लहसुन को आयुर्वेद में हजारों साल से विविध रोगों के उपचार और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इसे आयुर्वेद में अमृत फल कहा गया है। यह पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, गर्म, पाचक, दस्तावर, कंठशोधक, पाक तथा रस में कटु और मधुर है। इसमें खट्टा/ अम्ल रस छोड़ कर सभी पांच रस पाए जाते हैं।
लहसुन एक बहुत ही लाभकारी, गुणकारी कन्द है। यह एक भोज्य पदार्थ तथा दवा भी है। इसे संस्कृत में लशुन, महाकंद, रसोन, उग्रगंध कहा जाता है। लहसुन को आयुर्वेद में हजारों साल से विविध रोगों के उपचार और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
लहसुन क्या है और कैसा होता है
इसे आयुर्वेद में अमृत फल कहा गया है। ऐसी कथा है, किसी समय देवराज इंद्र से गरुड़ ने अमृत का हरण करना चाहा और इसी छीना झपटी में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर आ गिरीं और इन्ही से रसोन अर्थात लहसुन उत्पन्न हुआ।
यह पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, गर्म, पाचक, दस्तावर, कंठशोधक, पाक तथा रस में कटु और मधुर है। इसमें खट्टा/ अम्ल रस छोड़ कर सभी पांच रस पाए जाते हैं। लहसुन के पौधे १- २ फुट ऊँचे होते हैं। इसके पत्ते पतले-लम्बे और लहसुन की गंध वाले होते हैं। इसकी जड़ में कंद होती है जिसमें ५-१५ कलियाँ होती हैं। लहसुन की जड़ में चरपरा, पत्तों में कड़वा, नाल में कसैला, नाल के आगे के सिस्से में क्षार रस और बीजों में मधुर रस होता है। यह तासीर में बहुत गर्म होता है। लहसुन जिसमें तेज़ गंध होती है वह बलवर्धक होता है।
यह भारी, रक्त बढ़ाने वाला, और बल-वर्ण के लिए उत्तम है। यह बुद्धि के लिए हितकारी, आँखों के लिए सुखदायक, रसायन, हृदय रोग, पुराने बुखार, छाती के दर्द, कब्ज़, गुल्म, अरुचि, खांसी, सूजन, बवासीर, कुष्ठ, मन्दाग्नि, कृमि वात-श्वास-कफ नष्ट करने वाला है।
आयुर्वेद में कहा गया है की लहसुन खाने वाले को व्यायाम, धूप, क्रोध, बहुत पानी, दूध, गुड, आदि छोड़ देना चाहिए।
लहसुन की बाज़ार में बहुत सी किस्में देखी जा सकती हैं लेकिन दवाई के रूप सबसे छोटे अकार के, और बिना फ़र्टिलाइज़र के उगाये गए लहसुन ही प्रयोग किये जाने चाहिए।
लहसुन में एलेसिन Allicin होता है जो की एक सल्फर कंपाउंड है और यही लहसुन को इसकी तीव्र गंध देता है। लहसुन इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाता है insulin release from pancreatic beta cells और रक्त में शर्करा के स्तर hypoglycemic को कम करता है। यह ट्राईग्लीसराईड्स triglyceride levels को कम करता है।
SYNONYMS
- Latin name: Allium sativum Linn
- Sanskrit : Rasona, Yavaneshta
- Assamese : Maharu
- Bengali : Lasuna
- English : Garlic
- Gujarati : Lasan, Lassun
- Hindi : Lahasun
- Kannada : Bulluci
- Malayalam : Vellulli, Nelluthulli
- Marathi : Lasun
- Punjabi : Lasan
- Tamil : Vellaipoondu
- Telugu : Vellulli, Tellapya, Tellagadda
- Urdu : Lahsan, Seer
रसोन तेल / लहसुन का तेल Garlic oil
लहसुन में एक तरह का उड़नशील गंधक-युक्त तेल Allyl Disulphide and Diallyl Disulphide, श्वेतसार, व ३५ प्रतिशत म्युसिलेज, एल्ब्यूमिन, कैल्शियम, Allin, Allicin, Mucilage and Albumin लोहा, विटामिन C तथा अन्य घटक पाए जाते है। उड़नशील तेल को डिस्टिलेशन steam distillation of the minced raw material से प्राप्त किया जाता है। इसमें एलाइल तथा प्रोपाइल, गंडक के यौगिक पाए जाते हैं। यह तेल गहरे भूरे व् पीले रंग का साफ़ द्रव्य होता है।
इसे आधी से दो बूँद की मात्रा में लिया जाता है।
आयुर्वेदिक गुण और कर्म Ayurvedic properties and action of Garlic
- रस (taste on tongue): मधुर, कटु, तिक्त, कषाय (६ में से ५ रस )
- गुण (Pharmacological Action): गुरु, सर, तीक्ष्ण, स्निग्ध, पिच्छिल
- वीर्य (Potency): उष्ण
- विपाक (transformed state after digestion): कटु
कर्म / Action:
- वात-कफ नाशक
- दीपन-पाचन, अनुलोमना
- कृमिघ्न, यकृत उत्तेजक
- वेदानास्थापन, हृदयोत्तेजक
- मेद्य, कफः निस्सारक
- कंठ्य, शुक्रल
- यूनानी मत के अनुसार, यह तीसरे दर्जे में गर्म और खुश्क है।
लहसुन के औषधीय गुण और लहसुन के लाभ Health benefits of Garlic
- यह एंटीबायोटिक antibiotic है।
- यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।
- यह स्नायु, दिमाग, और हृदय को शक्ति देता है।
- यह रक्त के थक्कों को बनने से रोकता है।
- यह रक्त वाहिकाओं को संतुलित अवस्था में रखता है।
- यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
