काली मिर्च, एक ऐसा मसाला है जो की भारत का मूल निवासी होते हुए भी पूरी दुनिया में प्रयोग किया जाता है। डाइनिंग टेबल पर यह नमक के साथ रखा जाता है। काली मिर्च डालने से सूप, सलाद, आदि का फ्लेवर बढ़ जाता है। यह अपने विशेष गुणों के कारण न केवल स्वाद को बढ़ा देती है बल्कि उसे सुपाच्य भी बना देती है।
काली मिर्च को पाइपर निग्रम पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह पौधे के फल / बेरी drupe हैं। यह प्राकृतिक रूप से भारत के दक्षिणी हिस्सों जैसे केरल, कोंकण, मालाबार आदि के जंगलों में मिलती है। यह एक नम और गर्म जगह पर पाई जाने वाली लता है। आजकर तो इसकी खेती बहुत से देशों में बड़े पैमाने पर की जा रही है। भारत के अतिरिक्त श्री लंका, इंडोनेशिया, और मलेशिया में यह उगाई जाती है।
प्राचीन समय में काली मिर्च को काला सोना /ब्लैक गोल्ड black gold भी कहा जाता था। इसका निर्यात यूरोप के देशों में केरल से किया जाता था। काली मिर्च न केवल मसाला अपितु दवा भी है। इसे बहुत से पुराने समय से आयुर्वेद में दवाओं के बनाने और अकेले ही दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे मरीच कहा जाता है। इसे गैस, वात व्याधियों, अपच, भूख न लगना, पाचन की कमी, धीमे मेटाबोलिज्म, कफ, अस्थमा, सांस लेने की तकलीफ आदि में प्रयोग किया जाता है।
सफ़ेद मिर्च, काली मिर्च से ही बनती है। काली मिर्च को जब पानी में भिगो कर छील दिया जाता है तो यह सफ़ेद मिर्च कहलाती है। सफ़ेद मिर्च में कम मात्रा में तेल पाया जाता है। यह कम तीखी होती है। इसकी तासीर भी अधिक गर्म नहीं होती।
Maricha (Marich) is known as Gol Mirch, Kali Mirch or Black Pepper. It is dried unripe seeds of plant, Piper nigrum a perennial shrub. It is pungent (Katu) in taste, hot in potency and pungent after digestion (Katu Vipak). It mainly works on digestive, circulatory and respiratory system. It is expectorant, carminative, antipyretic, anthelmintic and antiperiodic. Black Pepper is useful in difficult breathing, chronic indigestion, obesity, sinus congestion, fever, intermittent fever, cold extremities, colic, cooking spice, cholera, gastric ailments, gas, diarrhea, hemorrhoids, worms, sore throat and cough. Black Pepper should be taken cautiously in High Pitta and digestive inflammations.
वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
पाइपर निग्रम का पौधा एक लता है जो की जमीन पर फैलती है और पेड़ों पर चढ़ती है। यह एक सदाहरित, बहुवर्षीय बेल है। इसके पत्ते बड़े होते है। इसे फूल और फल गुच्छे में आते है। फल या बेरी, पौधे के गुठलीदार फल हैं जो की कच्चे होने पर हरे और पकने पर लाल और सूखने पर काले हो जाते है। काली मिर्च के मुख्य उत्पादक देश हैं भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया। यह श्री लंका, कम्बोडिया, थाईलैंड, आइवरी कोस्ट, जमैका, और ब्राज़ील में भी उपयुक्त जलवायु के कारण उगाई जा रही है। काली मिर्च आद्र उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है।
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपर डिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: मग्नोलीडेइ Magnoliidae
- आर्डर Order: पिप्रेल्स Piperales
- परिवार / कुल Family: पिपरेसीएइ Piperaceae – Pepper family
- जीनस Genus: पाइपर एल Piper L। – pepper
- स्पीश Species: पाइपर निग्रम Piper nigrum L। – black pepper
