Overactive Thyroid | हाइपरथायरॉडीजम जानकारी, आहार-व्यायाम, दवाएं और घरेलू उपचार

थायराइड ग्रंथि अंतःस्रावी तंत्र endocrine system का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। थायरॉयड गर्दन के सामने एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है। यह ग्रंथि गर्दन के सामने, कॉलरबोन्स के ठीक ऊपर की स्थित होती है। इस ग्रंथि का काम ऐसे हार्मोन बनाना है जो की कण्ट्रोल करे कि शरीर में हर कोशिका ऊर्जा का उपयोग कैसे करेगी। इस प्रक्रिया को चयापचय metabolism जाता है। हार्मोन शरीर के हर अंग को प्रभावित करते हैं, यहां तक ​​कि हृदय की धड़कन भी।

हाइपरथायरॉडीजम, जिसे ओवेराक्टिव थायराइड overactive thyroid भी कहते हैं, एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि बहुत थायराइड हार्मोन बनाने लगती है। हाइपरथायरॉडीजम कई कारणों से हो सकता है जैसे ग्रेव्स डिसीज, वायरल संक्रमण, कुछ दवाएं, या गर्भावस्था के बाद (सामान्य) के कारण थायरॉयड की सूजन (थायरायराइटिस), थायराइड हार्मोन (सामान्य) लेना, आयोडीन युक्त भोजन का बहुत अधिक सेवन आदि।

थायरॉयड ग्रंथि से अधिक थायराइड हार्मोन का स्राव थकावट, अधिक भूख, धड़कन, बार-बार मल त्याग, हाथ कांपना, अधिक पसीना, नींद की समस्याएं और वज़न के कम होने का कारण हो सकता है। यदि हाइपरथायरॉडीजम का उपचार नहीं किया जाए तो यह दिल, हड्डियों, मांसपेशियों, मासिक धर्म चक्र और फर्टिलिटी के साथ गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान, यदि हाइपरथायरायडिज्म ट्रीट नहीं किया जाए तो यह मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

थायराइड Thyroid

थायराइड एक 2 इंच लंबा, तितली के आकार की ग्रंथि है जो दो थायराइड हार्मोन बनाती है, ट्रायियोोडोथायरोनिनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) triiodothyronine (T3) and thyroxine (T4) ।

टी 3, टी 4 से बनता है और यह अधिक सक्रिय हार्मोन है, जोकि सीधे ऊतकों को प्रभावित करता है। थायराइड हार्मोन पूरे शरीर में खून में प्रसारित होते हैं और शरीर में लगभग हर ऊतक और कोशिका पर कार्य करते हैं। थायराइड हार्मोन चयापचय, मस्तिष्क के विकास, श्वास, हृदय और तंत्रिका तंत्र कार्यों, शरीर का तापमान, मांसपेशियों की ताकत, त्वचा सूखापन, मासिक धर्म चक्र, वजन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित करते हैं।

थायराइड हार्मोन का उत्पादन एक अन्य हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है जिसे थाइरॉयड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) hyroid-stimulating hormone (TSH) कहा जाता है, जिसे मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। जब रक्त में थायरॉयड हार्मोन का स्तर कम होता है, तो पीयूषिका अधिक टीएसएच जारी करता है। जब थायरॉयड हार्मोन का स्तर अधिक होता है, तो पिट्यूटरी टीएसएच उत्पादन को कम करके प्रतिक्रिया करता है।

हाइपरथायरॉडीजम क्या है?

थायरॉयड ग्रंथि का शरीर की जरूरतों से अधिक थायरॉयड हार्मोन बनाना हाइपरथायरायडिज्म है। Hyperthyroidism means elevation of thyroid function. Hyperthyroidism refers that hyper metabolic situation due to excessive level of thyroid hormone secretion and synthesis. The other common names of hyperthyroidism are Graves’s disease and thyrotoxicosis.

हाइपरथायरायडिज्म के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?

हाइपरथायरायडिज्म होने के खतरे को कुछ स्थितियां बढ़ा देती हैं जैसे की यह पुरुषों की तुलना में महिलाएं में अधिक होता है।

  1. जेनेटिक्स
  2. विटामिन बी 12 की कमी के कारण होने वाली रक्ताल्पता
  3. टाइप 1 मधुमेह
  4. हार्मोनल डिसऑर्डर, प्राथमिक अधिवृक्क अपर्याप्तता
  5. आयोडीन युक्त भोजन का ज्यादा मात्रा में सेवन
  6. 60 साल की आयु से अधिक उम्र के व्यक्ति आदि।

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण क्या हैं?

