यार्सागुम्बा, चीन, तिब्बत व कोरिया के मेडिसिन सिस्टम में प्रयोग की जाने वाली एक पदार्थ है जो की कीड़े के कैटरपिलर और फंगस का एक दुर्लभ संयोग है। यह प्राकृतिक रूप से हिमालय में 4,500 मीटर की अधिक उंचाई पर पायी जाती है। क्योंकि यह बहुत ही दुर्लभ है इसलिये अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में इसकी कीमत बहुत अधिक है। हिमालयी क्षेत्रों में यार्सागुम्बा को अकेले ही या दूसरे घटकों के साथ विभिन्न रोगों में प्रयोग किया जाता है। सिक्किम में इसे हर रोग की दवा कहा जाता है।
यार्सागुम्बा को कोर्डिसेप्स साईनेंसिस Cordyceps sinensis, केटरपिलर फंगस, कीड़ा जड़ी, कीड़ा घास समेत बहुत से स्थानीय नामों से जाना जाता है। इसे अप्रैल से अगस्त में इकठ्ठा किया जाता है। यह जड़ी केवल समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सर्द, घास वाले हिमालय के पहाड़ों के अल्पाइन घास के मैदान क्षेत्रों में ही पाई जाती है।
यार्सागुम्बा, का नाम तिब्बती भाषा के शब्द, यार्सा (yarsa=winter) और गुंबा/गोंबा (gumba=summer) से लिया गया है। नेपाल में इसे कीरा झार कहते हैं। उत्तरी सिक्किम के लाचुंग और लाचेन क्षेत्र में यह बहुत लोकप्रिय है और इसे बहुमूल्य दीर्घायु देने वाली जड़ी बूटी की प्रतिष्ठा प्राप्त है।
यार्सागुम्बा को हिमालयन वियाग्रा कहते हैं और इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। केवल एक यार्सागुम्बा की कीमत करीब 7 डॉलर तक हो सकती है। एक किलो की मात्रा की कीमत तो लाखों रूपये तक हो सकती है।
ऐसा माना जाता है यार्सागुम्बा improves energy, appetite, stamina, libido, endurance, and sleeping patterns का सेवन ताकत, भूख, कार्य क्षमता, कामेच्छा, समेत बहुत से रोगों में लाभ कारी है। इसे मुख्य रूप से यौन क्षमता बढ़ाने के लिए पुरुषों के द्वारा खाया जाता है।
यार्सागुम्बा के बनने की प्रक्रिया How Yarsagumba is formed?
यार्सागुम्बा में दो जीव हैं, एक तो फंगस / कवक और दूसरा एक कीड़े का लार्वा।
कोर्डीसेप्स साइनेसिस, कवक/फंगस/मशरूम fungus Cordyceps sinensis है और कीड़ा घोस्ट मोथ Ghost moth है।
कोर्डीसेप्स साइनेसिस एक परजीवी मशरूम है और जीवित रहने के लिए घोस्ट मोथ Ghost moth (Hepialus humuli), कीड़े के लार्वा में रहती है।
घोस्ट मोथ केवल ठंडी जगहों पर पायी जाती है। इसके लार्वे मैगेट maggot like की तरह होते हैं और जमीन के अन्दर पौधों की जड़ों का खाते है। कीड़ों के जीवन चक्र में मुख्य पांच स्टेज या अवस्थाएं होती हैं। सबसे पहले तो उनके अंडे होते हैं जिससे लार्वा विकसित होते हैं। यह लार्वा फिर केटरपिलर में बदल जाते है। केटरपिलर से कूकोन बनते है फिर प्यूपा और सबसे बाद में पूर्ण विकसित कीड़ा। इसी प्रकार जब घोस्ट मोथ Ghost moth विकसित हो रहा होता है तो यह लार्वा larva की स्टेज पर परजीवी फंगस से इन्फेक्ट हो जाता है।
गर्मियों और पतझड़ के मौसम में व्यस्क परजीवी फंगस के एस्कोस्पोर ascospores हवा में निकलते है और घोस्ट मोथ के लार्वा जो की भूमिगत हैं, को इन्फेक्ट कर देते हैं। इन्फेक्शन के बाद फंगस उस जीवित कीड़े में उग जाते हैं। फंगस की सेल्स पूरे लार्वा में परिसंचरण तंत्र circulatory system के माध्यम से फ़ैल जाते है।
क्योंकि यह लार्वा भूमिगत होता है इसलिए यह लगातार जमीन खोदता रहता है और खड़ी सीधी अवस्था में आ जाता है। सर्दी आने तक फंगस कीड़े के सभी अंगों को खा जाती और कीड़े का केवा बाहरी कवच exoskeleton ही शेष रहता है।
