लीची के सेवन के नुकसान Litchi can be Toxic in Hindi

लीची Litchi chinensis, Lychee, Litchi गर्मियों में मिलने वाला रस और स्वाद से भरा फल है। लीची सदाहरित वृक्ष है जो की विश्व के कई देशों में इसके स्वादिष्ट फलों के लिए उगाया जाता है। भारत समेत, लीची अमेरिका, अफ्रीका, मेडागास्कर, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि सभी जगह पर उगाई जा रही हैं।

यह चीन का मूल निवासी है। चीन के लोचू द्वीप में पाए जाने के कारण इसे लीची नाम मिला। पुराने चीनी साहित्यों में लीची के बारे में वर्णन मिलता है।

भारतवर्ष में लीची सत्रहवीं शताब्दी के आस-पास, चीन से मयन्मार होते हुए भारत आई। भारत के पूर्वी हिस्से से यह बंगाल में और फिर देश के कई हिस्सों जैसे की बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब में उगाई जाने लगी। लीची के बगीचे बिहार में बहुत पाए जाते हैं।

लीची के फलों को ताज़ा, जूस की तरह और सुखाकर आदि कई प्रकार से खाया जाता है। भारत में लीची बिहार में खूब उगाई जा रही है और मुज्जफरपुर की लीची तो विश्व प्रसिद्ध है। देश में लीची की पैदावार का 75 प्रतिशत यही से आता है। बिहार के अतिरिक्त लीची देहरादून में भी खूब उगाई जा रही है।

क्या आपको पता है की लीची के फल खाने से विषाक्तता poisoning भी हो सकती है और जान भी जा सकती है। सुनने में अजीब और अविश्वनीय लगता है। बहुत से लोग शायद इस बात पर विश्वास भी न करें। लेकिन यह बात बिलकुल सही है।

जून 2014, में मालदा और फिर बिहार के मुज्जफरपुर में बहुत से बच्चों की जान लीची खाने से चली गई। पहले तो वैज्ञानिकों को इसका सही कारण नहीं समझ आया। डॉक्टरों ने इस अचानक से होने वाले रोग को पहले वायरल एनसेफेलाईटिस viral encephalitis और बाद में एक्यूट एनसेफेलाईटिस सिंड्रोम acute encephalitis syndrome के रूप में गलत पहचान दी। लेकिन इस रोग के लिए जिम्मेदार कोई भी वायरस नहीं मिला है।

देखा गया की ज्यादातर बच्चे जो की इसका शिकार हुए, वे पूरी तरह से स्वस्थ्य थे और दिन भर लीची के बाग़ में खेल रहे थे। शाम को घर आकर बीमार लगने के कारण खाना उन्होंने खाना नहीं खाया था। अगले दिन, सुबह उन्हें सीज़र, बेहोशी तथा अन्य लक्षणों के कारण हॉस्पिटल ले जाया गया। उन में सभी में एक कॉमन चीज देखी गई की ब्लड ग्लूकोस लेवल बहुत कम था। कुछ में रक्त शर्करा का स्तर 8 mg/dL तक खतरनाक रूप से कम था। बीमारी के लक्षण encephalitis जैसे थे। इन्ही सभी पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए उन कारणों की खोज शुरू हुई जो बच्चों की इस बिमारी के पीछे थे।

भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध किया और अब इस शोध के परिमाण चौकाने वाले हैं।

According to a research study done by a team of researchers from US and India, and published in the medical journal The Lancet, it stated, “Our investigation suggests an outbreak of acute encephalopathy in Muzaffarpur associated with both hypoglycin A and MCPG toxicity”.

