सूर्य तेज, प्रकाश और ताप का पर्याय है. यह धरती पर रौशनी, ऋतु परिवर्तन और जीवन का कारण है. इसमें असीमित शक्ति है. यह प्रचंड है. इसी के तेज से ये पूरी पृथ्वी दीप्तिमान है. सूर्य को स्वास्थ्य और दीर्घ आयु का देवता भी माना गया है. प्राचीन समय से ही सूर्य की पूजा की जाती है.
शरीर में इसी तेज, उर्जा और शक्ति के संचरण के लिए जिस योगासन का अविष्कार किया गया वही ‘सूर्य नमस्कार’ है. इसका अभ्यास सुबह खाली पेट सूर्य की ओर मुंह करके किया जाता है. जिस प्रकार सूर्य पूरे वर्ष बारह राशियों से गुजरता है उसी प्रकार सूर्य नमस्कार में भी बारह क्रियाएँ है. इन सभी क्रियाओं का नाम राशियों के नाम की ही तरह भिन्न है. इस आसन को भी प्रतिदिन बारह बार करने का विधान है.
सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास शरीर और मन दोनों को सकारात्मक रूप से प्रभाबित करता है और एक तेज देता है. सूर्य नमस्कार बारह आसनों योग आसनों और श्वास लेने का मिला-जुला रूप है. सूर्य नमस्कार को ग्रंथो में \’सर्वव्याधिविनाशनम\’ अर्थात सब रोगों को दूर करने वाला कहा गया है. यह शरीर के हर अंग को गतिशील और क्रियाशील कर देता है.
सूर्य नमस्कार के फायदे Benefits of Surya Namaskaar
- सूर्य नमस्कार करने से शरीर गठीला, चुस्त, और निरोगी बनता है. इससे शरीर के अन्दर रोग के कीटाणु नष्ट होते हैं. इससे मन एकाग्र होता है और नेत्रों की ज्योति बढ़ती है.
- यह शरीर के सभी अंगो, मांसपेशियों और नसों को क्रियाशील बनाता है. इसके अभ्यास से शरीर लचीला बनता है. यह शरीर की सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियों, जैसे पिट्युटरी, थायराएड, पैराथायराएड, एड्रीनल, लीवर, पैंक्रियास को क्रियाशील और शशक्त बनता है.
- यह आसन करने से मधुमेह diabetes में लाभ होता है क्योंकि इसकी कुछ मुद्राओं से पेट पर दबाव बढता है और इन्सुलिन insulin के स्राव में मदद मिलती है.
- यह आसन मांसपेशियों, श्वास-संस्थान Respiratory System, और स्नायु तंत्र Nerves को मजबूत करता है. यह फेफड़ों lungs में अधिक सांस भर सकने के कारण और पूरे शरीर में अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है. यह रक्त को शोधित करता है और हृदय रोगों में भी लाभकारी है.
- यह पुरे शरीर को साफ़ करता है और मजबूत बनाता है जिससे भिन्न रोगों जैसे खांसी, जुखाम, चमड़ी के रोगों में लाभ होता है.
- इस को करने से पेट की चर्बी abdominal fat कम होती है और रीढ़ सीधी होती है. यह पैरों, हाथ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
- यह बहुत से स्त्री रोगों (लिकोरिया, मासिक धर्म की समस्याओं) को दूर करता है, गर्भाशय को स्वस्थ्य करता है एवं कमर पर जमी चर्बी को हटाता है.
- यह कब्ज़ constipation , भूख न लगना में विशेष प्रभावकारी है. पाचन समस्याओं digestive problems, जैसे गैस, अपच, भूख न लगना आदि में भी यह लाभकारी है. यह मोटापे को दूर रखता है
- मानसिक तनाव stress, अवसाद depression, घबराहट anxiety आदि में भी यह फायदेमंद है. यह शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है
- यह अभ्यास सभी के द्वारा किया जाना संभव है. अभ्यास से इसे कई बार किया जा सकता है.
शुरुवात में इसे एक या आधे चक्र तक ही करें, और धीरे-धीरे चक्रों की संख्या क्षमता के अनुसार बढ़ाते जाएँ. इस आसन को 5 से लेकर 50 बार तक किया जा सकता है. थकावट होने पर या बहुत पसीना आने पर रुक जायं.
- आसनो का अभ्यास, सूर्य नमस्कार से शुरू करना चाहिये. इसे शरीर गतिशील हो जाता है.
- इस आसन को एकाग्रता के साथ करें.
- इस आसन का अभ्यास सुबह खाली पेट करें और अभ्यास के आधा घंटा बाद ही कुछ खाएं.
कौन लोग इसे न करें
- इसे गर्भावस्था और मासिक धर्म में न करें.
- फ्रोज़न शोल्डर की समस्या में इसे न करें.
- साइटिका, स्लिप डिस्क, spondylitis, में भी इसे न करें.