छोटी इलाइची के फायदे, नुकसान

इला या इलायची के बीज सुगंधित और स्वादिष्ट होते हैं। एला में औषधीय गुण भी होते हैं। यह क्षुधावर्धक appetizing हैं और भूख को बढ़ाते हैं। यह पाचन तंत्र के कई आम बीमारियों के लिए घरेलू उपचार की तरह प्रभावी है।

छोटी इलाइची को संस्कृत में सूक्ष्मैला, एला, उपकुन्चिका, तुत्त्था, कोरंगी, द्राविड़ी आदि नामों से जाना जाता है। इसका लैटिन नाम एलेटेरिया कार्डोमोमम है। यह मूलतः भारत का पौधा है तथा लंका में भी इसकी खेती होती है।

हर भारतीय घर में यह मसाले के रूप में उपलब्ध रहती है। इसे हलवे में, मीठे पकवानों में और दूध में अच्छा फ्लेवर, खुशबु देने के लिए प्रयोग किया जाता है। दूध में डालने से दूध सुपाच्य हो जाता है और कफ भी कम बनाता है। इन्हें माउथ फ्रेशनर की तरह चबा कर मुंह की दुर्गंध दूर की जाती है।

इला या इलायची के बीज सुगंधित और स्वादिष्ट होते हैं। एला में औषधीय गुण भी होते हैं। यह क्षुधावर्धक appetizing हैं और भूख को बढ़ाते हैं। यह पाचन तंत्र के कई आम बीमारियों के लिए घरेलू उपचार की तरह प्रभावी है।

छोटी इलाइची, के पौधे के छोटी झाड़ी होते है। यह अदरक कुल का पौधा है और इसके पत्ते अदरक के पौधे की तरह छोटे पर चौड़े होते हैं। फूल सुगन्धित होते हैं। छोटी इलाइची का पौधा भी अच्छी गंध वाला होता है। क्योकि यह दक्षिण भारत में पायी जाती है, इसे द्रविडा भी कहते हैं। यह मालाबार, गुजरात में अधिक होती है। इलाइची का सेवन गैस को दूर करता है। यह वात को दूर करता है। छोटी इलाइची का विरेचन की औषधियों के साथ संयोग करने से, इन दवाओं के सेवन से पेट में होने वाले दर्द की आशंका कम होती है।

सामान्य जानकारी | General Information about Lesser Cardamom in Hindi

भारत में छोटी इलाइची, दक्षिणी और पश्चिमी प्रदेशों में, मैसूर, कुर्ग, मदुरा, कोचीन के पहाड़ी जंगलों में मिलती है। कुर्ग से इलाइची गुजरात, से होकर अन्य प्रान्तों में में भेजी जाती है इसलिए इसे गुजराती इलाइची भी कहते हैं।

cardamom
By I, Luc Viatour, CC BY-SA 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=3581712

मैसूरी इलाइची बाजारों में अधिक मात्रा में मिलती है। यह छोटी और अंडाकार होती है। यह हल्की क्रीम रंग की होती है। इसका छिलका चिकना होता है। मलाबारी इलाइची, छोटी-मोटी और छिलकों पर झुर्री और रेखाओं युक्त होती है। मंगलौरी इलाइची गोलाकार, लम्बी, बड़ी और खुरदरे छिलके वाली होती है।

छोटी इलाइची के पौधे ४-८ फूट तक ऊँचे होते हैं। यह बहुवर्षीय और सदाहरित होते है। इनकी जड़े कन्दीय होती है। इसके ऊपरी भाग से कड़ी डालियाँ निकलती हैं। पत्तियां ३०-६० cm तक लम्बी और ३ इंच तक चौड़ी आयताकार-भालाकार होती हैं। फूल निकली सी डाली पर लगता है। मंजरियाँ गुच्छे में होती हैं। इनमे सफ़ेद और लाल रंग के फूल आते हैं। यह ठंडी जलवायु में काफी बढती हैं। फूलों से फल बनते हैं कच्चे फल हरे रंग के और पके फल पीले होते हैं। फलों के अन्दर बीज भरे होते हैं।

