आम्र, रसाल, सहकार, अतिसौरभ, कामांग, मघुदूत, माकन्द, पिकवल्लभ, कामशर, किरेष्ट, पिकबंधू, प्रियाम्बु, वसंतदूत आदि आम के संस्कृत नाम है। यह वृक्ष भारत का ही है इसलिए इसका लैटिन नाम मैंगीफेरा इंडिका है। पूरी दुनिया में मीठे रसीले पके आम भारत से ही निर्यात किये जाते हैं। आम के फल से अचार, चटनी, मुरब्बा, शरबत से लेकर अनेकों भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। कच्चे आम से बनी चटनी, पन्ना, दाल में उबाल कर, अचार रूप में, सभी कुछ स्वादिष्ट है। पके आम के तो कहने ही क्या।
आम के वृक्ष पूरे भारतवर्ष में पाए जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे होते हैं व पतझड़ में गिर जाते हैं। वसंत के मौसम में लाल रंग के नए पत्ते व मंजरिया निकलती हैं। यह लाल पत्ते बाद में हरे हो जाते हैं।
आम के कई भेद हैं। कुछ प्राकृतिक हैं और कुछ को बनाया गया है। कलमी और बीजू (कन) आम के दो मुख्य भेद हैं। जो आम के वृक्ष बीज बो कर प्राप्त होते हैं उन्हें बीजू और जो अच्छी जाती के आम पर कलम बाँध कर तैयार किये जाते हैं उन्हें कलमी आम कहते हैं।
देसी आम में रेशा अधिक और रस कम होता है जबकि कलमी आम के फल में गूदा अधिक होता है। कलमी आमों में लंग्दम अल्फांजो आदि बहुत लोकप्रिय हैं। दवा के रूप में प्रयोग हेतु बीजू आम को अधिक गुणकारी माना गया है।
आम के वृक्ष के प्रत्येक हिस्से को आयुर्वेद में औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। छाल, पत्ते, गुठली, समेत जड़, फल आदि सभी गुणकारी हैं।
पत्ते: आम के नए पत्ते, रूचिकारी, कफ-पित्त नाशक हैं। इन पत्तों को सुखाकर चूर्ण बनाकर मधुमेह में खाया जाता है।
फूल: पुष्प शीतल, रुचिकारी, ग्राही, वातकारक हैं व कफ-पित्त, प्रमेह, और दुष्ट रुधिर नाशक हैं।
फल: आम के कच्चे फल जिन्हें अमिया या टिकोरा भी कहते हैं, कसैले, खट्टे, रुचिकारक, वात और पित्त को बढ़ाने वाले हैं। थोड़े बड़े होने पर यह खट्टे, त्रिदोष तथा रक्त विकार करने वाले हो जाते हैं।
अमचूर, जो की कच्चे सुखाये हुए फलों को पीस कर बनाया जाता है, उसे आम्रपेशी भी कहते हैं। यह स्वाद में खट्टा, स्वादिष्ट, कसैला, मलभेदक, दस्त लाने वाला और कफ-वात को दूर करने वाला होता है।
पका हुआ आम मधुर, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, बल वर्धक, सुखदायक, भारी, वातनाशक, हृदय को प्रिय, रंग सुधारने वाला, शीतल, पित्त न बढ़ाने वाला, व विरेचक होता है।
कृत्रिम रूप से पकाया गया आम पित्त नाशक, मधुर और भारी होता है।
आम का रस बलदायक, भारी, वातनाशक, दस्तावार, हृदय को अप्रिय, तृप्तिदायक, पुष्टिकारक और कफ बढ़ाने वाला है। पके आम के सेवन से रक्त, मांस और बल बढ़ता है। यह शुक्रवर्धक लेकिन अजीर्णकारक भी माने गए हैं। यह तृप्तिकारक, कान्ति और धातु वर्धक है।
दूध के साथ खाया जाने वाला आम, वात-पित्त नाशक, रुचिकारक, पुष्टिकारक, बलदायक, वीर्यवर्धक, रंगत को उत्तम करने वाला, भरी, मधुर, व शीतल होता है।
आम का खंड, भारी, रुचिकारक, देर से पचे वाला, मधुर, पुष्टिकारक, बलदायक। शीतल और वात नाशक है।
अमावट: किसी कपड़े पर आम के रस को धूप में सुखाकर जब जमाते हैं तो अमावट बनती है। यह अमावट दस्तावार, रुचिकारक, हल्का, तृषा, वमन तथा वात-पित्तनाशक है।
