम एल्युमीनियम सल्फेट
आंतरिक प्रयोग के लिए मात्रा: 250 mg- 1 gram
बुरा असर: फेफड़ों, पेट और आँतों पर
स्थानीय नाम
- संस्कृत: कांक्षी, तुवरी, स्फटिका, सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका, स्फटी, रंगदा, दृढरंगा
- लैटिन: एल्युमीनियम सल्फस
- हिंदी, बंगाली: फिटकिरी Phitkari
- मराठी: तुरटी
- गुजराती: फटकड़ी
- तमिल: Patikaram, Padikharam, Shinacarum
- तेलुगु: Pattikaramu
- कन्नड़: Phatikara
- फारसी: जाक सफ़ेद Zak safed, Zamah
- अरब: शवेयमानी Shibe yamani, Zaj abyaz
- इंग्लिश: एलम Sulphate of Alumina and Potash, Sulphate of Aluminium and Ammonium, Aluminous Sulphate
- उर्दू: फिटकिरी Phitkari
- सिन्धी: पटकी
- तमिल: Patikaram, Padikharam, Shinacarum
फिटकरी के गुण
- यह कसैली, गर्म, योनि संकोचक Vaginal contractive है।
- यह वातपित्त, कफ, घाव, कोढ़, और विसर्प नाशक है।
- यह तासीर में गर्म है।
- यह रक्तस्राव को रोकती है।
- यह एसट्रिनजेंट / संकोचक है।
- फिटकरी की भस्म का सेवन छाती में जमे कफ को निकालती है।
- यह विष नाशक है। सांप काटने पर तुरंत ही, फिटकरी की भस्म (1 gram) को घी (60 gram) में मिलाकर लेने से ज़हर का आगे बढ़ना रुक जाता है।
फिटकरी के चिकित्सीय प्रयोग
फिटकरी को बाहरी तथा आंतरिक दोनों तरह से प्रयोग किया जाता है। बाहरी रूप से पानी में डुबा कर खून बहने वाली जगह पर मल लेने से खून का बहना रुक जाता है। फिटकरी को लगाने से संक्रमण भी नहीं होता।
खाने या आंतरिक प्रयोग के लिए फिटकरी की बहुत कम मात्रा प्रयोग की जाती है। आंतरिक प्रयोग के लिए हमेशा शुद्ध फिटकरी ही प्रयोग की जानी चाहिए। आग में फुला देने से फिटकरी शुद्ध हो जाती है। इसे तवे पर रख कर फुला कर, खील बना कर, महीन पीस लेने के बाद आंतरिक प्रयोग में ला सकते हैं।
१. नाक से खून आना nose bleed, naksir
गाय के दूध में थोड़ी सी फिटकरी घोल कर नाक में कुछ बूंदे टपकाने से नाक से खून बहना रुकता है।
२. चोट लगने से खून बहना, कटने से खून बहना Bleeding from cut
फिटकरी का टुकड़ा या चूरा प्रभावित जगह पर लगायें।
३. योनि की शिथिलता, फ़ैल जाना slackness of vagina
२ ग्राम फिटकरी को पानी में १०० मिलीलीटर पानी में घुला कर, रोज़ योनि माग का प्रक्षालन करने से योनि मार्ग को सिकोड़ने में मदद होती है।
४. रक्तपित्त bleeding disorders
फिटकरी को १२५ मिलीग्राम की मात्रा में ३ ग्राम चीनी के साथ मिला कर खाने से लाभ होता है।
५. आँखों से पानी आना, लाली, कीचड़, पकना, दुखना, सूजन diseases of eyes
50 ml गुलाब जल में 500-600 mg, फिटकरी घोलकर रख लें। इसे कुछ बूंदों में आँखों में डालने से लाभ होता है।
६. मजबूत दांत strengthening teeth
फिटकरी के चूरे को मौलश्री छल के चूर्ण में मिलाकर दांतों पर मलने से दांत मजबूत होते हैं।
७. दांत दर्द, दांत में मवाद, मुंह में लिसलिसापन tooth ache, stickiness in mouth
सेंधा नमक और फिटकरी के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते है, दांत दर्द से राहत मिलती है।
८. दांतों के रोग dental diseases
सरसों तेल में फिटकरी चूर्ण मिलाकर दांतों की मालिश करें।
९. दन्त मंजन tooth powder
दन्त मंजन बनाने के लिए फुलाई हुई फिटकरी + हल्दी + सेंधा नमक + त्रिफला + नीम की पत्तियां + बबूल की छाल (प्रत्येक 100 gram) तथा 20 ग्राम लौंग का पाउडर मिला लें। इसे दिन में दो बार प्रयोग करने से पायरिया, मुंह की दुर्गध, दांतों का दर्द, कमजोरी, सेंसिटिवटी आदि दूर होते हैं।
१०. शीतपित्त urticaria
शुद्ध फिटकरी का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दूध या पानी के साथ लें।
११. दाढ़ी बनाते समय कट जाना cut in shaving
फिटकरी को कट पर पानी लगाकर लगाने से कट से खून निकलना बंद होता है।
१२. बवासीर में मस्से hemorrhoids
बवासीर के मस्सों पर फिटकरी का लेप लगाने से लाभ होता है।
१३. अंदरूनी चोट के लिए internal injuries
एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच शुद्ध फिटकरी का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।
१४. पेशाब में खून जाना, गुदा से खून जाना blood in urine
आधा चम्मच शुद्ध फिटकरी का चूर्ण, आधा चम्मच मिश्री के साथ मिलाकर लें।
१५. विषम ज्वर, मलेरिया का बुखार intermittent fever
चौथाई या आधा चम्मच फिटकरी भस्म, समभाग मिश्री के साथ, २-४ घंटे के अंतराल पर लेना चाहिए।
१६. पेचिश, अतिसार, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर loose motions, dysentery, bleeding piles, abnormal uterine bleeding
फिटकरी भस्म आधा चम्मच की मात्रा में मुनक्के / दही के साथ लें।
१७. मुंह / जीभ पर छाले, टांसिल mouth blisters, tonsillitis
फिटकरी के पानी से कुल्ला करें।
१८. जहरीले कीटों (बर्रे, मधुमक्खी), बिच्छु, आदि के काटने पर insect stings
गर्म पानी के साथ फिटकरी पीस कर, प्रभावित जगह पर लगाएं।
१९. मूत्रकृच्छ painful urination
गर्म करके फुलाई और पीसी हुई फिटकरी १ ग्राम की मात्रा में फंकी की तरह लेने से और फिर दूध पीने से पेशाब में दर्द आदि दूर होता है।
२०. खांसी, कुक्कुर खांसी whooping cough
फुलाई फिटकरी को 500 mg-1 gram की मात्रा में दिन में तीन बार लेने से कफ, खांसी दूर होते हैं।
फिटकरी को आमतौर पर बाहरी प्रयोग के लिए ही प्रयोग किया जाता है। बाहरी प्रयोग से किसी भी तरह की हानि नहीं है। लेकिन आंतरिक प्रयोग में सावधानी रखने की ज़रूरत है। आंतरिक प्रयोग के लिए केवल उपयुक्त फिटकरी (शुद्ध या भस्म) ही प्रयोग की जानी चाहिए और वो भी बहुत ही कम मात्रा में। अधिक मात्रा में प्रयोग फेफड़े, आँतों और पेट के लिए नुकसानदायक है।
बहुतखूब/ ह्रदयग्राही !!!! केवल आयुर्वेद!!!!