अंजीर का उत्पत्ति स्थान एशिया माइनर, फिलिस्तीन और फारस है। भारत के लिए यह विलायती फल है तथा अब इसे कश्मीर, बैंगलोर, नासिक, मैसूर आदि में उगाया जाता है। बलूचिस्तान और अफगानिस्तान (काबुल) में यह प्रचुरता से पायी जाती है। अफगानिस्तान की अंजीर को अच्छी गुणवत्ता का माना जाता है।
अंजीर गूलर जाति के वृक्ष से प्राप्त एक फल है। इसके पेड़ चार-पांच मीटर ऊँचे होते हैं। पत्ते और शाखाएं रोयें युक्त होती हैं। शुरू में फल हरे और पकने पर भूरे-आसमानी से हो जाते हैं। । अंजीर के पके फल मीठे, स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं। फलों को ताज़ा व सुखा कर प्रयोग किया जाता है।
सूखे अंजीर मेवे की तरह खाए जातें हैं और यह हमेशा उपलब्ध होते हैं जबकि ताज़े फल केवल मौसम में ही उपलब्ध होते हैं। सुखा दिए जाने पर इसमें से पानी की मात्रा काफी कम और शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है। सूखे हुए फल में शर्करा, वसा, पेक्टोज़, अल्ब्युमिन, खनिज और विटामिन होते हैं। इसके बीजों से तेल भी निकाला जाता है। अंजीर के सेवन के अनेकों लाभ हैं।
अंजीर को एक औषधी की तरह भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे शीत वीर्य लेकिन यूनानी में इसे पहले दर्जे का गर्म और दूसरे दर्जे का तर माना गया है। यूनानी दवा माजून इन्जीर MAJUN INJEER, में यह प्रमुख घटक है। इस दवा को पुराने कब्ज़ (एक्शन Mulaiyin / Aperient) में दिया जाता है। माजून इन्जीर को सोने से पहले एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ लेते हैं।
अंजीर शक्तिवर्धक, वाजीकारक, स्वास्थ्यवर्धक, पाचन और आँतों के लिए हितकारी व पौष्टिकता से भरपूर है। इस पेज पर अंजीर के बारे जानकारी देने की कोशिश की गई है। कृपया इसे पढ़ें, ज्ञान वर्धन करें एवम इसे अपने आहार में शामिल करके स्वास्थ्य ठीक रखें और रोगों को दूर करें।
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम: फाईकस केरिका
- कुल (Family): मोरेसिएई
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते और फल
- पौधे का प्रकार: वृक्ष
- जलवायु: सूखी और गर्म
अंजीर के स्थानीय नाम / Synonyms
- हिन्दी: अंजीर
- अंग्रेजी: Figs
- अरब: तीन
- फ़ारसी: अंजीर विलायती
अंजीर का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: हेमेमेलीडिडेइ Hamamelididae
- आर्डर Order: अरटीकेल्स Urticales
- परिवार Family: मोरेसिएई Moraceae
- जीनस Genus: फाईकस Ficus
- प्रजाति Species: फाईकस केरिका Ficus carica
अंजीर मेवा (सूखी अंजीर) के हर 100 ग्राम की पौष्टिकता
- कुल कैलोरी: 250
- कार्बोहाइड्रेट: 64 ग्राम
- आहार फाइबर: 10 ग्राम
- शर्करा: 48 ग्राम
- प्रोटीन: 3 ग्राम
- कुल वसा: 1 ग्राम
- संतृप्त फैट: 0.3 ग्राम
- मोनोअनसैचुरेटेड फैट: 0.3 ग्राम
- विटामिन ए: 10 आईयू
- विटामिन सी: 1.2 मिलीग्राम
- विटामिन ई: 0.4 मिलीग्राम
- विटामिन के: 15.6 माइक्रोग्राम
- फोलिक एसिड: 9 ग्राम
- नियासिन: 0.6 मिलीग्राम
- पैंटोफेनीक एसिड: 0.4 मिलीग्राम
- विटामिन बी 6: 0.1 मिलीग्राम
- रिबोफैक्विइन: 0.1 मिलीग्राम
- थियामीन: 0.1 मिलीग्राम
- चोलिन: 15.8 मिलीग्राम
- बेटेन: 0.7 मिलीग्राम
- कैल्शियम: 162 मिलीग्राम
- कॉपर: 0.3 मिलीग्राम
- लोहा: 2 मिलीग्राम
- मैग्नीशियम: 68 मिलीग्राम
- मैंगनीज: 0.5 मिलीग्राम
