भृंगराज के फायदे Bhringraj (Eclipta alba) in Hindi

भृंगराज को हिंदी में भांगरा, भंगरिया, भंगरा, संस्कृत में केशराज, भृंगराज, भृंगरज, मार्कव, भृंग, अंगारक, केशरंजन आदि कहते है। इंग्लिश में ट्रेलिंग एक्लिप्टा और लैटिन में एक्लिप्टा अल्बा कहते हैं। यह वनस्पति नालियों के किनारे, खेतों के किनारे और पानी वाली जगहों पर पायी जाती है। यह एक खरपतवार weed है जो की बारिश के मौसम में स्वतः ही उग जाती है। इसके पत्ते देखने में अनार के पत्ते जैसे पर उससे चौड़े और लम्बे होते हैं। इसके बीज बहुत छोटे और काले होते हैं। इसके पत्ते और तने का रंग गहरा हरा होता है। पुष्पों के अनुसार भृंगराज पीला, नीला और सफ़ेद हो सकता है। भृंगराज के पत्तों को हाथ से मसलने पर हाथ काला हो जाता है। पौधे के रस में कपड़ा भिगोने पर वह काला हो जाता है।

bhringraj

भृंगराज एक औषधीय वनस्पति है। इसे आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग करते है। भृंगराज का नाम हम विशेष रूप से बालों से सम्बंधित प्रोडक्ट्स hair care products में सुनते है। लगभग हर, हर्बल / आयुर्वेदिक हेयर आयल में भृंगराज का प्रयोग तो ज़रुर ही होता है क्योंकि यह बालों को काला करता है और उन्हें मजबूती देता है। बालों के सफ़ेद होने और गंजेपन alopecia की समस्या में भृंगराज का उपयोग विशेष उपयोगी है।

भृंगराज के पूरे पौधे को आयुर्वेद में आंतरिक और बाह्य internal and external प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह पौधा बालों और त्वचा के लिए बहुत उपयोगी है। इसके सेवन से आँखों में चमक आती है और शारीरिक ताकत बढ़ती है।

सामान्य जानकारी

भृंगराज एक छोटा पौधा है जिसकी ऊंचाई 30 – 50 cm होती है। यह एकदम सीधा बढ़ता है। यह एक वीड है जिसे नम जगहों पर उगते हुए पूरे साल तथा वैसे ही बारिश के मौसम में उगते देखा जा सकता है।

  • वानस्पतिक नाम: एक्लिप्टा अल्बा
  • कुल (Family): ऐस्टेरेसिएई
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
  • पौधे का प्रकार: हर्ब
  • वितरण distribution: पूरे देश में 1700 मीटर की ऊंचाई तक
  • पर्यावास habitat: नम/पानी वाली जगहों जैसे की नाली आदि के किनारे।

स्थानीय नाम / Synonyms

  • Sanskrit: Kesharaja, Tekaraja, Bhringa, Markava, Bhringaja
  • Assamese: Bhrngaraja
  • Bengali: Bheemraja, Kesuriya, Kesari
  • Gujrati: Bhangaro, Bhangro
  • Hindi: Bhangara, Bhangaraiya
  • Kannada: Garujalu, Gurugada, Soppu, Keshavardhana, Kodigaraju
  • Malayalam: Kayyonni, Knnunni
  • Marathi: Bhangra, Bhringiraja, Maka
  • Punjabi: Bhangra
  • Tamil: Karisalankanni, Karisalanganni, Karisalai
  • Telugu: Guntakalagara, Guntagalagara
  • Urdu: Bhangra

वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: एस्टीरिडेएइ Asteridae
  • आर्डर Order: ऐस्टेरेल्स Asterales
  • परिवार Family: ऐस्टेरेसिएई Asteraceae ⁄ Compositae – Aster family
  • जीनस Genus: एक्लिप्टा Eclipta L. – eclipta
  • प्रजाति Species: एक्लिप्टा अल्बा Eclipta alba (L.) Hassk. – फाल्स डेज़ी false daisy