  1. हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण व्यक्ति से भिन्न हो सकते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं
  2. आँखों का बाहर की ओर निकला होना
  3. गले का फूला दिखा
  4. घबराहट या चिड़चिड़ापन
  5. थकान या मांसपेशियों की कमजोरी
  6. गर्मी से परेशानी
  7. नींद न आना
  8. हाथ कांपना
  9. तेज और अनियमित दिल की धड़कन
  10. दस्त
  11. वजन घटना
  12. चिड़चिड़ापन
  13. गण्डमाला
  14. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  15. आँखों के आस-पास सूजन
  16. अल्पकालिक या अनियमित मासिक धर्म
  17. घबराहट

हाइपरथायरॉडीजम का कारण क्या है?

हाइपरथायरायडिज्म में कई कारण हैं जैसे ग्रेव्स रोग, थायराइड नोड्यूल, थायरायराइटिस, ओवेरी और टेस्ट्स का ट्यूमर, थाइरोइड हॉर्मोन का सेवन, बहुत ज्यादा आयोडीन लेने या ज्यादा थायराइड हार्मोन दवा लेने से थायरॉयड हार्मोन का स्तर भी बढ़ सकता है।

ग्रेव्स रोग Graves’ disease

ग्रेव्स रोग एक Autoimmune Disorder है ज्सिमें प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉयड पर हमला करती है और इसे बहुत अधिक थायराइड हार्मोन बनने लगता है।

Overactive thyroid nodules

जब एक या एक से अधिक थायराइड नोडल्स एक्टिव हो जाते हैं तो सामान्य से अधिक थायराइड हार्मोन बनने लगता है।

थायरायराइटिस Thyroiditis

थायराइड ग्लैंड की सूजन को थायरायराइटिस कहते हैं।

बहुत ज्यादा आयोडीन

थायराइड हार्मोन बनाने के लिए थायरॉयड आयोडीन का उपयोग करता है। आयोडीन की अधिक मात्रा अधिक थायरॉयड हार्मोन बना सकती है।

हाइपरथायरायडिज्म की जांच कैसे होती है?

हाईपरथायरायडिज्म के निदान की पुष्टि करने और इसके कारण खोजने के लिए डॉक्टर कई रक्त परीक्षणों के उपयोग करते है। इमेजिंग परीक्षण, जैसे कि थायराइड स्कैन, हाइपरथायरायडिज्म के कारण का निदान और पता लगाने में भी मदद कर सकता है। टेस्ट में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ा हुआ हो सकता है।

  1. Physical examination
  2. Blood test: levels of thyroid hormones
  3. Other tests: Serum cholesterol and triglycerides, Serum glucose, Radioactive iodine uptake

हाइपरथायरायडिज्म और आयुर्वेद

आयुर्वेद के अनुसार, कमजोर पाचन, शरीर में स्रोतों के रुकावट से थायराइड ग्रंथि के कार्य में असंतुलन हो जाता है। हाइपरथायरायडिज्म में वात और पित्त दोष का असंतुलन हो जाता है। वायु और पित्त दोष शरीर के विभिन्न चैनलों और प्रणालियों में जाते हैं और लक्षण प्रकट करते हैं। वात की अधिकता से शरीर में हल्कापन आता है, वज़न घट जाता है। पित्त की अधिकता से अत्यधिक पसीना, दस्त, कमजोरी, गर्मी के प्रति संवेदनशीलता होती है। भूख और पाचन बढ़ जाते हैं, हाथों का कांपना, नींद न आना, घबराहट और मन को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा होती है। व्यक्ति को भस्मक रोग हो जाता है जिससे वह दिन भर खाता-पीता है।

हाइपरथायरॉडीजम में प्रयोग वनस्पतियाँ

  1. बगलवेड Lycopus virginicus
  2. बेल Aegle marmelos
  3. लहसुन एलो वेरा Aloe vera
  4. नीम Azadirachta indica
  5. शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis
  6. आंवला Emblica officinalis
  7. करेला Momordica charantia
  8. सहजन Moringa oleifera
  9. तुलसी Ocimum sanctum
  10. पान के पत्ते Piper betel
  11. मेथी Trigonella foenum graecum