गिरी: आम की गुठली, जो की आम का बीज है, भी बहुत गुणकारी है। आम की गुठली के अन्दर जो मज्जा या गिरी होती है उससे बहुत सी दवाएं बनाई जाती है।
डायबिटीज में इसके सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर घटता है। गुठली की मज्जा में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, की काफी अच्छी मात्रा होती है। गुठली से गिरी को निकाल कर उसे सुखा कर पीस करके रख लेना चाहिए। गिरी का चूर्ण दस्त, पेचिश, पाचन रोगों और मधुमेह में बहुत अच्छी औषध के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार खाया जा सकता है।
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम: Mangifera indica
- कुल (Family): ऐनाकारडीएसए
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते, पुष्प, टहनी, फल, जड़, छाल
- पौधे का प्रकार: बढ़ा वृक्ष
- वितरण: भारतवर्ष के गर्म प्रदेश
आम के स्थानीय नाम / Synonyms
- संस्कृत: आम्र
- हिन्दी: आम
- अंग्रेजी: Mango
- गुजराती: Aambaro, Ambanoo, Aambo, Keri
- कन्नड़: Amavina
- मलयालम: Manga
- मराठी: Aamba
- उड़िया: Amkoili, Ambakoiti
- पंजाबी: Amb
- तमिल: Mangottai Paruppu, Maangottai
- तेलुगु: Mamidi-Jeedi
- उर्दू: Aam
आम का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: रोसीडए Rosidae
- आर्डर Order: सेपिन्डेल्स Sapindales
- परिवार Family: ऐनाकारडीएसए Anacardiaceae
- जीनस Genus: मैंगीफेरा एल Mangifera L
- प्रजाति Species: मैंगीफेरा इंडिका Mangifera indica
आम्र बीजमज्जा व वृक्ष की छाल के आयुर्वेदिक गुण और कर्म
स्वाद में यह मधुर और कषाय है, व गुण में रूक्ष है। स्वभाव से यह शीत है और कटु विपाक है।
यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।
- रस (taste on tongue): मधुर, कषाय
- गुण (Pharmacological Action): रुक्ष
- वीर्य (Potency):शीत
- विपाक (transformed state after digestion):कटु
विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। कटु विपाक, द्रव्य आमतौर पर वातवर्धक, मल-मूत्र को बांधने वाले होते हैं। यह शुक्रनाशक माने जाते हैं।
प्रधान कर्म
- वातकर: द्रव्य जो वातदोष बढ़ाए।
- कृमिघ्न: कृमिनाशक।
- संग्राही: मल को बाँधने वाला।
- कफशामक: कफ दोष को संतुलित करना।
- पित्तशामक: पित्त दोष को संतुलित करना।
आयुर्वेदिक दवाएं जिनमें आम के बीज की मज्जा है:
- पुष्यनुग चूर्ण
- बृहत् गंगाधर चूर्ण
- अशोकारिष्ट
आयुर्वेदिक दवाएं जिनमें आम के वृक्ष की छाल है:
- न्याग्रोधादि चूर्ण
- चंदनासव
- मूत्रसंग्रहनीय चूर्ण
आम की पौष्टिकता (प्रति 100 ग्राम में)
100 ग्राम पके आम के फल में लगभग 60 किलोकैलोरी होती है। इसमें आम तौर पर पानी सबसे अधिक प्रतिशत में होता है। कच्चे आम में पानी की मात्रा कम होती है। पके आम में सुक्रोज, ग्लूकोज, और फ्रुक्टोज मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख घटक होते हैं। कैरोटीनॉइड जैसे कि बीटा-कैरोटीन, बीओ-क्रिप्टोक्सैथिन, ज़ेक्सैथिन, ल्यूटॉक्सैथिन आइसोमर्स, वायलएक्सैथीन, और नेक्सैथीन, सभी प्रो-विटामिन ए हैं जो कि आम में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आम को पीला रंग इन्हीं कैरोनोएनोड्स से मिलता है।