स्थानीय नाम
- Scientific name: Piper nigrum
- Sanskrit / Ayurvedic: Katuka, Kola, Kolaka, Krishna, Maricha, Mrishta, Pavita, Ruksha, Sarvahita, Shakanga, Tikshna, Ushana, Vallija, Vara, Varishtha, Vellija, Venuja, Venuka, Vrittaphala, Yavanapriya
- Hindi: Golmirch, Kalimirch, Safed mirch
- English: Black Pepper, Pepper
- Sinhalese: Gammiris
- Tamil: Aguttam, Arisu, Irambivam, Kallinai, Kandanaguli, Kari, Karyam, Kolagam, Malaiyinmunivan, Marisam, Milagu, Milaku, Milaguvalli, Sevviyam, Sur, Tirangal, Uchiram, Valliyam, Vellaimulagu
- Siddha: Milagu
- Unani: Filfil Siyah
- Chinese: Hu Jiao (Hu Chiao), Hei Hu Jia, Bai Hu Jiao, Woo Jiu
- French: Poivre Commun, Poivre Blanc, Poivre Noir
- German: Pfeffer, Grüner Pfeffer, Schwarzer Pfeffer; Weißer Pfeffer
- Japanese: Burakku Peppaa, Koshou, Peppaa, Pepaa
- Spanish: Pimient
आयुर्वेदिक गुण और कर्म
मरिच या मरिचा, काली मिर्च के आयुर्वेदिक पर्याय हैं। इसके अन्य नाम ब्लैक पेपर, गोल मिर्च आदि हैं।यह स्वाद में कटु, गुण में गर्म और कटु विपाक है। इसका मुख्य प्रभाव पाचक, श्वास और परिसंचरण अंगों पर होता है। यह वातहर, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक हैं। यह बुखार आने के क्रम को रोकता है। इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह कटु रस औषधि है। कटु रस तीखा होता है और इसमें गर्मी के गुण होते हैं। गर्म गुण के कारण यह शरीर में पित्त बढ़ाता है, कफ को पतला करता है। यह पाचन और अवशोषण को सही करता है। इसमें खून साफ़ करने और त्वचा रोगों में लाभ करने के भी गुण हैं। कटु रस गर्म, हल्का, पसीना लाना वाला, कमजोरी लाने वाला, और प्यास बढ़ाने वाला होता है। यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है। पित्त के असंतुलन होने पर कटु रस पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए।
- रस (taste on tongue): कटु, तिक्त
- गुण (Pharmacological Action):लघु, तीक्ष्ण, उष्ण
- वीर्य (Potency): उष्ण
- विपाक (transformed state after digestion):कटु
कर्म
- श्लेष्महर: कफ को दूर करना
- दीपन: भूख बढ़ाना
- छेदन: जमे हुए कफ को दूर करना
- वातहर: वात दोष को दूर करना
- कफहर: कफ दूर करना
- पित्तकर: पित्त बढ़ाना
- मेदोहर: मोटापा दूर करना
- रुचिकारक: स्वाद बढ़ाना
- शिरोविरेचना: सिर के दोष दूर करना
- जन्तुघ्न: कृमि नष्ट करना
प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाएं
- त्रिकटु या त्रिकुटा
- मरिच्यादि वटी
- मरिच्यादि तेल
- महामरिच्यादि तेल
काली मिर्च के स्वास्थ्य लाभ Health Benefits of Black Pepper
- यह कफ को नष्ट करती है।
- यह पित्त वर्धक है।
- यह वात को कम करती है।
- यह पाचक अग्नि में वृद्धि करती है।
- यह भूख बढाती है।
- इसके सेवन से चर्बी कम होती है।
- यह शरीर में गर्मी लाती है।
- यह कृमि नाशक है।
- यह पसीना लाती है और बुखार को कम करती है।
- यह मूत्रल है और पेशाब आना बढ़ाती है।
- पसीना और पेशाब ला कर यह शरीर से गंदगी को दूर करती है।
- यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल है।
- यह दूसरी दवाओं और पदार्थों के अवशोषण को बढ़ाती है।
- यह यकृत से गंदगी को दूर करती है।
- यह खून की कमी को दूर करती है।
- यह डिप्रेशन को कम करती है।
- यह लिबिडो को बढ़ाती है।
- यह नर्वस सिस्टम और स्प्लीन के लिए फायदेमंद मसाला है।
- यह सर्कुलेशन को बढ़ाती है।
