कुट्टू का आटा भारतवर्ष में व्रतों में प्रयोग किया जाता है। कुट्टू के आटे की पूरी, पकौड़े समेत कई व्यंजन बनते हैं। किसी भी तरह के व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता लेकिन फलों का सेवन किया जा सकता है। कुट्टू को सेवन भी इसलिए किया जा सकता है क्योंकि यह अन्न नहीं है बल्कि एक पौधे का फल है।
कुट्टू का इंलिश में नाम बकवीट Buckwheat है, लेकिन यह किसी भी तरह से गेंहू से सम्बंधित नहीं है। गेंहू, अनाज है और घास कुल का पौधा है जबकि कुट्टू यानि कि बकवीट का लैटिन नाम फैगोपाईरम एस्कूलेंटम Fagopyrum esculentum है और यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है।
बकवीट का पौधा, ज्यादा बड़ा नहीं होता है। इसमें गुच्छों में फूल और फल आते हैं। भारत में यह बहुत ही कम जगहों पर उगाया जाता है। मुख्य रूप से यह हिमालय के हिस्सों, जैसे की जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखण्ड, दक्षिण में नीलगिरी में और नार्थईस्ट राज्यों में उगाया जाता है। भारत में तो इसका मुख्य प्रयोग केवल व्रतों में ही होता है।
पूरी दुनिया में बकवीट की सबसे ज्यादा फसल, रूस, कज़ाकिस्तान, यूक्रेन, और चीन में होती है। बकवीट पौधे से प्राप्त फल तिकोने आकार के होता है। इसको पीस कर जो आटे जैसा पाउडर बनता है उसे बकवीट फ्लोर या कुट्टू का आटा कहते है।
बकवीट को जापान में नूडल्स बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चीन में इसका सिरका बनता है। अमेरिका और यूरोप में बकवीट के केक, बिस्किट, पैनकेक आदि बनाए जाते है।
Rutin
इसमें विटामिन पी, फ्लावोनोइड रूटिन Rutin होता है। करीब 100 ग्राम बकवीट के बीजो से 0.48mg to 4.97mg Rutin मिलता है। बाज़ार में रूटिन के 500 mg के एक्सट्रेक्ट Rutin 500 mg tablets उपलब्ध है। रूटीन को बहुत से रोगों के इलाज और उनके होने के रिस्क को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। रूटिन को त्वचा पर आसनी से नील पड़ने, पाइल्स, हृदय के रोग, वेरिकोज़ वेंस, स्किन एलर्जी, मधुमेह आदि में प्रयोग किया जाता है।
स्थानीय नाम
- Scientific name: Fagopyrum esculentum
- Ayurvedic: Kotu
- Folk: Kutu, Phapar
- India: Doron, Kadda Godhi, Kaiyuk, Akli Indrayan, Kathu, Kotu, Kuttu, Ogal (Kumaon), Oggal, Ogla, Olgo, Phapar, Suel, Tyat
- Hindi: Kaspat
- Maharashtra: Kutu
- English: Buckwheat, Common Buckwheat
- China: Qiao mai, Chiao mai, Wu Mai, Hua Chiao
- Japan: Soba, Buckwheat noddles
- Tibetan: Rgya bra
- Russia: Grechevnaya, groats, Krupa
कुट्टू के आटे के स्वास्थ्य लाभ Health Benefits of Kuttu Atta in Hindi
कुट्टू का आटा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसको खाने के अनेकों लाभ है। इसमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
- इसे गेंहू के विकल्प की तरह प्रयोग किया जा सकता है।
- इसमें ग्लूटेन नहीं होता इसलिए जिन्हें सिलियक डिसीज़ celiac disease है वे भी इसका सेवन कर सकते हैं।
- यह शरीर में पित्त को बढ़ाता है और कफ को कम करता है।
- यह पाचन में सहयोगी है।
- इसमें उच्च कोटि का प्रोटीन होता है।
- इसमें 8 ज़रूरी एमिनो एसिड्स होते हैं जो शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
- इसमें बी काम्प्लेक्स विटामिन्स B2, B2 भी हैं।
- यह मैंगनीज, मैगनिशियम, कॉपर, फॉस्फोरस Manganese, copper, Magnesium and phosphorus का अच्छा स्रोत है।
- यह हृदय के लिए कई तरीकों से लाभप्रद है।
- यह बुरे कोलेस्ट्रोल low-density lipoprotein cholesterol (LDL) को कम करता है, रक्त के दौरे को सुधारता है, तथा वेइन्स veins की इलास्टिसिटी को ठीक करता है।
- यह मधुमेह में भी लाभप्रद है।
- इसका सेवन मधुमेह होने के खतरे को कम करता है।
- इसका ग्लाईसीमिक इंडेक्स कम है जिस कारण यह खून में शुगर को धीरे रिलीज़ करता है।
- यह मैगनिशियम magnesium का अच्छा स्रोत है। मैगनिशियम शरीर के लिए अत्यंत ज़रूरी है। यह बहुत सारे एंजाइम का कोफैक्टर है और उनकी क्रिया के लिए ज़रूरी है। यह मेटाबोलिज्म, दिल की सेहत, मांसपेशियों के सही काम के लिए समेत अनेकों फंक्शन में भाग लेता है। कुट्टू के आते का सेवन इसकी कमी को दूर रखने में सहायक है।
सावधानियां
- कुट्टू के आटे को १-३ महीने के भीतर ही प्रयोग करना चाहिए।
- पुराना कुट्टू का आटा स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिप्रद है। पिछले कुछ सालों में, पुराने कुट्टू के आटे के सेवन के कारण फ़ूड-पोइजनिंग के मामले देखे गए है। दुकानदार लालचवश पुराना कुट्टू का आटा बेच देते है। लेने से पहले आटे की मैन्युफैक्चरिंग डेट अवश्य चेक करें।
- कुट्टू के आटे को फ्रिज में रखें।
- यह शरीर में पित्त और गर्मी को बढ़ाता है।
- आयुर्वेद में इसे स्वभाव से बहुत गर्म और रूक्ष (drying) माना गया है। इसका सेवन पित्त और वात / गैस को बढ़ाता है लेकिन कफ को कम करता है।
- इसे बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग न करें।