- फास्फोरस: 67 मिलीग्राम
- पोटेशियम: 680 मिलीग्राम
- सोडियम: 10 मिलीग्राम
- सेलेनियम: 0.6 माइक्रोग्राम
- जस्ता / जिंक: 0.5 मिलीग्राम
ताजे अंजीर के फल का हर 100 ग्राम का पौष्टिकता
- कैलोरीज़: 74
- कार्बोहाइड्रेट: 1 9 ग्राम
- आहार फाइबर: 2. 9 ग्राम
- शर्करा: 16 ग्राम
- प्रोटीन: 0.75 ग्राम
- कुल वसा: 0.3 ग्राम
- संतृप्त फैट: 0.1 ग्राम
- पूफा/पोलीअनसैचुरेटेड फैट: 0.1 ग्राम
- मूफा/मोनोअनसैचुरेटेड फैट: 0.1 ग्राम
- विटामिन ए: 140 आईयू
- विटामिन सी: 2 मिलीग्राम
- विटामिन ई: 0.11 मिलीग्राम
- विटामिन के: 4.7 माइक्रोग्राम
- फोलिक एसिड: 6 माइक्रोग्राम
- नियासिन: 0.4 मिलीग्राम
- पैंटोफेनीक एसिड: 0.3 मिलीग्राम
- पाइरिडोक्सीन: 0.12 मिलीग्राम
- रिबोफ़्लिविन: 0.05 मिलीग्राम
- थियामीन: 0.06 मिलीग्राम
- पोटेशियम: 232 मिलीग्राम
- सोडियम: 1 मिलीग्राम
- कैल्शियम: 35 मिलीग्राम
- कॉपर: 0.07 मिलीग्राम
- लोहा: 0.37 मिलीग्राम
- मैग्नीशियम: 17 मिलीग्राम
- मैंगनीज: 0.13 मिलीग्राम
- सेलेनियम: 0.2 माइक्रोग्राम
- जस्ता: 0.15 मिलीग्राम
कर्म Principle Action
- अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
- कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
- कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
- मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
- मूत्रकृच्छघ्न: द्रव्य जो मूत्रकृच्छ strangury को दूर करे।
- वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
- दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
- वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
- हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।
- विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
- बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
- स्वेदल: द्रव्य जो स्वेद / पसीना लाये।
- श्वास–कासहर: द्रव्य जो श्वशन में सहयोग करे और कफदोष दूर करे।
अंजीर खाने के लाभ और औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Figs in Hindi
सभी जानते हैं की सूखी हुई अंजीर को एक मेवे की तरह प्रयोग किया जाता है। यह मार्किट में पूरे साल उपलब्ध होते हैं। मेवे की तरह खाने से हमे कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, खनिज, अम्ल, लोहा, विटमिन A, पोटैशियम, सोडियम, गंधक व फोस्फोरिक एसिड मिलते हैं। अंजीर खाने से मन प्रसन्न होता है व कमजोरी दूर होती है। यह कब्ज़नाशक, पित्त नाशक, रक्त-रोग निवारक तथा वायु विकार दूर करने वाली है। इसके सेवन से पुराने कब्ज़, सदैव थकावट-सी महसूस कोना, नींद-सी बनी रहना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, गैस, लीवर की समस्या, में लाभ होता है।
अंजीर में वसा होती हैं जिससे यह त्वचा और बालों को चिकनाई देता है। कम मात्रा में लेने पर इसे लीवर और स्प्लीन के लिए इसे लाभकारी माना गया है। किन्तु अधिक मात्रा में किया गया सेवन हानिप्रद है। अंजीर विरेचक, मूत्रल, स्वेदक, और कफनिस्सारक होने से शरीर से विजातीय पदार्थों को विभिन्न माध्यमों से बाहर करती है। इसे न केवल मेवे बल्कि एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
अंजीर के फायदे
- अंजीर को सोने से पहले लेने से कब्ज़ दूर होती है और कोष्ठ साफ़ होता है।