  • वानस्पतिक नाम: Elettaria cardamomum एलेटेरिया कार्डोमोमम
  • Synonyms: Amomum repens Sonn., A. cardamomum Lour., Alpinia cardamomum Roxb.
  • कुल (Family): Zingiberaceae जिंजीबेरेसीएइ – अनार्द्र कुल
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: बीज
  • पौधे का प्रकार: झाड़ी

वितरण: यह दक्षिण भारत के नम सदाबहार वन का मूल निवासी है, और वहां पश्चिमी घाट में 800-1600 मीटर तक जंगली रूप से उगता है। इसकी केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में खेती की जाती है।

स्थानीय नाम / Synonyms in Hindi

  • Sanskrit: Sukshmaila, Sukshma, Tuttha, Korangi, Dravidi, Truti, Triputi
  • Assamese: Sarooplaachi
  • Bengali: Chota elaichi, Gujrati elachi
  • English: Cardamom, Lesser cardamum
  • Gujrati: Elchi, Elachi, Elayachi
  • Hindi: Choti ilayachi, Choti elachi, Ilayechi, Elachi
  • Kannada: Elakki, Sanna Yalakki
  • Kashmiri: Kath
  • Malayalam: Elam, Chittelam
  • Marathi: Velloda, Lahanveldoda, Velchi
  • Oriya: Gujurati, Chotaa leicha, Alaicha
  • Punjabi: Illachi, Chhoti Lachi
  • Tamil: Siruelam
  • Telugu: Chinne Elakulu, Sanna Elakulu
  • Urdu: Heel Khurd
  • Arabic: Qaqilah, Qaqilahe-sighal; Hel, Hel-bava, Kh-airbnva, Shoshmir
  • Persian: Kakilahe-khurd

बीजों के संघटक | Constituents of Lesser cardamom seeds in Hindi

इलाइची के अन्दर स्थिर तेल दस प्रतिशत तथा उड़नशील तेल पांच प्रतिशत होता है। इसमें पोटैशियम तीन प्रतिशत, श्वेतसार तीन प्रतिशत, नाइट्रोजन मिश्रित म्युसिलेज दो प्रतिशत, और फाइबर सतहत्तर प्रतिशत होता है।

इलाइची के बीजों यह चूर्ण के औषधिया गुण

इलाइची के बीजों को बारीक पीसने से सुगन्धित और विशेष गुणों वाला भूरा सा पाउडर तैयार होता है जिसे दवा की तरह से प्रयोग किया जाता है। एला का चूर्ण ठंडक देने वाला cooling, मतली-उल्टी रोकने वाला anti-emetic, उत्तेजक stimulant, वातहर carminative, पाचक digestive और भूख बढ़ाने वाला appetizing स्वादिष्ट पाउडर है। अध्ययन दिखाते हैं इलाइची के बीजों में रोगाणुरोधी, सूजन दूर करने वाले, दर्द निवारक, ऐंठन दूर करने के और एंटीफंगल anti-microbial, anti-inflammatory, analgesic, anti-spasmodic, and anti-fungal गुण हैं।

  • गर्भान्तक abortifacient/ induces abortion
  • रोगाणुरोधी Antimicrobial
  • ऐंठन दूर करने वाला Antispasmodic
  • वायरस विरोधी Antiviral
  • कामोत्तेजक Aphrodisiac
  • हृदय के लिए टॉनिक Cardiotonic
  • वात हर Carminative
  • गालब्लैडर को उत्तेजित करने वाला Cholagogue
  • बाइल के स्राव को बढ़ाने वाला Choleretic
  • सर्दी खाँसी की दवा Decongestant
  • पचानेवाला Digestive
  • कफ निकालने वाला expectorant
  • मूत्रल diuretic
  • मासिकधर्म के स्राव को बढ़ाने वाला emmenagogue
  • विरेचक Laxative

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

छोटी इलाइची के बीज दुर्गन्ध नाशक, अनुलोमन, हृदय के लिए हितकारी, वमन-तृष्णानाशक श्वास और कास को दूर करने वाले है। इनके आयुर्वेदिक गुण नीचे दिए गए हैं।