आयुर्वेदिक दवाएं

  1. कांचनार गुग्गुलु
  2. कैशोर गुग्गुलु
  3. त्रिकटु चूर्ण
  4. त्रिफला चूर्ण
  5. शंखपुष्पि चूर्ण/एक्सट्रेक्ट 125 mg twice/day, 9 महीने के लिए
  6. सूतशेखर रस 130 to 250 mg twice/day, 3-4 महीने के लिए
  7. शतावरी काषाय 30 ml twice/day

आहार और जीवन शैली

  1. भोजन में पर्याप्त मात्रा में दूध, शुद्ध घी और दूध उत्पाद शामिल करें।
  2. वात-पित्त दोष को कम करने वाला आहार खाएं।
  3. कफ दोष बढ़ाने वाले भोजन का सेवन करने से भी पित्त की अधिकता को कम करता है।
  4. भारी, चिकना, ठण्डा,मीठा और चिकने आहार का सेवन भी वात-पित्त को संतुलित करता है।
  5. नमक का सेवन न करें।
  6. योग, प्राणायाम और ध्यान करें।
  7. प्राणायाम: अनुलोम-विलोम, कुम्भक, शीतली प्राणायाम लाभप्रद है।
  8. दैनिक शीतली प्राणायाम दस मिनट करने से लाभ होता है।

आसन: सर्वांग आसन Sarvangasana थायराइड ग्रंथि के लिए सबसे उपयुक्त और प्रभावी आसन है। इसको करने से थायरॉयड ग्रंथि पर दबाव पड़ता है और रक्त आपूर्ति बढ़ती है और संचलन में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त मत्स्यसान, हलासन, सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन आदि करने से भी लाभ होता है।

घरेलू उपचार

त्रिकटु का सेवन करें। यहह सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है। दिन में दो बार आधे चम्मच को पानी के साथ सेवन करें।

  1. धनिया 10 ग्राम को उबाल कर काढ़ा बनाकर पियें।
  2. कांचनार गुग्गुलु का सेवन करें।
  3. त्रिफला, आंवला का नियमित सेवन करें।
  4. कैशोर गुग्गुलु का सेवन मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है।
  5. शंखपुष्पि का सेवन करें।

एलोपैथी में हाइपरथायरायडिज्म का उपचार

हाइपरथोरायडिज्म के इलाज के लिए दवाएं, रेडियोइडीनॉइन थेरेपी, या थायरॉयड सर्जरी की जाती हैं। उपचार का उद्देश्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए, थायरॉयड हार्मोन के स्तर को वापस लाने और लक्षणों को दूर करने क्र लियर किया जाता है।

दवाएं

  1. Beta blockers
  2. Antithyroid medicines

एंटीथोयराइड, थेरेपी हाइपरथायरायडिज्म का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है। यह दवाएं आम तौर पर एक स्थायी इलाज प्रदान नहीं करती हैं। एक बार एंटीथोयराइड दवा के साथ उपचार शुरू होने पर थायरॉयड हार्मोन का स्तर कई हफ्तों या महीनों के लिए सामान्य श्रेणी में नहीं आता। इलाज का कुल औसत समय लगभग 1 से 2 वर्ष है, लेकिन कई सालों से उपचार जारी रह सकता है।

  1. हाइपरथायरॉडीजम में आयोडीन युक्त भोजन, खांसी के सिरप या मल्टीविटामिन सावधानी से लेना चाहिए।
  2. हाइपरथायरॉडीजम के कारण अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
  3. यदि हाइपरथायरॉडीजम का इलाज नहीं किया जाता है, तो इसमें कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं
  4. अनियमित दिल की धड़कन जो रक्त के थक्कों, स्ट्रोक , दिल की विफलता और अन्य हृदय से संबंधित समस्याओं का कारण हो सकती है
  5. भैंगापन, प्रकाश संवेदनशीलता और आंखों में दर्द , दिखाई कम देना
  6. हड्डियों का पतला होना और ऑस्टियोपोरोसिस आदि।

हाइपरथायरायडिज्म चयापचय को प्रभावित करता है। यह घबराहट, पसीना, तेजी से दिल की धड़कन, नींद में कठिनाई और वजन घटाने का कारण हो सकता है। जैसे ही पता चले हाइपरथायरायडिज्म है तो ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाना चाहिए। नमक का सेवन कम करें। स्मोकिंग न करें। पौष्टिक, हल्का और सुपाच्य भोजन करें। आहार-परिवर्तन, जीवनशैली, और प्राणायाम आदि से करने से बहुत लाभ होता है।

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