गजपीपल को संस्कृत में गजकृष्ण, हस्तीपीपली, करिपिप्ली आदि नामों से जाना जाता है। देहरादून में इसे पोरियाबेल, संथाल में धरेझपक, और रांची में इसे हाथीपीपर कहा जाता है। गजपिप्पली हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, और असम में मुख्य रूप से पायी जाती है। यह एक बेल है जो की जड़ों के सहारे पेड़ पर चढ़ती है। इसके पत्ते गाढ़े हरे होते है। इसके फल देखने में पिप्पली जैसे लगते हैं, लेकिन आकार में काफी बड़े होते हैं इसलिए इसे गज (हाथी) पिप्पली कहते हैं।
गजपिप्पली एक औषधीय वनस्पति है और इसके सूखे हुए फलों का मुख्य रूप से दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। यह चरपरी, वात और कफनाशक है। यह उदराग्नि को प्रदीप्त करती है और स्वभाव से गर्म है। यह अतिसार, अस्थमा, गले के रोगों, और पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली है।
गजपिप्पली को आयुर्वेद में मुख्य रूप से कफ रोगों और पेट रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह उष्ण है और कफ को दूर करती है और पाचन को बढ़ाती है। इसके सेवन से वात-कफ दूर होते हैं और गले के रोगों में लाभ होता है।
बहुत जगह चव्य के फल को ही गजपिप्पली कहा गया है। लेकिन आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ़ इंडिया, में सिंडाप्सुस ओफीसिनेलिस को गजपिप्पली के रूप में माना गया है।
कई दवाओं के बनाने में गजपिप्पली तथा चव्य को एक दुसरे के प्रतिनिधि के रूप में लेते हैं। दोनों में समान ही गुण पाए जाते हैं। चव्य की जगह गजपिप्पली और गजपिप्पली की जगह चव्य को प्रयोग किया जा सकता है।
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम Latin name: सिंडाप्सुस ओफीसिनेलिस Scindapsus officinalis
- कुल Family: एरेसीएइ Araceae
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: सूखे फल
- पौधे का प्रकार: लता
- वितरण: ट्रोपिकल हिमालय, बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान
- पर्यावास: जंगल
स्थानीय नाम / Synonyms
- Sanskrit : Gajakrishna, Hastipipali हस्तिपिप्पली, Gajapippali, Karipippali, Kolavalli
- Siddha: Anaitippili
- Bengali : Gajapeepal, Gajapipul,
- Gujrati : Motopeepar
- Hindi : Gajapeepal
- Kannada : Adkebeeluvalli
- Malayalam : Attipali
- Marathi : Gajapipalee
- Punjabi : Gajapeepal
- Tamil : Anaitippalee
- Telugu : Enugopippal
औषधीय मात्रा
२-३ ग्राम फांट के रूप में।
आयुर्वेदिक गुण और कर्म
गजपीपल स्वाद में कड़वा, तेज़, गर्म, व खुश्क होता है। यह भूख को बढ़ाता है। यह लूज़ मोशन / दस्त को रोकता है। यह तीक्ष्ण, कामोद्दीपक और अग्निवर्धक है। यह अस्थमा, कफ और गले के रोगों को ठीक करता है।
- रस (taste on tongue): कटु pungent
- गुण (Pharmacological Action): रुक्ष dry
- वीर्य (Potency): उष्ण hot
- विपाक (transformed state after digestion): कटु pungent
- कर्म: दीपन, वातहर, कफहर, अग्निवर्धक, वर्ण्य, स्तन्य
महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाएं जिनमें गजपिप्पली है:
- Chandraprabha vati चन्द्रप्रभा वटी
- Punarnavasava पुनर्नवासव
- Prasarini Taila प्रासारिणी तेल
- Kunch Pak कौंच पाक
औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Gajapippli in Hindi
- पुराने बुखार में गजपिप्पली के सेवन से आराम मिलता है।
- गजपिप्पली के चूर्ण को पान में रखकर खाने से अस्थमा में लाभ होता है।
- इसके चूर्ण को लेने से गैस के कारण होने वाले पेट दर्द से आराम मिलता है।
- इसको घिस कर गठिया, जोड़ों के दर्द में बाहरी रूप से लगाया जाता है।
- यह पाचन तन्त्र, लीवर के लिए उपयोगी है।
- इसके चूर्ण को गर्म पानी से लेने पर पेट के कीड़े नष्ट होते है।
Read in English Here http://www.bimbima.com/health/post/2016/03/16/gajapippali.aspx
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