नागफनी, स्वाद में कड़वी और स्वाभाव में बहुत उष्ण होती है। यह पेट के अफारे को दूर करने वाली, पाचक, मूत्रल, विरेचक होती है।
थूहर नागफनी(Naagfani), थूहर की एक अन्य प्रजाति है। इसको थापा थूहर और हत्रा थूहर भी कहा जाता है। यह पौधा बहुत ही कंटीला होता है। संस्कृत में इसे कंथारी, बहुशाला, नागफना, शाखाकंटा तथा वज्रकंटका के नाम से जाना जाता है। यह एक कैक्टेस है जो सूखे बंजर स्थानों में बहुत अच्छे से पनपता है। अनुकूलन से इसके पत्ते सुई नुमा हो गए है। इससे पौधे से नमी का बहुत कम ह्रास होता है और इसे बहुत ही कम पानी की आवाश्यकता होटी है। आयुर्वेद में इसके उपयोग का कम ही वर्णन मिलता है। स्थानीय रूप से इस पौधे का उपयोग देश के कई राज्यों में किया जाता है। यह पौधा मेक्सिको का मूल निवासी है और भारत जलवायु के भी बहुत अच्छी तरह ढल गया है।
नागफनी, स्वाद में कड़वी और स्वाभाव में बहुत उष्ण होती है। यह पेट के अफारे को दूर करने वाली, पाचक, मूत्रल, विरेचक होती है।
औषधीय प्रयोग के लिए इसके पूरे पौधे को प्रयोग किया जाता है। कान के सर्द में इसकी १-२ बूँद टपकाने से लाभ होता है। कुक्कर खांसी, में इसके फल को भुन कर खाने से लाभ होता है। इसके फल से बना शरबत पिने से पित्त विकार सही होता है।
नागफनी की सामान्य जानकारी | Nagfani information in Hindi
- वानस्पतिक नाम: ओपन्शिया डिलैनाई Opuntia dillenii
- कुल (Family): कैक्टेसी Cactaceae
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
- पौधे का प्रकार: छोटी कांटेदार झाड़ी
- वितरण: पूरे देश में, प्रायः सूखे रेतीले स्थान
- पर्यावास: सूखे बंजर स्थान
नागफनी के स्थानीय नाम | Synonyms of Naagfani in Hindi
- English: Prickly Pear, Slipper Thorn
- Ayurvedic: Naagaphani, Kanthaari
- Unani: Naagphani
- Siddha/Tamil: Sappathikalli, Nagathali
- Madhya Pradesh: Thuar
- Hindi: Hathhathoria, Nagphana
- Gujrati: Chorhatalo
- Kannada: Papaskalli
- Malyalam: Palakkalli
- Marathi: Chapal
- Oriya: Nagophenia
- Telugu: Nagajemudu
नागफनी के औषधीय उपयोग | Medicinal Uses of Nagphani in Hindi
- नागफनी सूजन, कब्ज, निमोनिया, गर्भनिरोधक और कई अन्य रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
- इसे आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी मामले में, इसे प्रयोग करने से पहले कांटों को हटा देना बहुत ही आवश्यक है।
- निमोनिया
- पौधे के छोटे-छोटे टुकड़ों काट, उबाल कर, जो एक्सट्रेक्ट मिलाता है उसे एक दिन में दो बार 2 मिलीलीटर की मात्रा में, पांच दिनों के लिए दिया जाता है।
- सूजन, गठिया, Hydrocele
- पौधे का तना लें और कांटा निकाल दें। इसे बीच से फाड़ कर हल्दी और सरसों का तेल डाल कर गर्म करें और प्रभावित जगह पर बाँध लें।
- IBS, कोलाइटिस, प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन
- फूल का प्रयोग किया जाता है।
- कब्ज
- बताशे/ चीनी/मिश्री पर लेटेक्स से केवल कुछ बूंदें डाल कर लें।
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