खूबकलाँ एक यूनानी नाम है। यूनानी चिकित्सा, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों में पारंपरिक चिकित्सा का नाम है। यूनानी में इसके बीज खांसी, छाती में कफ, ज्वर, दमा, आवाज सम्बन्धी दिक्कतों आदि में प्रयोग किये जाते हैं।
खूबकला, खूबकलाँ, खाकसीर, खाकशी, बनारसी राई अथवा जंगली सरसों, एक पौधे के बीज है। यह ब्रैसिकेसी/क्रुसीफेरी या सरसों कुल का पौधा है। आम तौर पर यह पौधा वार्षिक या द्विवार्षिक होता है और नम मिट्टी में पाया जाता है। भारत में यह कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पाया जाता है। यह दुनिया के कई अन्य देशों में भी पाया जाता है।
इसका अंग्रेजी नाम लंदन रॉकेट है। जब 1666 में लंदन की आग के बाद, यह पूरे लंदन में प्रचुर मात्रा में बने उगने लगा तब इसे यह नाम मिला। यह अरब, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी उगता पाया जाता है।
खूबकलाँ एक यूनानी नाम है। यूनानी चिकित्सा, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों में पारंपरिक चिकित्सा का नाम है। यूनानी में इसके बीज खांसी, छाती में कफ, ज्वर, दमा, आवाज सम्बन्धी दिक्कतों आदि में प्रयोग किये जाते हैं। यह गठिया, जिगर और तिल्ली से गंदगी दूर करने के लिए, सूजन,, घाव और बवासीर में भी इस्तेमाल होता है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका वर्णन नहीं पाया जाता है। खूबकला के बीज स्वाद में तीखे और और तासीर में गर्म होते हैं।
सामान्य जानकारी General Information
अंग्रेजी: हेगड़े-सरसों, लंदन रॉकेट, डेजर्ट सरसों Hedge-Mustard, London Rocket, Desert mustard
- हिन्दी: खूबकला, खाकसीर, खाकशी, बनारसी राई अथवा जंगली सरसों Khub Kalaan, Khaaksee, Khaaksi, Khubkala
- मराठी: Ranteekhee
- पंजाबी: Jangli sarson जंगली सरसों, Maktrusa, Maktaroosaa
- तेलुगू: Jeevakamu
- उर्दू: Khubakalan, Khaksi, Khaksir, Khub कलान, Shaba
- यूनानी: Khubkalan, Khubkalon, Khaksi
- तिब्ब नाम: खूब कलान
- अरबी: Jalijan, Khakshi, Khubba
- डेनमार्क: Esdragon
- स्पेनिश: ireos, matacandil, oruga leonina, rabanillo amarillo
- स्वीडन: Ampelskara, vallsenap
- पर्शियन: Khaksi
वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- KINGDOM जगत: Plantae
- PHYLUM विभाग: Spermatophyta
- SUBPHYLUM उपविभाग: Angiospermae
- CLASS वर्ग: Dicotyledonae
- ORDER गण: Capparidales
- FAMILY कुल: Brassicaceae ब्रैसिकेसी/क्रुसीफेरी सरसों कुल
- GENUS: Sisymbrium सिसिम्ब्रियम
- SPECIES: Sisymbrium irio सिसिम्ब्रियम इरियो
बीज के औषधीय गुण Medicinal Uses of Khubkala
- Expectorant: कफ निकालनेवाली औषधि
- Anti-tussive: कासरोधक
- Restorative: सामान्य स्वास्थ्य को मज़बूत करने वाला
- Febrifuge: ज्वरनाशक
- Rubefacient: दर्द में उपयोगी
- Antibacterial: जीवाणुरोधी
- Aphrodisiac: कामोद्दीपक
- Cardio tonic: दिल पर टॉनिक प्रभाव
आयुर्वेदिक गुण और शरीर पर कार्रवाई
- खूबकला बीज स्वाद में तीखे और चिपचिपे होते हैं। वे तासीर में गर्म और पाचन में भारी होते हैं।
- रस (स्वाद): कटु/तीखा
- गुण (लक्षण): गुरु/भारी, स्निग्ध, चिपचिपा
- वीर्य (शक्ति): गर्म
- विपाक (पोस्ट पाचन प्रभाव): कटु/तीखा
- शरीर पर कार्रवाई Action on Body
- वातहर
- कफहर
- स्वेदकर
- शोथहर
- बल्य
खूबकला बीज पाउडर का चिकित्सकीय उपयोग
- दमा, खांसी
- बुखार, आवाज/स्वर बैठना
- वात की ख़राबी के कारण रोगों
- कफ की ख़राबी के कारण रोगों
- कमजोरी
खूबकला बीज पाउडर की खुराक Dosage of Seed powder:
3-6 gram.
खूबकला के विभिन्न औषधीय उपयोग
- बवासीर के उपचार में इसका पाउडर 5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार तीन सप्ताह के लिए लिया जाता है।
- बीज के काढ़े को खसरा और चेचक के मामले में दिया जाता है ।
- बुखार के लिए बीज को पानी में उबाल कर देते हैं।
- बीज को गुलाब जल के साथ हैजा में देते हैं।
- दस्त में, बीज कासनी की पत्तियों के साथ देते हैं।
- बाह्य रूप में बीज को प्रलेप की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
बच्चों के सूखा रोग के उपचार के लिए, खूबकलाँ के पचास ग्राम बीजों को आधा किलो बकरी के दूध में खूब पकाया जाता है। इसे फिर कपड़े से छान लिया जाता है और छाया में सुखाया जाता है। ऐसा तीन बार किया जाता है। तीसरी बार जब छाया में अच्छी तरह सूख जाता है तो इसे बारीक पीस कर एक बोतल में रख लेते है। इसको प्रतिदिन २ ग्राम की मात्रा में दूध में घोलकर बच्चों को देने से सूखा रोग दूर हो जाता है।
- टायफायड या मियादी बुखार में, खूबकलां के दाने दूध या पानी में पकाकर पिलाये जाते हैं।
- खूबकलां 1-2 ग्राम नियमित रूप से 2 बार दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी ठीक होती है।
- सूजन में खूबकलां के दाने सूजन वाले हिस्से पर लगाये जाते हैं।
पौधे के पत्ते सलाद के रूप में खाए जा सकते है। उनमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। पत्तों में 82% नमी, 7% प्रोटीन, 0।4% फाइबर, 8% कार्बोहाइड्रेट, खनिज (कैल्शियम, phosphorus, लोहा) और विटामिन (विटामिन ए और सी) होते हैं। पत्तों को भी श्वसन रोगों, खाँसी, और गले रोग के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
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