Arthritis | आर्थराइटिस (गठिया) जानकारी, दवाएं और खान-पान

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आर्थराइटिस आजकल आम है और करीब 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस और संबंधित बीमारियाँ हैं। किसी भी उम्र, लिंग के लोग आर्थराइटिस के शिकार हो सकते हैं। इससे प्रभावित लोगों में महिलाओं और अधिक उम्र के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है।

आर्थराइटिस के कॉमन लक्षणों में सूजन, दर्द, कठोरता और गति की कमी शामिल होती है। ये लक्षण हल्के, मध्यम या गंभीर हो सकते हैं। यह स्थिति एक्यूट/नई या पुरानी/क्रोनिक हो सकती है। गंभीर आर्थराइटिस के कारण दर्द, सूजन, दैनिक गतिविधियों को करने में असमर्थता और सीढ़ियों पर चलना या चढ़ना मुश्किल होता है। आर्थराइटिस होने पर जोड़ों में स्थायी परिवर्तन पैदा हो सकते हैं जैसे कि उंगली के जोड़ों में बदलाव, लेकिन यह नुकसान केवल एक्स-रे पर देखे जा सकते है। कुछ प्रकार के आर्थराइटिस में हृदय, आँखें, फेफड़े, गुर्दे और त्वचा भी प्रभावित हो जाते है।

आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकार TYPES OF ARTHRITIS

आर्थराइटिस में जोड़ों की सूजन, दर्द और स्टिफनेस होती है। जोड़ों में अक्सर लाली और गर्माहट देखी जा सकती है। इसमें जोड़ और जोड़ के आसपास के ऊतक प्रभावित हो जाते हैं। आर्थराइटिस के प्रकार, जैसे की ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीयड गठिया, फाइब्रोमायल्गिया, गाउट, आदि के आधार पर विशिष्ट लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

आर्थराइटिस के लक्षणों में शामिल है

  1. दर्द,पीड़ा
  2. कठोरता
  3. सूजन
  4. लाली
  5. चलने-फिरने में दिक्कत

संधिवात Degenerative Arthritis (Sandhivata)

ऑस्टियोआर्थराइटिस Osteoarthritis आर्थराइटिस का सबसे आम प्रकार है। इसमें कार्टिलेज, जो की हड्डियों के जोड़ों की बीच कुशन की तरह काम करता है, घिस सा जाता है जिससे हड्डियाँ आपस में टकराने लगती है और परिणामस्वरूप दर्द, सूजन और स्टिफनेस हो जाती है।

समय के साथ, जोड़ों की ताकत कम हो सकती है और दर्द गंभीर हो सकता है। इसके रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं, मोटापा, पारिवारिक इतिहास, आयु और पिछली चोट (उदाहरण के लिए एक पूर्वकाल क्रूसीएट लिगमेंट) शामिल हैं।

ओस्टियोर्थराइटिस सक्रिय रहने, स्वस्थ वजन बनाए रखने और चोट आदि से बचाव से बार-बार होने वाले दर्द, सूजन से बचा जा सकता है।

आमवात Inflammatory Arthritis (Amavata)

एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली healthy immune system सुरक्षात्मक proactive है और यह संक्रमण से छुटकारा पाने और रोग को रोकने के लिए आंतरिक सूजन उत्पन्न करता है। लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली गड़बड़ हो सकती है और गलती से जोड़ों पर हमला कर अनियंत्रित सूजन कर सकती है।

इम्यून सिस्टम का यह अटैक शरीर के आंतरिक अंग, आंखों और अन्य भागों को नुकसान पहुंचा सकता है। रुमेटीयस आर्थराइटिस और सोरियाटिक आर्थराइटिस Rheumatoid arthritis and psoriatic arthritis सूजन वाले आर्थराइटिस के उदाहरण हैं। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारकों genetics and environmental factors से इन्फ्लेमेटरी आर्थराइटिस हो सकता है।

धूम्रपान संधिशोथ आर्थराइटिस को बढ़ा सकता है। ऑटोइम्यून और सूजन वाले आर्थराइटिस में autoimmune and inflammatory types of arthritis, शीघ्र निदान और उपचार महत्वपूर्ण है। रोग के गति को धीमा कर जोड़ों को होने वाली स्थायी क्षति को कम करने में मदद मिल सकती है।

संक्रामक आर्थराइटिस Infectious Arthritis

जीवाणु, वायरस या कवक जोड़ में जाकर सूजन दर्ज कर सकते हैं। जीवों के उदाहरण जो जोड़ों को संक्रमित कर सकते हैं, साल्मोनेला और शिगेला (भोजन विषाक्तता या संदूषण), क्लैमाइडिया और गोनोरिया (यौन संचरित रोग) और हेपेटाइटिस सी (रक्त से रक्त संक्रमण, अक्सर साझा सुई या संक्रमण के माध्यम से) आदि। कई मामलों में, एंटीबायोटिक दवाओं के साथ समय पर उपचार संक्रमण को साफ कर सकता है, लेकिन कभी-कभी आर्थराइटिस क्रोनिक हो जाता है।

