कुटज पेड़ की छाल और बीजों का आयुर्वेद में बहुत पुराने समय से दस्त, पेचिश, आंव आना, तथा खून बहने के विकारों में प्रयोग होता है।
कुटज आयुर्वेद का एक बहुत ही जाना माना औषधिया पेड़ है। कुटज पेड़ की छाल और बीजों का आयुर्वेद में बहुत पुराने समय से दस्त, पेचिश, आंव आना, तथा खून बहने के विकारों में प्रयोग होता रहा है। इसका पेड़ मध्य आकार का होता है और मुख्यतः हिमालय, विंध्य और दिक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
चिकित्सीय उपयोग के लिए 8-12 साल के पेड़ की छाल को जुलाई-सितंबर और सर्दी के मौसम के बाद इकट्ठा किया जाता है। कुटज के फूल हल्के पीले और सुगंधित होते हैं तथा आम तौर पर बरसात के मौसम के दौरान खिलते हैं।
इसके बीज, जौ के आकार के होते हैं जिन्हें इंद्रयव कहा जाता है। आधुनिक अनुसंधान साबित करते हैं कुटज एक प्रभावी अमीबीसाइड amoebicide है । यह अमीबी पेचिश के लिए एक विशिष्ट उपाय है।
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम: होलाईरिना एंटी-डाइसिनट्रीका Holarrhena antidysenterica
- कुल (Family): एपोसाईनेसीएई Apocynaceae
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: छाल जिसे कुटज के नाम से जाना जाता है और बीज जिन्हें इन्द्रयव कहा जाता है।
- पौधे का प्रकार: मध्यम आकार का पेड़
- वितरण: पहाड़ी क्षेत्रों में
स्थानीय नाम / Synonyms
- Sanskrit: Kalinga, Shakra, Vatsaka कलिंगा, शाखी, वत्सक
- Assamese: Dudhkuri
- Bengali: Kurchi कुरची
- English: Ester tree, Conessi bark एस्टरट्री, कोनसी बार्क
- Gujrati: Kuda, Kadachhal, Kudo कूड़ा, कड़छाल, कूड़ो
- Hindi: Kurchi, Kuraiya कुरची, कुरैया
- Kannada: Kodasige, Halagattigida, Halagatti Mara
- Kashmiri: Kogad कोगड़
- Malayalam: Kutakappala
- Marathi: Pandhra Kuda
- Oriya: Kurei, Keruan
- Punjabi: Kurasukk, Kura
- Tamil: Kudasapalai
- Telugu: Kodisapala, Palakodisa
- Urdu: Kurchi कुरची
कुटज के संघटक
कोनेसिन और दूसरे अल्कलॉइड्स Conessine and related alkaloids
कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं
कुटजारिष्ट, कुटजावलेहा, कुटज घन वटी Kutajarishta, Kutajavaleha, Kutajaghana Vati
आयुर्वेदिक गुण और कर्म
- रस (taste on tongue): तिक्त, कषाय
- गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
- वीर्य (Potency): शीत
- विपाक (transformed state after digestion): कटु
कर्म
- दीपन Deepana (promote appetite but do not aid in digesting undigested food)
- मूत्रल Mutrala (promote the secretion of urine)
- ग्राही Grahi (inspissants are medicines which from their stomachic, digestive and heating qualities dry the fluids of the body).
- स्तम्भन Stambhana or constipators have drying, astringent and cooling qualities. They are easy to digest and increase the air.
- कफ-पित्त शामक
विज्ञान द्वारा सिद्ध कुटज के गुण
- Amebicide अमीबा नष्ट करना
- Anthelminthicकृमिनाशक
- Antidysenteric पेचिश नष्ट करना
- Antiinflammatory सूजन दूर करना
- Antiviral वायरल रोधी
- Astringentटिश्यू को सिकोड़ने खून बहने को रोकना
- Constipating: कब्ज़ करना
- Digestive: पाचक
- Hypoglycemic शुगर लेवल कम करना
कुटज के चिकित्सीय उपयोग
- Ameba अमीबा
- Amebiasis एमीबियासिस
- Anorexia भूख न लगना
- Asthma अस्थमा
- Bleeding खून बहना
- Boil फोड़े
- Diabetes मधुमेह
- Diarrhea दस्त
- Dropsy ड्रोपसी
- Dysentery पेचिश
- Dysmenorrheaगर्भ से असमय रक्त बहना
- Epistaxis नाक से खून गिरना
- Hemorrhoid पाइल्स
- Infertility बाँझपन
- Inflammation सूजन
- Jaundice पीलिया
- Leprosy त्वचा रोग
- Leukoderma सफ़ेद दाग/ त्वचा रोग
- Malaria मलेरिया
- Water Retention शरीर में पानी रूक जाना
कुटज की छाल के कुछ औषधीय प्रयोग
- दस्त, पेचिश : कुटज की छाल का पाउडर ३ ग्राम की मात्रा में लें। यह कब्ज़ भी करता है इसलिए जैसे ही दस्त रुक जाएँ इसका प्रयोग बंद कर दें।
- जोड़ो के दर्द, गठिया : छाल को पानी में उबाल कर उसमें कुछ नमक डाल सेंक करने से लाभ होता है।
- मधुमेह : छाल को पानी में रात भर भिगों दें और सुबह पानी का सेवन करें।
- चमड़ी के रोग, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, प्रमेह, प्रदर : २ चम्मच चाल को रात में पानी में भिगों के रख दें और सुबह इस पानी का सेवन करें।
- पाइल्स, त्वचा रोग, फिस्चुला : २ ग्राम छाल के पाउडर का सेवन करें।
औषधीय मात्रा
- २० ग्राम छाल काढा बनाने के लिए।
- कुटजावलेहा: १-२ चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ अतिसार में।
- कुटज चूर्ण: ३ ग्राम छाछ के साथ दिन में दो बार, अतिसार में।
- कुटजारिष्ट: 12-24 ml, बराबर मात्रा में पानी के साथ मिलकर।