आम में मौजूद विटामिन ए दृष्टि, विकास, सेल्स, और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है। पके आम में कच्चे आम की तुलना में बीटा-कैरोटीन की दस गुना अधिक मात्रा होती है। विटामिन सी की मात्रा आम के पकने पर काफी कम हो जाती है। इसके अलावा, आम में विटामिन बी 1 (थायामिन), बी 2 (राइबोफ्लैविविन) और विटामिन ई भी मौजूद हैं।
कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे खनिज, कई प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स और फियोथेकैमिकल्स, विटामिन्स आदि सब मिल कर आम को सुपरफ्रूट बनाते हैं। अपने स्वाद, रस और पौष्टिकता के कारण ही आम फलों का राजा है।
- पानी 83.46 ग्राम
- ऊर्जा 60 किलोग्राम
- प्रोटीन 0.82 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट 14.98 ग्राम
- फाइबर 1.6 ग्राम
विटामिन
- थायामिन 0.028 मिलीग्राम
- रिबोफेलाविन 0.038 मिलीग्राम
- विटामिन ए 1082 आईयू
- विटामिन सी 6.4 मिलीग्राम
- विटामिन ई 0.90 मिलीग्राम
खनिज पदार्थ
- कैल्शियम 11 मिलीग्राम
- आयरन मिलीग्राम 0.16 मिलीग्राम
- मैगनीशियम एमजी 10 मिलीग्राम
- फास्फोरस पी 14 मिलीग्राम
- पोटेशियम के 168 मिलीग्राम
- सोडियम 1 मिलीग्राम
आम के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Mango in Hindi
औषधीय प्रयोगों के लिए आम के पत्तों, गिरी, तथा छाल का अधिक प्रयोग होता है। आम की गुठली की मज्जा को आयुर्वेद में मुख्य रूप से प्रमेह, मधुमेह, अतिसार, प्रवाहिका, छर्दी, जलन, व त्वचारोग में प्रयोग किया जाता है। वृक्ष की छाल को अतिसार, व्रण, अग्निमांद्य, ग्रहणी, प्रमेह व योनि रोग में औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है।
संकोचक, संग्राही और पित्त शामक होने के कारण पाचन के रोगों में यह विशेष रूप से उपयोगी है। रक्त शर्करा को कम करने के गुण से यह मधुमेह में बहुत लाभप्रद है। आम के पत्ते में शक्तिशाली मधुमेह विरोधी गुण पाए जाते हैं और यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है। यह टाइप 1 डायबिटीज में अधिक प्रभावी है।
पत्तों का किसी प्रकार से किया गया सेवन अग्न्याशय में पायी जाने वाली β- कोशिकाओं को अधिक इंसुलिन स्राव को प्रेरित करता है । इसके अतिरिक्त यह आंतों में ग्लूकोज़ के अवशोषण को भी कम करता है।
डायबिटीज, प्रमेह, सूजाक
- आम के पत्तों को छाया में सुखा लें। छः ग्राम की मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। पानी जब एक कप रह जाए तो छान कर पियें।
- अथवा आम के पत्तों को छाया में सुखा कर चूर्ण बना लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन पर पानी के साथ लें।
अतिसार diarrhea
- आम की गुठली की मज्जा + बेल गिरी + मिश्री को समान भाग में मिला लें। इसे तीन से छः ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार लें। अथवा
- आम की छाल छः ग्राम + शहद छः ग्राम + बकरी का दूध 1 कप, दिन में तीन बार लें। अथवा
- आम के पत्तों का रस + जामुन के पत्तों का रस + आमला रस, को 15 – 30 ml की मात्रा में बकरी के दूध के साथ लें।
खूनी पेचिश
आम के पत्तों का रस 25 ml + शहद + दूध, को मिलाकर पियें।
रक्तार्श bleeding piles
- आम की गुठली का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करें। अथवा