गठिया – मेटाबोलिक आर्थराइटिस – Gouty Arthritis – Metabolic Arthritis (Vata Rakta)

यूरिक एसिड मानव कोशिकाओं और कई खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले प्युरिन के टूटने से बनता है। कुछ लोगों में यूरिक एसिड स्वाभाविक रूप से अधिक बनता है। कुछ लोगों में यूरिक एसिड सुई की तरह क्रिस्टल बनाता है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों के दर्द, या गाउट, सूजन आदि लक्षण प्रकट होते हैं। यदि यूरिक एसिड का स्तर कम नहीं होता, तो यह गंभीर हो सकता है, जिसके चलते चल रहे दर्द और विकलांगता हो सकती है।

आर्थराइटिस निदान | DIAGNOSING ARTHRITIS

आर्थराइटिस का निदान शारीरिक परीक्षा, रक्त परीक्षण और इमेजिंग स्कैनद्वारा होता है। आर्थराइटिस विशेषज्ञ, रुमेटोलॉजिस्ट, आर्थोपेडिक सर्जन आदि इस फील्ड के विशेषज्ञ होते है।

आर्थराइटिस का इलाज TREATMENT OF ARTHRITIS

आर्थराइटिस के उपचार का लक्ष्य दर्द कम करना, कार्य सुधारना और आगे जोड़ों को होने वाले नुकसान को रोकना है।

इसके होने के कारणों को अक्सर ठीक नहीं किया जा सकता है।

जीवन शैली में परिवर्तन LIFESTYLE CHANGES

जीवनशैली में बदलाव पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य प्रकार के जोड़ों की सूजन के लिए मुख्य उपचार है। व्यायाम से जोड़ों की स्टिफनेस से राहत मिल सकती है। यह दर्द और थकान को कम करने और मांसपेशियों और हड्डी की ताकत में सुधार करने में भी मदद कर सकता है।

व्यायाम में शामिल हो सकते हैं:

  1. चलना / वाकिंग
  2. लचीलेपन के लिए व्यायाम
  3. मांसपेशी को टोन करने का प्रशिक्षण

अन्य शारीरिक उपचार में शामिल है:

  1. हीट या आइस से सेंक
  2. जल उपचार/वाटर थेरपी
  3. मालिश

अन्य उपयोगी सुझाव:

  1. पूरी नींद लें। रात में 8 से 10 घंटों तक की नींद लेने से सूजन, दर्द में लाभ होता है।
  2. एक स्थान में बहुत लंबे समय तक रहने से बचें।
  3. स्थिति या गतियाँ से जो जोड़ों पर अतिरिक्त तनाव डालते हैं से बचें।
  4. तनाव-कम करने की ध्यान, योग, करें।
  5. फलों और सब्जियों युक्त आहार खाएं, जिसमें महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज होते हैं, विशेषकर विटामिन ई हो।
  6. शराब और धूम्रपान न करें।
  7. जोड़ों पर कैप्सैसिइन क्रीम capsaicin cream लगायें । क्रीम को 3 से 7 दिनों तक लगाने के बाद आपको सुधार हो सकता है।
  8. वजन कम करें।

जीवन शैली में बदलाव के साथ दवाओं भी प्रयोग की जा सकती है जो की डॉक्टर के निर्देशानुसार ही ली जानी चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार दवाएं और खान-पान

आर्थराइटिस को आयुर्वेद में वात अथवा वायु का रोग माना गया है। वायु का प्रकोप कुछ मौसमों में जैसे की बारिश-सर्दी में बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त बहुत अधिक गुस्सा, अधिक भूखा रहे, खून- वीर्य के अधिक स्राव, हड्डी के टूट जाने, रात भर जगे रहने से, शारीरिक वेगों को रोकने, अधिक स्ट्रेस में रहने, ठन्डे-नम स्थान पर रहने और पाचन की विकृति से संधि शोथ और दर्द होता है।

पाचन की विकृति से शरीर में आम दोष बढ़ जाता है और जब यह वायु से मिल जाता है तो संधियों में दर्द रहने लगता है और यह आमवात कहलाता है। आमवात में रुमेटोइड आर्थराइटिस और गठिया/गाउट आते हैं। गाउट को आयुर्वेद में वातरक्त कहते हैं।

