जल या पानी, सभी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है। पानी को दो प्रकार में बांटा जा सकता है, मृदु जल / सॉफ्ट वाटर (साबुन के साथ रगड़े जाने पर आसानी से अधिक झाग उत्पन्न करता है,) जैसे की वर्षा का जल और कठोर जल / हार्ड वाटर (साबुन के साथ रगड़े जाने पर झाग नहीं बनाता) जैसे की जमीन के अन्दर का जल।
यदि पानी में घुले मग्निसियम और कैल्शियम की मात्रा 0-61 mg प्रति लीटर है तो यह मृदु या सॉफ्ट वाटर है। लेकिन 60mg/l, से ऊपर होते ही पानी की कठोरता बढ़ती जाती है। 61-120 mg/l पर यह मध्य कठोर, 121-180 mg/l पर कठोर और >180 mg/l, पर यह बहुत कठोर जल कहलाता है।
कठोर जल, बर्तन, कूलर, पाइप्स, बाथरूम फिटिंग, शावर, आदि पर जम जाता है। पाइप्स पर जम जाने के कारण वे कुछ समय में जाम होने लगती है। जब उनमें बहुत सा मिनरल डिपोजिट हो जाता है तो उन्हें बदलने की ज़रूरत भी पड़ती है। यदि पानी हार्ड है तो साबुन की खपत भी बढ़ जाती है। नहाना, बाल धोना भी इससे मुश्किल होता है।
जल की कठोरता
पानी जिसमें क्लोराइड, सल्फाइड के लवण, कैल्शियम और मग्निशियम के कार्बोनेट और बाईकार्बोनेट, मौजूद होते हैं उसे कठोर जल या हार्ड वाटर कहते हैं। कार्बोनेट और बाईकार्बोनेट होने के कारण ही ऐसा जल साबुन के साथ झाग नहीं बनाता क्योंकि ये यौगिक साबुन के साथ नहीं घुलते। जल की कठोरता दो प्रकार की होती है, स्थायी और अस्थाई।
अस्थाई कठोरता: यह पानी में कैल्शियम और मग्निशियम के कार्बोनेट और बाईकार्बोनेट के घुले होने के कारण से होती है। इसे सरलता से उबाल कर या चूने का पानी मिलकर दूर किया जा सकता है।
स्थाई कठोरता: यह पानी में कैल्शियम और मग्निशियम के क्लोराइड, सल्फाइड के लवण के घुले होने के कारण से होती है। यह उबाल कर दूर नहीं की जा सकती।
कठोर पानी को खाना बनाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए। बालों को इस पानी से धोने पर एक तो झाग नहीं बनता, दूसरा बाल कमजोर हो कर टूटने, झड़ने लगते है। उनकी चमक चली जाती है।
कठोर जल में यदि कपड़े धोते हैं तो, वे भी चमक खो देते हैं।
कठोर पानी का प्रभाव
जैसा की बताया जा चुका है, कठोर जल वह जल है जिसमें कैल्शियम और मग्निसियम आयन्स की अधिकता होती है। लेकिन इस तरह के जल में अन्य कई प्रकार के पदार्थ भी घुले हो सकते हैं। इसमें एल्युमीनियम, बेरियम, आयरन, जिंक, मैंगनीज आदि भी हो सकते हैं। भूमि की सतह पर पाए जाने वाले पानी में कम कठोरता होती है। जैसे जैसे पानी सतह से नीचे जाता है, इसमें कैल्शियम और मग्निसियम आदि घुल जाते हैं। इसलिए ग्राउंड वाटर अक्सर हार्ड वाटर होता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: हार्ड वाटर का स्वास्थ्य पर कोई विशेष बुरा प्रभाव नहीं होता। लेकिन अधिक साल्ट वाला पानी पीने से डायरिया, अपच आदि पाचन सम्बन्धी समस्याएं होती है।
बालों पर असर: कठोर जल से बाल धोने पर वह रूखे, बेजान हो जाते हैं। उनकी सही से सफाई न हो पाने से उनका झड़ना शुरू हो जाता है। बाल अनमनेजेबल हो जाते हैं।
कपड़ों पर असर: कठोर जल से कपड़े धोने पर, वे चमक खो देते हैं और कुछ समय में भद्दे हो जाते हैं।
कठोर जल का पेड़-पौधों पर प्रभाव
कठोर जल, पौधों के लिए भी अनपयुक्त है। यह पौधों को मार सकता है। पत्तों पर यदि यह पानी पड़ जाता है तो उनके छिद्र बंद हो जाते है। पत्ते आधे हरे-आधे सूखे से लगते है और धीरे-धीरे झड़ जाते हैं। पत्तों के नष्ट ही पूरा पौधा सूख जाता है। यदि पौधा जीवित भी रहता है तो उसकी ग्रोथ रुक जाती है। मिट्टी में पानी होते हुए भी यह पानी पौधों के लिए उपलब्ध नहीं होता क्योंकि यह कंपाउंड्स से जुड़ा होता है।
कठोर पानी के पेड़-पौधों पर दो प्रभाव होते हैं।
१. पानी में बहुत से साल्ट होने से, इस प्रकार का पानी पौधों द्वारा अवशोषण के लिए उपलब्ध नहीं रहता। पानी की कमी पौधों की वृद्धि को रोक देती है। पत्तों का रंग नीला-हरा सा हो जाता है।
२. यह पौधों पर सीधा टॉक्सिक प्रभाव डालता है। लवणों की अधिकता लीफ-बर्न के रूप में दिखाई देती है। मिट्टी में सोडियम और क्लोराइड की अधिकता पौधे या पेड़ को नष्ट कर देती है। मिट्टी में यदि घुलनशील साल्ट ज्यादा है तो इसमें अंकुरण ठीक से नहीं होता। अंकुरण होने पर सीडलिंग बढ़ता नहीं और नष्ट हो जाता है। ऐसी मिट्टी की पहचान है, उसका ग्रे सा रंग और भुरभुरा होना। मिट्टी के कण आपस में चिपकते नहीं हैं। लम्बे समय तक हार्ड वाटर का जमीन में प्रयोग उसे अनउपजाऊ कर देता है। ऐसा इसलिये होता है की पानी वाला भाग तो उड़ जाता है लेकिन साल्ट्स जमीन में ही रह जाते हैं।
पौधों के अच्छी वृद्धि के लिए मृदु या सॉफ्ट पानी ही उपयुक्त है।
कठोर जल में से अवांछनीय पदार्थों को निकालना \’वाटर सोफ्टेनिंग\’ कहलाता है। इसके लिए रिवर्स ओसमोसिस RO, आयन-एक्सचेंज रेसिन डिवाइस, डिस्टिलेशन, आदि प्रयोग किये जाते हैं।
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