काली मिर्च के औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Black Pepper in Hindi
काली मिर्च पित्त वर्धक है। यह तासीर में गर्म है और वात और कफ को दूर करती है। इसके सेवन से शरीर में गर्माहट आती है। यह मेटाबोलिज्म को तेज़ कर मोटापे को कम करती है।
खांसी cough
- काली मिर्च का चूर्ण शहद के साथ चाट कर लें।
- पानी में काली मिर्च डाल कर कुल्ले करें।
- काली मिर्च के दाने चाकर दूध पी लें।
जुखाम coryza
काली मिर्च (5) + अदरक (3 gram) + मिश्री, को पानी में उबालें और कुछ मिनट तक पाकाएं और सहता हुआ पियें।
गला बैठ जाना hoarseness
काली मिर्च को चबा कर खाएं।
पुराना बुखार, फ्लू, खांसी, कफ, जुखाम chronic fever
काली मिर्च (5) + तुलसी (3 gram) + मिश्री, को पानी में उबाल कर छान कर पियें। ऐसा दिन में दो बार करें।
भूख बढ़ाना, मेटाबोलिज्म तेज़ करना, मोटापा, पाचन सही करना obesity
काली मिर्च के चूर्ण को शहद के साथ चाट कर लें।
आँखों की रौशनी तेज़ करना improving eyesight
काली मिर्च का चूर्ण, मिश्री के साथ खाने से लाभ होता है।
वीर्य का गिरना, सुजाक sujak
काली मिर्च (4-5 दाने) को पीस लें और कबाब चीनी के साथ सेवन करें।
पाइल्स piles
गाय के गिलास भर दूध में थोड़ी सी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पियें।
काली मिर्च + जीरा + सेंधा नमक का पाउडर बना कर १ छोटे चम्मच की मात्रा में सेवन करें।
दाद ringworm
काली मिर्च पाउडर को गाय के घी में मिलकर लगायें।
घुटनों का दर्द joint pain
काली मिर्च ( 5 gram) + सोंठ (३ ग्राम) + वायविडंग + सेंधा नमक, सभी को पीस कर चूर्ण बना कर शीशी में भर लें। इसे आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ लें।
जी मिचलाना, उलटी आना nausea, vomiting
नींबू को काट कर, उस पर सेधा नमक और काली मिर्च लगा कर चूस कर खाएं।
खून में गंदगी, पाचन की कमजोरी, आम दोष detoxification
त्रिफला के काढ़े में काली मिर्च पाउडर डाल कर सेवन करें।
डेंगू बुकार, मलेरिया, विषम ज्वर, जुखाम, बुखार, निमोनिया fever
गिलोय के तने और तुलसी का काढ़ा बनाते समय काली मिर्च के कुछ दाने कूट कर डालें।
मलेरिया बुखार malaria fever
काली मिर्च (8-10 दाने) + तुलसी के पत्ते (10gram) के पेस्ट में मिला कर खाने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
काली मिर्च को प्याज रस, में मिलाकर लें।
प्लीहा की वृद्धि spleen enlargement
काली मिर्च के साथ पपीता खाएं।
शरीर का पित्ती निकलना urticaria
घी (1 चम्मच) + काली मिर्च (5 काली मिर्च के दानों का चूर्ण) + मिश्री (आधा चम्मच) मिलकर दिन में २-३ बार खाएं।
तुतलाना, हकलाना
बादाम की गिरियों (7) को पानी में भिगो दें। सुबह इनका छिलका उतार दें और पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में काली मिर्च (7 दाने) के चूर्ण को मिलाकर खाएं। ऐसा आधे-एक महीने तक करें।
पेट के कीड़े intestinal parasites
नीम के पत्ते के रस में काली मिर्च पाउडर डाल कर पियें।
औषधीय मात्रा Dosage of Black Pepper
काली मरीच पित्त वर्धक है। इसकी औषधीय मात्रा 250 mg से 1 gram है।
सावधानियां Cautions
- काली मिर्च पित्तवर्धक है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
- अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
- जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
- शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
- आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। काली मिर्च को दवा की तरह गर्भावस्था में न लें।