असंतुलित भोजन, पालिश की चावल, बिना चोकर के आटे, मैदा, चीनी, तली-भुनी चीजें, चाट, मांस-मछली-अंडे के सेवन से रक्त में एसिडिटी बढ़ जाती है। रक्त के एसिडिक हो जाने पर गठिया की स्थिति हो जाती है।

खट्टे पदार्थ, मन्दाग्नि, फैटी खाने से जोड़ों का दर्द बढ़ता है। लेकिन कटु, तिक्त, रूक्ष, दीपन-पाचन पदार्थों का सेवन जोड़ों के दर्द को कम करता है।

रुमेटोइड आर्थराइटिस के होने का कारण आयुर्वेद में विरुद्ध आहार का सेवन, खाने के बाद व्यायाम माना जाता है। विरुद्ध आहार में शामिल है दूध के साथ खट्टा या नमक, दूध के साथ मछली आदि। मांस-मदिरा का सेवन भी बहुत हानिप्रद है। रात को देर से सोना, गलत उठने-बैठने का तरीका, अनुचित भोजन का सेवन, व खराब जीवनशैली सभी आर्थराइटिस करने के लिए जिम्मेदार हैं।

  1. जब शरीर में वात का ज्यादा प्रभाव हो तो उपवास करें।
  2. प्रतिदिन व्यायाम करें और भ्रमण पर जाएँ जिससे पसीना आये।
  3. कूलर के सामने न रहें। नमी युक्त जगह पर न रहे। धूप रहित नम स्थान पर रहने से वात प्रकुपित होगा।
  4. जब जोड़ों में दर्द और सूजन हो तो उस पर नमक वाला गर्म पानी डालें और सरसों के तेल में नमक मिलाकर मालिश करें।
  5. भूख न लगे या कम लगे तो भोजन न करें।
  6. दोपहर का खाना बारह बजे तक कर लें।
  7. ताजे फलों का सेवन करें।
  8. सप्ताह में एक दिन उपवास रखें। उपवास वाले दिन नींबू का रस मिला पानी, फल का रस, नारियल पानी पियें।
  9. मछली, अंडा, मांस, घी, मक्खन, छेना, मिठाई, बिस्कुट, आदि का सेवन न करें।
  10. चाय, काफी, बीड़ी, सिगरेट, चूना, तम्बाकू, शराब अथवा किसी भी अन्य मादक पदार्थ का सेवन न करें।
  11. चावल और रोटी कम मात्रा में खाएं।
  12. आर्थराइटिस में चावल को कम मात्रा में ही खाना चाहिए तथा अन्य आनाज जैसे की गेंहू, मक्का, जौ आदि ज्यादा मात्रा में खाना चाहिए।
  13. दाल-सब्जी, फल, हरी सब्जी, तथा सात्विक भोजन करें।
  14. हरी सब्जी में करेला, लौकी, सहजन, हरा पपीता, तोरी, परवल शामिल करें।
  15. भिन्डी, कटहल, कद्दू का सेवन न करें।
  16. गठिया में खट्टे पदार्थ का सेवन (अनार, आंवला छोड़) न करें।
  17. भोजन में सोंठ, काली मिर्च, जीरा, लवंग और दालचीनी को शामिल करें।
  18. चने, राजमा, माष/उड़द का सेवन बिलकुल न करें।
  19. तले भोजन का सेवन न करें।
  20. मछली-अंडे न खाएं।
  21. बासी, ठण्डा, गरिष्ठ भोजन न करें।
  22. ज्यादा नमकमीठा न खाएं।

निम्नलिखित औषधीय द्रव्यों को संधिशोथ और दर्द में प्रयोग किया जाता है:

  1. अमृता Amrita (Tinospora cordifolia)
  2. शुण्ठी Ardraka (Zingiber officinale)
  3. भल्लाटक Bhallataka (Semicarpus anacardium)
  4. एरण्ड Eranda (Ricinus communis)
  5. गुग्गुलु Guggulu (Commiphora wighty)
  6. हल्दी Haridra (Curcuma longa)
  7. कटुकी Katuka (Picrorrhiza kurroa)
  8. निर्गुण्डी Nirgundi (Vitex nigundo)
  9. रसना Rasna (Pluchea lanceolata)
  10. रसोन Rasona (Allium sativum)
  11. मुलेठी Yastimadhu (Glycyrrhiza g)

आयुर्वेद में महायोगराज गुग्गुल को 250 mg की मात्रा में गर्म दूध या पानी के साथ खाली पेट रुमेटोइड आर्थराइटिस/रूमेटिज्म, में दिया जाता है। महारस्नादी काढ़ा, पुनर्नवा गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल, अमृतादि गुग्गुल अन्य महत्वपूर्ण औषधियां है जो की संधिशोथ और दर्द में लाभप्रद है।

