हरड़ के दो प्रकार हैं, छोटी और बड़ी। छोटी हरड़, बड़ी हरड़ से करीब आधी होती है। बड़ी हरड़ पीले रंग की होती है और इस पर धारियाँ होती है। दोनों ही हरड़ को औषधीय प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हरीतकी जो पानी में डालने पर डूब जाए वह अच्छी मानी जाती है।
हरड़ का वृक्ष पूरे भारत में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे की हरीतकी, अभया, पथ्या, पूतना, अमृता, हैमवती, चेतकी, विजया, जीवंती और रोहिणी। हिंदी में इसे हरड़, हर्रे, हर्र, नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, हरीतकी में पांचो रस मधुर, तीखा, कडुवा, कसैला, और खट्टा पाए जाते हैं।
हरड़ के दो प्रकार हैं, छोटी और बड़ी। छोटी हरड़, बड़ी हरड़ से करीब आधी होती है। बड़ी हरड़ पीले रंग की होती है और इस पर धारियाँ होती है। दोनों ही हरड़ को औषधीय प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हरीतकी जो पानी में डालने पर डूब जाए वह अच्छी मानी जाती है।
हरीतकी के त्ताज़े और सूखे दोनों ही रूपों में प्रयोग किया जाता है। ताज़े फल एकत्र कर, साफ़ कर, नमक के पानी में भिगो कर बाद में अचार की तरह बना कर रख लिया जाता है। इसे खाने से कब्ज से राहत मिलती है। यह अपच और याददाश्त में भी लाभदायक है। पके सूखे फल को पीस कर पाउडर बना कर औषधीय प्रयोग किया जाता है। इस पाउडर का एक चम्मच की मात्रा में शाम को गर्म पानी के साथ सेवन करने से लीवर फंक्शन और सिर दर्द में लाभ होता है।
हरीतकी एक बहुत ही सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा ‘त्रिफला’ के तीन फलों में से एक है। यह अभयारिष्ट Abhayarishta, अभया मोदक, हरीतकी खंड, अगस्त्य रसायन आदि के निर्माण में भी एक घटक के रूप में प्रयोग की जाती है। एलोपैथी में इसे मलहम की तरह बाहरी रूप से उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। यूनानी चिकित्सा प्रणाली में, यह एक रक्त शोधक blood purifier के रूप में प्रयोग की जाती है। हरीतकी फल का गूदा बवासीर piles, क्रोनिक दस्त, पेचिश chronic diarrhea, dysentery, कब्जियत constipation, पेट फूलना flatulence, दमा asthma, मूत्र विकार urinary disorders, उल्टी vomiting, हिचकी hiccup, पेट के कीड़े intestinal worms, जलोदर ascites और बढ़े हुए प्लीहा और यकृत enlarged spleen and liver के उपचार में प्रयोग होता है। फल का पाउडर, पुरानी अल्सर और घाव chronic ulcers and wounds, दांत में कीड़ा, मसूड़ों से खून, आदि में प्रयोग किया जाता है।
हरड़ के पेड़ की सामान्य जानकारी | Harad Tree in Hindi
वर्गीकरण (Classification)
- Kingdom: Plantae
- Subkingdom: Tracheobionta – Vascular plants
- Superdivision: Spermatophyta – Seed plants
- Division: Magnoliophyta – Flowering plants
- Class: Magnoliopsida – Dicotyledons
- Subclass: Rosidae
- Order: Myrtales
- Family: Combretaceae – Indian Almond family
- Genus: Terminalia L. – tropical almond
- Species: Terminalia chebula (Gaertn.) Retz. – myrobalan
हरड़ का वानस्पतिक नाम Botanical name: टर्मिनेलिया चेबुला
औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: बीज निकाल कर फल का गुद्दा.
पौधे का प्रकार Type: एक मध्यम से बड़ा पर्णपाती वृक्ष.
वितरण Distribution: भारत भर में सूखी ढलानों पर, मुख्यतः पर्णपाती जंगलों में; 1500 मीटर की ऊंचाई तक; यह श्रीलंका, नेपाल और बर्मा में भी पाया जाता है.