इसके बाद फंगल कोशिकायें कीड़े के शरीर में कॉम्पैक्ट सफेद पदार्थ में बदल जाती हैं जिसे ऐंडोस्कीलेरोटियम endosclerotium कहते हैं। इसके बाद परजीवी फंगस सुप्त / डोरमेंट dormant हो जाती है जिससे यह बहुत कम तापमान में अपने को बचा सके।
जब बाहरी तापमान धीरे-धीरे वसंत में बढ़ने लगता है तो फंगस का ऐंडोस्कीलेरोटियम उगने germinate लगता है और मृत हो चुके लार्वा के सिर के हिस्से से धरती के बाहर निकल कर दिखने लगता है। यह हिस्सा स्ट्रोमा stroma कहलाता है तथा यह गर्मी के मौसम तक पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है। फिर इस परिपक्व फंगस के रीप्रोडूस reproduce होने के लिए एस्कोस्पोर ascospores fruiting bodies रिलीज होते है, जो की क्षेत्र के घोस्ट लार्वा के मोथ को फिर से इन्फेक्ट करते हैं और इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है। इस पूरी प्रक्रिया में एक साल का समय लग जाता है।
इस प्रक्रिया से जो बनता है वही यार्सागुम्बा है जो की जमीन की सतह के लगभग 6 इंच अन्दर मिलता है। इसका औसत वजन लगभग 300-500 मिलीग्राम है। इसे अप्रैल से अगस्त के महीने में स्थानीय लोगों के द्वारा इकठ्ठा कर लिया जाता है।
Synonyms
- Local: Yarsa gumba, Yarcha Gumpa
- Nepali: Keera Jhar, Jeevan Buti, Kida Ghass, Chyou Kira
- Chinese: Dong Chong xi cao
- Japanese: Tocheikasa
- Latin: Cordyseps sinesis
- English: Caterpillar fungus, Corsyseps mushroom
Health Benefits of Yarsagumba in Hindi
- यारसागुम्बा एनर्जी के मेटाबोलिज्म को प्रेरित करती है और liver सिरोसिस को रोकती है।
- यह पेशाब के साथ खून जाना या प्रोटीन जाना को रोकती है।
- यह प्लेटलेट को चिपकने से रोकती है।
- यह एंटीट्यूमर है और कैंसर में लाभप्रद है।
- यह इम्यून सिस्टम के काम को सही करती है।
- इसमें विटामिन्स, प्रोटीन, ट्रेस एलिमेंट समेत बहुत से पोषक पदार्थ होते हैं।
- यह किडनी, लीवर और फेफड़ो को ताकत देती है।
- यह यौन रोगों, यौन दुर्बलता, इरेक्टाइल डिसफंक्शन आदि को दूर करती है।
- यह इम्पोटेंस में फायदेमंद है।
- कमजोरी के दौरान इसका सेवन शरीर में ताकत, उर्जा देता है।
- यारसागुम्बा को विभिन्न रोगों जैसे की cancer, bronchial asthma, bronchitis, TB, diabetes, cough and cold, erectile dysfunction, BHP, jaundice, alcoholic hepatitis आदि में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। यह लीवर, किडनी और हृदय रोगों hepatic, renal, and cardiovascular में फायदा करती है।
- नेपाल, गंगटोक के स्थानीय लोगों के द्वारा यार्सागुम्बा का एक पीस एक कप दूध के साथ सेक्सुअल पोटेंसी और कामेच्छा को बढ़ाने के लिए दिया जाता है।
- भूटिया लोग एक यार्सागुम्बा को पानी या चांग (लोकल अल्कोहल) में रात में भिगोकर अगली सुबह टॉनिक के रूप में लेते हैं। डायबिटीज और पुराने रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
सावधानियां Caution
- कुछ लोगों में इसका प्रयोग सांस लेने की तकलीफ, सीने में जकड़न, छाती में दर्द, त्वचा पर रैश और अन्य एलर्जी के लक्षण पैदा कर सकता है।
- यह रक्त में शुगर लेवल को कम कर सकती है।
- यह पेट की गड़बड़ी कर सकती है।
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