- अंजीर दीपन – पाचन, स्वेदन, कफ शामक और मूत्रल है।
- यह अत्यंत पुष्टिकर और जीवनीय मेवा है।
- इसके सेवन से शरीर से गन्दगी दूर होती है व रंग निखरता है।
- यह श्वास-कास, अधिक कफ आदि में लाभप्रद है।
- अपने स्वेदन के गुणों के कारण यह शरीर से पसीना ला कर विजातीय पदार्थों को दूर करने में सहायक है।
- अखरोट के साथ इसका सेवन वाजीकारक है और कामेच्छा को बढ़ाता है।
- यह शरीर को वसा देता है।
- यह अनुलोमिक है और गैस, पेट फूलना, आनाह में सूखे अंजीर खाने से आराम होता है।
- यह रक्त पित्त और वात रोगों में लाभप्रद है।
- अंजीर में आयरन और कैल्सियम भरपूर मात्रा में होते हैं।
अंजीर के दवा की तरह प्रयोग
कब्ज़, बवासीर
अंजीर में सेल्यूलोज़, चिकनाई पायी जाती है इस कारण यह कब्ज़, बवासीर और कब्ज़ के कारण होने वाली अन्य दिक्कतों में अत्यंत लाभकारी है। इसमें सेवन से आँतों में जमा मल दूर हो जाता है। इसको कब्ज़ में लेने से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है अपितु इसकी पौष्टिकता के कारण यह अत्यंत लाभप्रद है। यह आँतों की भीतरी दीवारों को ताकत और स्वास्थ्य प्रदान करने में सहयोगी है।
- अंजीर 3-4 को दूध में उबालकर रात को सोने से पहले खाएं और दूध पी जाएँ। अथवा
- अंजीर को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।
- अथवा अंजीर को शहद के साथ खाएं।
अस्थमा
अंजीर 3-4 को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।
कमजोरी, कफ,खांसी
अंजीर खाएं।
प्यास अधिक लगना
अंजीर 3-4 खाएं।
खून की कमी
अंजीर का सेवन करें।
आँतों की कमजोरी, पेचिश, दस्त
अंजीर का कुछ घंटे पानी में भिगों लें और फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन करें।
खून के विकार, रक्त पित्त, नकसीर फूटना
अंजीर को शहद के साथ खाएं।
पेशाब के रोग, पेशाब में जलन
अंजीर को रात में पानी में भिगो दें और सुबह मसल कर खा ले और पानी पी जाएँ।
वाजीकरण, बलवर्धन, शक्ति वर्धन
- सुबह 2-3 अंजीर खा कर मिश्री मिला दूध पी लें। ऐसा नियमित एक महीने तक करें। अथवा
- रात को खजूर और अंजीर को पानी में भिगो लें। सुबह इसे खाली पेट मसल कर सेवन करें और पानी पी लें।
अंजीर की औषधीय मात्रा
सूखी अंजीर को पांच पीस तक की मात्रा में ले सकते हैं।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications
- अधिक मात्रा में इसे पेट और लीवर के लिए अहितकर माना गया है।
- इसके दुष्प्रभाव दूर करने के लिए सिकजबीन अथवा बादाम दिया जाता है।
- प्रतिनिधि रूप में मुनक्का प्रयोग किया जाता है।
- डायबिटीज में सूखी अंजीर का प्रयोग या तो पूरी तरह से न करें, अथवा बहुत कम मात्रा में और वो भी सावधानी से करें। सूखी अंजीर में शर्करा की काफी मात्रा होती है इसलिए यह ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा सकती है।
- अंजीर में पोटैशियम होता है।
- यह पचने में भारी है।
- खाने से पहले अंजीर को अच्छे से धो लें।
- रात में अंजीर भिगोते समय केवल उतना ही पानी डालें जो की अवशोषित हो जाए।
- कम मात्रा में खाने पर यह पाचक, हृदय-लीवर और स्प्लीन के लिए हितकर है। परन्तु अधिक मात्रा में खाने गैस, अतिसार आदि उपद्रव हो सकते हैं।
- अंजीर को पूरे लाभ लेने के लिए इसे अच्छे से धो लें। अब एक बर्तन में पीने के पानी की इतनी मात्रा लें जितनी अंजीर सोख ले, और ढक दें। इसे सुबह मसल कर खा लें।