  1. रस (taste on tongue): मधुर, कटु
  2. गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  3. वीर्य (Potency): शीत
  4. विपाक (transformed state after digestion): मधुर
रोगघ्नता : मुखरोग, छर्दि, हृल्लास, तृष्णा, अरुचि, अग्निमांद्य, उदरशूल, अध्मान, अतिसार, अजीर्ण, अर्श, हृदयदौर्बल्य, कास, श्वास, क्षय, मूत्रकृच्छ्र, जलन, दौर्बल्य, भ्रम, नेत्ररोग
कर्म : मुखशोधन, दुर्गन्धनाशन, छार्दिनिग्रहण, तृष्णाणिग्रहण, दीपन, पाचन, रोचना, अनुलोमन, उत्तेजक, हृदय, कफनिस्सरक, मूत्रजनन, बल्य

मुख्य आयुर्वेदिक दवाएं

  1. एलादी चूर्ण Eladi Churna

  2. एलादि गुटिका Eladi Vati

  3. अर्क इलाइची Ark Ilaichi

  4. इलादी मोदक Eladi Modaka

  5. सितोपलादि चूर्ण Sitopaladi Churna

छोटी इलाइची के लाभ | Benefits of cardamom in Hindi

इला या इलायची इलायची के बीज सुगंधित और स्वादिष्ट होते हैं।

इनमें क्षुधावर्धक appetizing गुण भी होता है।

इन्हें उल्टी, भूख न लगना, अपच, पेट की जलन, मतली, प्यास, चक्कर आना, पेशाब में जलन, मुंह की बदबू आदि में दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है।

इलाइची का चूर्ण का प्रयोग शरीर में अधिक गर्मी, या एसिडिटी के उपचार में होता है। यह तासीर में ठंडी होती है और शरीर को शीतलता देती है।

उल्टी-मतली में इला के चूर्ण को आधा-एक ग्राम की मात्रा में थोड़े से पानी के साथ निगल जाना चाहिए।

अपच के कारण उल्टी, गैसट्राईटिस, ज्यादा ब्लड यूरिया आदि, इलाइची का चूर्ण लेना चाहिए या २।५ से ५ ग्राम इलाइची के चूर्ण को ३० मिलीलीटर गर्म पानी में डाल कर आधे घंटे रखना चाहिए और इसे थोड़ी-थोड़ी देर में लेना चाहिए।

औषधीय मात्रा

छोटी इलाइची के चूर्ण को दवा के रूप में, १/२ से १ ग्राम बड़ों को और बच्चों को 60-120 mg दिन २-३ बार लेना चाहिए। इसे शहद या गुनगुने पानी के साथ लें तो ज्यादा अच्छा है। इसे खाली पेट या भोजन करने के आधा घंटे पहले लेना चाहिए।

इलाइची के चूर्ण को औषधीय मात्रा में लेने से निम्न में लाभ होता है:
  • जी मिचलाना Nausea
  • उल्टी vomiting
  • गैसट्राईटिस gastritis
  • अपच indigestion
  • भूख न लगना anorexia
  • पेट संबंधी विकार
  • अधिक प्यास लगना excessive thirst
  • चक्कर आना giddiness
  • मुंह के खराब स्वाद bad taste of mouth
  • मूत्रवर्धक diuretic, पेशाब में जलन, मूत्रकृच्छ
  • दुर्बलता debility
  • दृष्टि का दोष defects of vision
  • कफ, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस
  • बवासीर haemorrhoids

सावधानियां

परंपरागत रूप से, इलायची के बीजों या इसके पाउडर को लेना पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन कुछ रिपोर्टों के अनुसार, इलायची गालस्टोन gallstone होने पर दर्द करा सकते हैं इसलिए पित्त की पथरी होने पर उस प्रयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

Home remedies of Cardamom in English

References

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  4. Sharma PC, Yelne MB, Dennis TJ. Database on medicinal plants used in Ayurveda. Vol. 5. New Delhi:
  5. Central Council for Research in Ayurveda and Siddha, 2002.
  6. Khare CP. Indian medicinal plants. New Delhi: Springer (India) Private Limited, 2007.
  7. Kirtikar KR, Basu BD. Indian medicinal plants. Vol. IV. Allahabad: LM Basu, 1989.
  8. The National Formulary 20th ed, 1st Suppl. Rockville, MD, The United States Pharmacopeia Convention, 2002.

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