अमेरिका और भारत के शोधकर्ताओं Researchers from the US Center for Disease Control and Prevention and India’s National Centre for Disease Control  की एक टीम ने शोध किया है जिसे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित journal Lancet Global Health किया है। इसके अनुसार, यह कहा गया है, “हमारी जांच से यह पता चलता है की मुजफ्फरपुर में तीव्र मस्तिष्क विकृति encephalopathy, इनसिफलोपैथी का कारण लीची में पाया जाने वाला हाइपोग्लाइसिन A hypoglycin A और MCPG है। लीची में hypoglycin A / methylene cyclopropyl-alanine (MCPA) होता है। जो खून में रक्त शर्करा को तेज़ी से गिरा देता है। तेज़ी से गिरता हुआ ग्लूकोस का स्तर दिमाग के लिए बहुत हानिकारक है। यह स्थिति हाइपोग्लाईसिमिया Low Blood Glucose (Hypoglycemia) कहलाती है।

हाइपोग्लाईसिमिया / सामान्य से बहुट कम ब्लड शुगर लेवल होने पर निम्न लक्षण दिखते हैं:

  • खाने या पीने में असमर्थता Unable to eat or drink
  • आक्षेप, बेहोशी और ऐंठन Seizures or convulsions (jerky movements)
  • बेहोशी Unconsciousness आदि

वैज्ञानिकों ने पाया है कि लीची के फल खाने से और दिन भर भूखे रहने से, रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक कम (70 एमजी / डीएल से कम) हो जाता है। यही कम शर्करा का स्तर तीव्र मस्तिष्क विकृति का कारण है जिससे है एक्यूट इनसिफलोपैथी / हाइपोग्लाईसिमिक इनसिफलोपैथी होती है, दौरे पड़ते है provokes seizures and coma व्यक्ति को बेहोशी आती और जान चली जाती है।

बच्चों में यह अधिक खतरनाक है क्योंकि बच्चों में यकृत में जमा हुआ ग्लाइकोजन कम होता है। इसके अतिरिक्त बच्चे खाना भी कई बार नहीं खाते। खेलने में अधिक उर्जा भी खर्च होती है और खेलते-खलेते खाना खाने का भी ध्यान नहीं रहता।

  • लीची में पाया जाने वाले टोक्सिन, हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन MCPG उन एंजाइमों को ब्लाक कर देते हैं जो की ग्लूकोज के सामान्य चयापचय को कराते हैं।
  • इसलिए जब ग्लूकोस का संश्लेषण बंद हो जाता है रक्त में शर्करा स्तर की तीव्रता से कम होता है। शरीर इस तरह के मेटाबोलिज्म से दिमाग पर बुरा असर होता है।

Hypoglycaemic encephalopathy occurs sporadically in children predisposed by inborn errors of metabolism, triggered mostly by long hours of no food intake.

इस पूरे शोध से सभी को, मुख्य रूप से बच्चों को यह बात समझने और बताने की ज़रूरत है:

  • लीची के कच्चे और पके दोनों ही तरह के फलों में, हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन MCPG पाया जाता है जो की उन एंजाइमों को ब्लाक कर देते हैं जो की ग्लूकोज के सामान्य चयापचय को कराते हैं।
  • कच्चे फलों में, पके फलों से दुगना हाइपोग्लाइसिन A और मिथाइल एनसायक्लो प्रोपिलग्लाइसिन होता है।
  • इसलिए लीची को कभी भी बहुत अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए।
  • लीची के सेवन के दौरान खाना सही से खाना चाहिए, जिससे रक्त शर्करा का स्तर ठीक रहे।
  • बच्चों को शाम के समय लीची खाने को न दें।
  • बच्चे ने लीची खायी है तो उसे खाली पेट न सोने to avoid night-time hypoglycaemi दें।
  • इसके अतिरिक्त यदि ऐसा लगे की बच्चे को लीची के सेवन से टोक्सिसिटी है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएँ और शरीर में ग्लूकोस की कमी न होने दे।

कृपया इस जानकारी को सभी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें, की कभी भी खाली पेट लीची का सेवन न करें, शाम को लीची बच्चों को खाने को न दें, और लीची के सेवन के बाद लंच या डिनर स्किप न करें।

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