पर्यावास Habitat: मुख्यतः पर्णपाती जंगलों जिनमे हल्की बारिश हो लेकिन कभी-कभी यह थोडे नम जंगलों में भी पाया जाता है. फूल, अप्रैल से अगस्त में और फल अक्टूबर से जनवरी।
हरड़ पेड़ का स्थानीय नाम / Synonyms of Harad Tree in Hindi
- Sanskrit : Abhaya, Kayastha, Shiva, Pathya, Vijaya अभया, कायस्थ, शिव, पथ्या, विजया (आयुर्वेद में विजया भांग को भी कहते है)
- Assamese : Shilikha
- Bengali : Haritaki
- English : Myrobalan
- Gujrati : Hirdo, Himaja, Pulo-harda
- Hindi : Harre, Harad, Harar
- Kannada : Alalekai
- Kashmiri : Halela
- Malayalam : Katukka
- Marathi : Hirda, Haritaki, Harda, Hireda
- Oriya : Harida
- Punjabi : Halela, Harar
- Tamil : Kadukkai
- Telugu : Karaka, Karakkaya
- Urdu : Halela
हरीतकी के संघटक
हरीतकी के फल में ३० प्रतिशत चेब्युलिनिक एसिड, ३०-४५ प्रतिशत टैनिक एसिड, ग्लाइकोसाइड्स, और रेसिन पाए जाते हैं।
हरड़ आयुर्वेदिक गुण और कर्म | Ayurvedic Properties and action in Hindi
- रस (taste on tongue): मधुर, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय
- गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
- वीर्य (Potency): उष्ण
- विपाक (transformed state after digestion): मधुर
- कर्म: चक्षुष्य, दीपन, हृदय, मेध्य, सर्वदोषप्रसामना, रसायन, अनुलोमना
महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाएं | IMPORTANT FORMULATIONS
त्रिफला चूर्ण, त्रिफलादि तैल, अभयारिष्ट, अगस्त्य हरीतकी रसायन, चित्रक हरीतकी, दन्ती हरीतकी, दशमूल हरीतकी, ब्रह्म रसायन, अभया लवण, पथ्यादि लेप.
हरड़ के औषधीय प्रयोग | THERAPEUTIC USES IN HINDI
शोथ, अर्श, अरुचि, हृदयरोग, कास, पाण्डु, प्रमेह, उदावर्ता, विबन्ध, जीर्णज्वर, विषमज्वर, शिरोरोग, तमक श्वास, गुल्म, उदररोग.
औषधीय मात्रा Dosage: 3-6 g हरीतकी के फल का पाउडर.
हरड़ के औषधीय उपयोग | Medicinal Uses of Haritaki in Hindi
हरीतकी में रेचक laxative, कषाय astringent, और रसायन tonic गुण होते हैं। कच्चा फल प्रवाहिका और अतिसार में लाभकारी है। पका हुआ फल रसायन, वात को नीचे ले जाने वाला, और रक्तवर्धक माना जाता है। हरीतकी का प्रयोग पेट रोग, लीवर के लिए और रसायन की तरह होता है। बाहरी रूप से हरीतकी का प्रयोग छालों के लिए और दन्त मंजनों को बनाने के लिए होता है।
Haritaki हरीतकी नमक के साथ कफ को, शक्कर के साथ पित्त को, घी के साथ वात विकारों और गुड़ के साथ सभी रोगों को दूर करती है।
अर्श piles
हरीतकी चूर्ण ३ ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।
वातरक्त या गाउट gout
हरीतकी चूर्ण ३ ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार गिलोय के काढ़े के साथ लें।
पांडु रोग anemia
हरीतकी चूर्ण ३ ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार गुड़ के साथ लें।
विरेचक Laxative
हरीतकी को पानी में भिगा कर रख लें और खाना खाने के बाद चबा कर खाएं।
भूख बढ़ाने के लिए low appetite
हरीतकी के टुकड़ों को चबाकर खाने से भूख बढती है।
भूख न लगना
हरीतकी का बारीक़ चूर्ण सोंठ, सेंधा नमक और गुड के साथ मिला कार दिन में दो बार सेवन करने से भूख और पाचन में सुधार होता है।
उल्टी vomiting
- हरीतकी पीस कर शहद के साथ चाट कर खाने से लाभ होता है।
- हरीतकी का चूर्ण १ ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।
हिचकी में Hiccups
हरीतकी के चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
मुंह के छाले
हरीतकी को पानी में घिस कर लगाने से लाभ होता है।
अम्लपित्त hyperacidity
हरीतकी चूर्ण १ चम्मच की मात्रा में किशमिश के साथ खाने से लाभ होता है।
कफ Cough
हरीतकी चूर्ण १ चम्मच की मात्रा में काले नमक के साथ, दिन में दो बार खाने से लाभ होता है।
ऋतुओं में हरड़ के सेवन की विधि
रसायन की तरह सेवन करने के लिए, हरीतकी को वर्षा ऋतु में नमक के साथ, शरत ऋतु में शक्कर के साथ, हेमंत ऋतु में सोंठ के साथ, शिशिर में पिप्पली के साथ, वसंत में शहद के साथ और ग्रीष्म में गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए।
किसे हरड़ नहीं खानी चाहिए
जो लोग कमजोर, बल रहित, रुक्ष, कृश, अधिक पित्त वाले हों उन्हें तथा गर्भावस्था में हरीतकी का सेवन नहीं करना चाहिए। उपवास में भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को अधिक प्यास लगती हो, मुख सूखता हो और नया बुखार हो उन्हें भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
My stomach inside to much constipation sir
Please read my post How to prevent constpestion, read it carefully and follow intructions, with the medicines given by dr. Do not chamge any medicines.
Drinking regularily 2-3 water is must and atleat 30 min excercise.
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Please consult a Ayurvedic dr as it depends upon several factor.