- इसमें मैंगनीज़, विटमिन बी, सी व सेलेनियम पाया जाता है।
- यह जोड़ों के दर्द के लिए यह लाभकारी है।
- यह विकृत वात और कफ को ठीक करता है।
- वायु-जनित / वात रोगों, जैसे की गठिया, जोड़ों का दर्द, लकवा, मिर्गी, आदि में दूध में लहसुन की एक-दो कली डाल कर उबालें। लहसुन को चबा कर खाएं और दूध पी लें।
- यह लीवर को उत्तेजित करता है और पाचन को बेहतर करता है।
- यह पेट की गैस, अपच में लाभप्रद है।
- यह कफःनिस्सारक है।
- यह सेलेनियम का भी अच्छा स्त्रोत है।
- यह बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट है।
- यह मासिक धर्म में रक्त की मात्रा को नियमित करता है।
- यह त्वचा और किडनी की क्रिया को तेज़ करता है।
- यह मूत्रवर्धक diuretic है।
- यह वीर्यवर्धक और कोमोत्तेजक है। यह ब्लड सर्कुलेशन और और सेक्शुअल परफॉर्मेंस को बढ़ाने में मदद करता है।
लहसुन से उपचार और लहसुन के औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Garlic
- कान के दर्द में, सरसों के तेल में लहसुन की ४-५ कलियाँ काली पड़ने तक गर्म की जाती हैं और औषधीय तेल बनाया जाता है। इस तेल की २-३ बूंदे कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है।
- दांत के दर्द में, लहसुन के रस में रूई डुबा कर प्रभावित स्थान पर लगाने से आराम होता है।
- चमड़ी के रोग, दाद, खाज आदि में लहसुन को घर्षण कर लगाया जाता है।
- बिच्छू के काटे पर, लहसुन और अमचूर को बराबर की मात्रा में पानी के साथ पीस कर प्रभावित स्थान पर लगायें।
- अस्थमा में, पांच ग्राम लहसुन का रस को १०० मिली गुनगुने पानी और १०-२० ग्राम शहद मिला कर सुबुह खाली पेट पियें। ऐसा तीन महीने तक करें।
- दिल के रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, में लहसुन की कलियों को शुद्ध घी में लाल होने तक भूने और इन्हें सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ निगल जाएँ। या नियमित रूप से एक लहसुन की कली छील कर पानी के साथ निगल जाएँ।
- कफ रोगों, खांसी, निमोनिया में, लहसुन को शहद के साथ लेने से बलगम दूर होता है।
- कृमि रोग में,लहसुन और मूली का रस लेने से लाभ होता है।
- शरीर में वात अधिक होने पर, लहसुन के २-३ टुकड़े पानी के साथ निगल जाने चाहिए।
- वीर्य बढ़ाने के लिए, लहसुन की ३-४ कलियाँ रात को दूध के साथ लें।
- पेट के दर्द में लहसुन का रस, नमक के साथ लेना चाहिए।
- जलोदर में १ चम्मच लहसुन का रस १०० ग्राम पानी के साथ लें।
- गंजेपन में लहसुन का रस लगाकर सूखने दें। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
कफ के बुखार और बदन के दर्द में लहसुन का प्रयोग Use of Garlic in Fever and pain in body
सरसों का तेल १०० ग्राम लें। इसमें १-२ चम्मच अजवाईन के दाने और लहसुन की ८-१० कलियाँ डाल, धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाईन काले हो जाएँ तो छान कर रख लें।
इसे बदन दर्द में इस्तेमाल करें।
कफ वाले बुखार में इसका प्रयोग मालिश के लिए करें। इससे पैर के तलवे में मालिश करने से बुखार उतर जाता है।
लहसुन कैसे खाएं और लहसुन की खुराक Dosage of Garlic
- एक दिन में 1-5 ग्राम लहसुन का सेवन करें।
- श्लीपद और वात विकारों में आहार के साथ लहसुन कुछ ज्यादा मात्रा में किया जा सकता है।
- पित्त प्रकृति में इसे मिश्री + ठन्डे पानी के साथ लें।
- वात प्रकृति में इसे घी के साथ लें।
- कफ में इसे शहद के साथ लें।
लहसुन के नुकसान और लहसुन के प्रयोग में सावधानियां Warning / Side-effects
- इसे अल्प मात्रा में नियमित खाएं।
- यह तासीर में गर्म है। यह शरीर में पित्त bile बढ़ाता है। इसे सावधानी से शरीर की प्रकृति के हिसाब से प्रयोग करें।
- यह खून को पतला करता है इसलिए इसे ब्लीडिंग डिसऑर्डर bleeding disorder में नहीं लेना चाहिए।
- यह शरीर में रूक्षता dryness करता है।
- यह पेट में जलन, इरीटेशन irritation कर सकता है।
- इसे हाईपरथायेरोडिस्म hyperthyroidism में न लें।
- अधिक मात्रा में इसका सेवन पेट में गैस, सर में दर्द, उल्टी, छाती में जलन और अतिसार करता है।
- गर्भावस्था में इसका प्रयोग दवा की तरह न करें।
- जो लोग इसे सही से नहीं पचा पाते उनमें इसका सेवन बेचैनी करता है, शरीर पर दाने करता है और प्यास लगाता है।
- लहसुन का लेप छाले कर सकता है।
- लहसुन बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए। यह मुंह और पेट में जलन कर सकता है।
- लहसुन का सेवन पसीने, साँस, में बदबू करता है।
लहसुन खाने से मुंह में आने वाली दुर्गन्ध को दूर करने के लिए, सौंफ और इलाइची चबानी चाहिए।
यदि अधिक लहसुन ले लिया हो तो धनिये का काढ़ा, बादाम का तेल या कतीरा गोंद का सेवन करें।