पर्याय synonyms

  • एक्लिप्टा प्रोस्ट्रेटा Eclipta prostrata
  • एक्लिप्टा एरेक्टा Eclipta erecta L.
  • वर्बिसिना अल्बा Verbesina alba L.
  • वर्बिसिना प्रोस्ट्रेटा Verbesina prostrata L.
  • भृंगराज के संघटक Phytochemicals
  • अल्कालॉयड, एक्लिप्टिन और निकोटिन।
  • भृंगराज के आयुर्वेदिक गुण और कर्म
  • भृंगराज स्वाद में कटु, तिक्त गुण में रूखा करने वाला, और तीक्ष्ण है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है।

यह कटु रस औषधि है। कटु रस तीखा होता है और इसमें गर्मी के गुण होते हैं। गर्म गुण के कारण यह शरीर में पित्त बढ़ाता है, कफ को पतला करता है। यह पाचन और अवशोषण को सही करता है। इसमें खून साफ़ करने और त्वचा रोगों में लाभ करने के भी गुण हैं। कटु रस गर्म, हल्का, पसीना लाना वाला, और प्यास बढ़ाने वाला होता है। यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है।

भृंगराज स्वाभाव से तेज़ होता है। यह रक्तशोधक, बलवर्धक, रसायन, और बालों को काला करने वाला है। कफ, एसिडिटी, कमजोरी, रक्तविकार, तथा सिर के दर्द में लाभप्रद है।

रस (taste on tongue): कटु, तिक्त

गुण (Pharmacological Action): रुक्ष, तीक्ष्ण

वीर्य (Potency): उष्ण

विपाक (transformed state after digestion): कटु

कर्म:

केश्य: केशों को उत्तम करने वाला

बल्य: ताकत बढ़ाना

कफहर: कफ दोष कम करना

वातहर: वात दोष कम करना

आमहर: आम दोष दूर करना

रसायन: टॉनिक

त्व्च्य: त्वचा के लिए अच्छा

दन्त्य: दांतों के लिए लाभकारी

चक्षुष्य: आँखों के लिए हितकर

विषहर: विष दूर करने में लाभकारी

प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं

  1. महाभृंगराज तेल Mahabhringraja Taila
  2. भृंगराज आसव Bhringrajasava
  3. भृंगराज तेल Bhringraj tel

प्रमुख रोग जिनमे भृंगराज प्रयोग होता है:

  1. बालों का असमय सफ़ेद होना, गिरना आदि
  2. बालों को मज़बूत, काला, घना बनाना
  3. सूजन Swelling
  4. श्वास asthma
  5. कास cough
  6. पांडू Anemia
  7. यकृत रोग Diseases of liver
  8. कृमिरोग Intestinal parasites
  9. शिरः शूल Headaches
  10. हृदय रोग Diseases of Heart

भृंगराज के औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Eclipta alba in Hindi

भृंगराज एक औषधीय वनस्पति है। औषधीय प्रयोग के लिए भृंगराज का पूरा पौधा ताज़ा या सूखा प्रयोग किया जाता है। यह केशों, चमड़ी, नेत्रों और लीवर के लिए लाभप्रद है।

पौधे के रस या सूखे पाउडर का सेवन दवा की तरह से होता है। यह खून से गंदगी साफ़ करता है और रंग को निखारता है। चमड़ी के रोगों, अल्सर, मुंह के छाले आदि में इस्कास प्रयोग आंतरिक रूप से औषधीय मात्रा में करने से फायदा होता है। मुंह के छाले में इसके पत्ते चबाने चाहिए।

बाह्य प्रयोग के लिए, पौधे का पेस्ट बनाकर प्रयोग लाते है। बालों की किसी भी प्रकार की समस्या होने पर भृंगराज का प्रयोग लाभप्रद होता है। इसे केशरंजन, केशराज आदि नाम इसके केशों के लिए हितकर प्रभाव को देखते हुए ही मिले है। इसका नियमित प्रयोग बल्लों को काला करता है। गंज होने पर इसके रस को लगाने से लाभ मिलता है। नीचे भृंगराज के कुछ औषधीय प्रयोग/उपयोग दिए गए हैं।