इसके अतिरिक्त रस औषधियां जो की डॉक्टर के निर्देशन में ली जाती हैं में शामिल है, बृहत् वातचिंतामणि रस और आमवातारी रस।

गठिया या गाउट में कैशोर गुग्गुल को दो गोली की मात्रा में दिन में तीन बार, महामंजिष्ठ काढ़ा के साथ दिया जाता है। रस्नादी काढ़ा भी दिया जा सकता है। गठिया होने का कारण जोड़ों में यूरिक एसिड का जमा होना है।

गठिया में गिलोय का सेवन काढ़े, एक्सट्रेक्ट की तरह किया जाना चाहिए। अमृतादि गुग्गुल को दो गोली की मात्रा में दिन में तीन बार लिया जा सकता है।

गठिया के एक्यूट लक्षणों में पञ्चतिक्त घृत, दो टीस्पून की मात्रा में खाली पेट गर्म दूध में मिला कर देते हैं। इसे पंद्रह दिनों तक ले सकते हैं उसके बाद इसे नहीं ली चाहिए। यदि कब्ज़ हो तो रात को सोने से पहले हरीतकी चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।

बाह्य रूप से मालिश के लिए गुडूच्यादी तेल प्रयोग किया जाता है।

ओस्टोआर्थराइटिस में, योगराज गुग्गुल को त्रिवृतादी काढ़े के साथ 2 गोली की मात्रा में दूध के साथ लेते हैं। बाह्य रूप से पञ्चगुण तेल लगाया जा सकता है। महायोगराज गुग्गुलु, लाक्षादि गुग्गुल तथा वात गजनकुश रस भी अन्य उपयोगी दवाएं हैं।

  1. घरेलू उपचार
  2. हरीतकी का गुड़ के साथ सेवन करें।
  3. त्रिफला, गिलोय का सेवन करें।
  4. सोंठ, लवंग, लहसुन का काढ़ा बनाकर सेवन करें।
  5. लहसुन को शहद का सेवन खाने के साथ करें।
  6. रात को 2-5 ग्राम सोंठ को रात में पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट सेवन करें।
  7. मेथी दाने के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में सुबह-सुबह लें।
  8. लहसुन को तेल में गर्म कर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
  9. हरसिंगार / पारिजात, के 4-5 पत्ते पानी के साथ पीस लें और दिन में दो बार सुबह-शाम सेवन करें।
  10. एक टीस्पून दालचीनी पाउडर और दो चम्मच शहद, को एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो बार पियें।
  11. दिन में चार-छः लीटर पानी पियें।
  12. अश्वगंधा के चूर्ण का सेवन करें।

एलोपैथिक दवाइयां Allopathic MEDICINES

ओवर-द-काउंटर दवाइयां:

एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) Acetaminophen अक्सर पहली दवा की होती है जो की जोड़ों के दर्द में दी जाती है। इसको प्रति दिन 3,000 मिलीग्राम, हर 8 घंटे पर, तक की मात्रा में दिया जाता है। अअधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह लीवर को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, एसिटामिनोफेन लेते समय शराब का सेवन नही करना चाहिए।

एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, या नेप्रोक्सीन Aspirin, ibuprofen, or naproxen नॉनटेरोएडियल एंटी-इन्फ्लोमैट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी) nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs) हैं जो गठिया दर्द को दूर कर सकती हैं। हालांकि, लंबे समय तक लगातार प्रयोग करने पर ये बहुत से दुष्प्रभाव डालती हैं। संभावित दुष्प्रभावों में शामिल है, दिल का दौरा, स्ट्रोक, पेट के अल्सर, पाचन तंत्र से रक्तस्राव, और किडनी को नुकसान।

प्रिस्क्रिप्शन दवाइयां:

कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स (“स्टेरॉयड”) Corticosteroids (“steroids”) सूजन को कम करने में सहायता करते हैं। वे दर्दनाक जोड़ों में इंजेक्शन या ओरली दिए जा सकते हैं।

Disease-modifying anti-rheumatic drugs (DMARDs) को ऑटोइम्यून गठिया का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मेथोटेरेक्सेट, सल्फासाल्जेन, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लेफ्लोनोमाइड methotrexate, sulfasalazine, hydroxychloroquine, and leflunomide शामिल हैं।

गाउट के लिए, एलोप्यूरिनोल, फ़ेबक्सोस्टेट या प्रोबेनेसिड allopurinol, febuxostat or probenecid का उपयोग यूरिक एसिड को कम करने के लिए किया जा सकता है।

सर्जरी और अन्य उपचार

कुछ मामलों में, अगर अन्य उपचारों ने काम नहीं किया है तो सर्जरी की जा सकती है जैसे जॉइंट रिप्लेसमेंट / टोटल नी रिप्लेसमें।

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