- आम की कोमल पत्तियों को पानी के साथ पीस लें। इसे पानी में मिलाकर छान ले और शक्कर मिला कर पियें।
आंव
गंगाधर चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में सौंफ के अर्क के साथ लें।
रक्तप्रदर
आम की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें और दिन में दो बार पियें।
संग्रहणी रोग अथवा ग्रहणी (IBS)
मीठे आम का रस 20-25 ml + मीठा दही 20-25 ml + सोंठ 1चम्मच, को दिन में 2-3 बार सेवन करें।
तृष्णा / अधिक प्यास लगना
ताज़ा पत्तों का 7-14 ml रस अथवा सूखी पत्तियों से बना काढ़ा 14-28 ml की मात्रा में पियें।
दाद
दाद पर आम के फल की चोप लगाने से लाभ होता है।
हिक्का रोग hiccups
आम के पत्तों + धनिया को दो-चार ग्राम की मात्रा में कूट कर गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
हैजा विसूचिका Cholera, आवाज बैठ जाना या गला बैठना या स्वरभंग hoarseness of voice
आम के पत्तों को चालीस ग्राम की मात्रा में लेकर 400 ml पानी में उबालें जब तक की पानी चौथाई न हो जाए। इसे छान कर थोड़ा शहद मिलाकर पियें।
यकृत की कमजोरी liver weakness
आम के पत्तों को छाया में सुखा लें। छः ग्राम की मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। पानी जब एक कप रह जाए तो छान कर थोड़ा दूध मिलाकर पियें।
नकसीर
आम के पुष्पों का नस्य लें।
काम शक्ति और स्तम्भन बढ़ाने के लिए
आम के पुष्पों का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।
मसूड़ों की कमजोरी
आम के पत्तों + छाल को पीसकर पानी में उबाल कर कुल्ला करें।
दातुन
आम की मुलायम टहनी से दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं।
सूजाक
आम की छाल 25 ग्राम को कूट कर एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह छान कर पियें।
बल, पुष्टि
आम का सेवन करें। दूध में छुहारा और सोंठ डाल कर पका कर पियें।
वीर्य को गाढ़ा करने के लिए
आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।
आम की औषधीय मात्रा
- आम के वृक्ष की छाल को 3-6 ग्राम की मात्रा में चूर्ण रूप में लिया जाता है। 20-50 ग्राम की मात्रा में लेकर इसका काढ़ा भी बनाया जा सकता है।
- आम्रबीज मज्जा के बारीक चूर्ण को लेने की औषधीय मात्रा 2-3 ग्राम है।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications
- कच्चे आमों को अधिक में नहीं खाया जाना चाहिए। केवल एक या दो छोटे कच्चे आम ही खाए जा सकते हैं।
- कच्चे -खट्टे आम को बहुत अधिक मात्रा में खाने से मन्दाग्नि, विषम ज्वर, रक्त के दोष, विबंध, गले में जलन, अपच, पेचिश और व नेत्र रोग throat irritation, indigestion, dysentery and abdominal colic होते हैं, ऐसा आयुर्वेद में कहा गया है।
- अधिक आम खाने के दुष्प्रभाव को ठीक करने के लिए सोंठ के चूर्ण को पानी के साथ अथवा जीरा को काले नमक के साथ खाना चाहिये।
- आम खाने के बाद दूध का सेवन किया जाता है। यह शरीर को बल, कान्ति और ताकत देता है।
- आम खाने के बाद पानी न पियें।
- आम की चोपी को खाने से पहले हटा दें। चोपी के सेवन से जलन mouth, throat and gastro intestinal irritations होती है।
- बहुत अधिक आम खाने से कुछ बच्चों में मौसमी त्वचा रोग हो सकते हैं।