बकरी के दूध का प्रयोग पीने और भिन्न रोगों के उपचार में होता आया है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम की उच्च मात्रा पाई जाती है। बकरी का दूध आसानी से पच जाता है।
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भिन्न प्रजातियों के पशुओं के दूध के बारे में जानकारी दी गई है जैसे की गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट, हाथी, गधा, घोड़ा आदि। प्रत्येक के अलग-अलग गुण है और ज़रूरत के अनुसार ही प्रत्येक का इस्तेमाल है। बकरी के दूध का प्रयोग पीने और भिन्न रोगों के उपचार में होता आया है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम की उच्च मात्रा पाई जाती है। बकरी का दूध आसानी से पच जाता है। यह शिशुओं के लिए माँ के दूध के ही तुल्य है।
जब किसी कारणवश माँ का दूध नहीं उपलब्ध होता या वह कम मात्रा में बनता है तो शिशु को बकरी का दूध पिलाया जाता है। बकरी के दूध में प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, फैटी एसिड और बहुत से लाभकारी यौगिक शामिल होते हैं। इसे बहुत से रोगों से बचने और कई रोगों का उपचार के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। बकरी के दूध का उत्पादन वैश्विक दुग्ध उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है।
बकरी के दूध को डेंगू बुखार के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है।
डेंगू बुखार में बकरी का दूध | Use of Goat milk in Dengue Fever in Hindi
डेंगू बुखार एक वायरल रोग है जो की एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण या मध्य अमेरिका, मैक्सिको, कैरेबियन और उष्णकटिबंधीय और कटिबंधीय क्षेत्रों के कई अन्य देशों में पाया जाता है। एलोपैथी में, डेंगू का कोई उपचार नही है। पेरासिटामोल बुखार को कम करने के लिए निर्धारित है और अन्य उपचार रोग की दशा पर दिये जाते है।
आयुर्वेद में डेंगू बुखार के लिए गिलोय, पपीता पत्ते, एलोवेरा/मुसब्बर वेरा का रस और बकरी का दूध दिया जाता है।
बकरी का दूध डेंगू में लाभकारी है:
Goat milk is beneficial in dengue fever due to following properties
- यह आसानी से पच जाता है।
- यह शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखता है। यह पानी और एलेक्ट्रोलाईटस की कमी नहीं होने देता।
- डेंगू बुखार के मुख्य जटिलताएँ हैं सेलेनियम Selenium की कमी है और प्लेटलेटों platelets में कमी।
सेलेनियम सबसे आवश्यक माइक्रोन्यूटरिएंट है। यह लगभग 25 प्रोटीनों का हिस्सा है। सेलेनियम प्रतिरक्षा प्रणाली immunity को नियंत्रित करता है। यह वायरस को शरीर में बढ़ने से virus replication रोकता है। सेलेनियम बकरी के दूध का मुख्य घटक है। बकरी और गाय के दूध की तुलना पर यह देखा गया की, बकरी के दूध में गाय के दूध की तुलना में लगभग 35% ज्यादा सेलेनियम है।
बकरी का दूध लोहे, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम का शरीर में अवशोषण बढ़ा देता है। Improves absorption of minerals.
डेंगू बुखार के इलाज के लिए बकरी का दूध बहुत उपयोगी है क्योंकि यह सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, ऊर्जा देता है, शरीर में जरूरी तरल की आपूर्ति करता है और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता।
डेंगू बुखार, में ठंडा, ताजा बकरी का दूध, 250 मिलीलीटर की मात्रा में एक दिन में दो बार दिया जाता है।
बकरी के दूध के आयुर्वेदिक गुण | Ayurvedic Properties of Goat milk in Hindi
बकरी छोटे शरीर वाली होती है। यह चरपरे और कडवे पदार्थों का सेवन करती है। यह थोडा ही पानी पीती है और घूमने-फिरने का अधिक परिश्रम करती है । इस कारण बकरी का दूध सम्पूर्ण रोगों को दूर करने वाला है।
आयुर्वेद में बकरी के दूध के निम्नलिखित गुण बताये गए हैं:
- कसैला, मधुर sweet
- ग्राही, हल्का light to digest
- शीतल Cooling in potency
बकरी का दूध रक्तपित bleeding disorders, अतिसार diarrhea, क्षय, खांसी coughing, तथा ज्वर fever का नाश करता है।
बकरी के दूध के स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Goat’s milk
- यह आसानी से पच जाता है। बकरी के दूध में लिपिड कण गाय के दूध में काफी छोटे होते हैं। बड़ी संख्या में छोटे व्यास के साथ वसा ग्लोबुल्स होने से बकरी का दूध अधिक सुपाच्य होता है।
- इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फोस्फोरस की उच्च मात्रा होती है।
- यह पॉलीअनसेचुरेटेड वसा PUFA की उच्च मात्रा है। यह LDL एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
- बकरी का दूध शरीर प्रतिरोधक क्षमता immunity को बढ़ाता है और एलर्जी allergy का उपचार करता है ।
- बकरी का दूध ज्यादा सफ़ेद होता है। ये इसलिए की इसमें विटामिन ए की मात्रा ज्यादा होती है। विटामिन ए प्रतिरक्षा और एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है।
- बकरी के दूध में पोटेशियम, कैल्शियम, क्लोराइड, फास्फोरस, सेलेनियम, जिंक और तांबा गाय के दूध की तुलना में ज्यादा होते है।
- यह आंत्र सूजन को कम करने और कोलाइटिस से राहत देता है।
- बकरी से प्राप्त दूध हृदय रोग, जठरांत्र रोगों और एलर्जी की रोकथाम में मददगार है। यह पाचन विकार, दमा, अल्सर, एलर्जी, सूजन आंत्र रोग (IBD),सूखा रोग, क्षय रोग, Crohn´S रोग और बृहदांत्रशोथ में लाभकारी है।