1. खून की कमी anemia

इसके कुछ पत्तों का पेस्ट बना कर ५-६ काली मिर्च के दानों के साथ खाएं।

2. सिरदर्द headache

भृंगराज के रस से सिर की मालिश करने से सिरदर्द दूर हो जाता है।

3. आतशक Sujak

भृंगराज का रस आतशक पर लेप करें।

4. आँखों की रौशनी तेज़ करना, कमजोरी, स्मरण शक्ति बढ़ाना

भृंगराज के पत्तों का चूर्ण दो ग्राम की मात्रा में देसी घी और शहद (विषम अनुपात में) के साथ लेना चाहिए। ऐसा चालीस दिन तक लगातार करना चाहिए।

5. अम्लपित्त, परिणामशूल, रसायन

दूध के साथ भृंगराज के पौधे के रस का सेवन करें।

6. अतिसार diarrhea

एक से दो ग्राम भृंगराज की जड़ का पाउडर पानी के साथ लें।

7. कास, कफ Cough

भृंगराज के पौधे का रस एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ लें।

8. पीलिया Jaundice

इसके पौधे के पेस्ट को एक चौथाई चम्मच की मात्रा में छाछ के साथ लें।

9. सिरोसिस, यकृत रोग Liver disease

पौधे का रस शहद के साथ लें।

10. पेशाब में खून blood in urine

छाछ में इसके रस को मिलकर दिन में दो बार पियें।

11. कान में दर्द pain in ear

पौधे के रस की कुछ बूँदें कान में डालें।

12. बुखार fever

आधा चम्मच रस कुछ चुटकी दालचीनी मिलकर लें।

13. ग्रन्थि, श्लीपद, हाथ-पैर की गलन, चमड़ी के रोग, अल्सर, कंजंक्टिवाइटिस diseases of skin, conjunctivitis

भृंगराज पौधे का पेस्ट प्रभावित स्थ्हन पर लगायें।

14. हाइपरपिगमेंटेशन hyperpigmentation

भृंगराज का रस कुछ पानी में मिलकर नाक में डालने से हाइपरपिगमेंटेशन में लाभ होता है।

15. भृंगराज बालों के लिए कैसे प्रयोग करें?

बालों का पलित/सफ़ेद होना Premature hair graying

पौधे का रस दिन में औषधीय मात्रा में पियें।

सिर पर कम बाल होना hair fall, thinning of hair, hair loss

पौधे के रस बलों की जड़ों की मालिश करें। ऐसा लगातार कुछ महीने तक करें।

गंजापन alopecia

इसके रस को स्कैल्प पर रगड़ें।

बालों की विभिन्न समस्याओं के लिए घर में बना तेल Homemade oil for hair problems

भृंगराज पौधे का रस और नारियल तेल बराबर मात्रा में लें। दोनों को मिलाकर धीमी आंच पर, मोटे पेंदे के बर्तन में रखकर पकाएं जब तक इसमें से पानी पूरी तरह से उड़ जाए और केवल तेल बचे। इसे उतार कर ठंडा क्र कांच की शीशी में भर लें। यह तेल बालों में लगायें। इससे मालिश करने से बाल मज़बूत होते हैं, उनका झड़ना बंद होता है, असमय सफ़ेद होना रुकता है और बल्लों में चमक आती है।

तेल बनाते समय आप अन्य घटक भी डाल सकते हैं जैसे की नीम के पत्ते, कढ़ी पत्ता,आंवले का रस, मुलेठी का पाउडर आदि।

औषधीय मात्रा Dosage of Bhringraja

  1. 3-6 ml पूरे पौधे का रस, दिन में दो बार
  2. 3-5 gram पौधे का चूर्ण, दिन में दो बार
  3. 12 – 36 ग्राम सूखा पौधे काढ़ा बनाने के लिए।

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