निशोथ एक औषधीय लता है। यह प्रायः उद्यानों, जंगलों में पायी जाती है तथा औषधीय प्रयोजनों के लिए उगाई जाती है। इसे आयुर्वेद में मुख्य रूप से एक विरेचक laxative के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अधिक मात्रा में प्रयोग से बहुत अधिक विरेचन purgation होता है। भारत में पाये जाने वाले निशोथ को इंडियन जलापा Indian Jalapa भी कहते है। इसके गुणधर्म, संघटक ट्रू जलापा True Jalapa जैसे ही है। ट्रू जलापा, मेक्सिको में पाये जाने लता की जड़ है। यह जलापा का सही और अच्छा विकल्प है।
निशोथ की लता, नम भूमि में पायी जाती है। वर्ष ऋतु में इसमें सफ़ेद फूल आने लगते है। फूलों का आकार घंटे के आकार जैसा होता है। इसकी बेल की लकड़ी में तीन धारें होती है। इसके फल गोल- गोल होते हैं। इसकी जड़ें काष्ठगर्भा होती है। मूल को तोड़ने पर सफ़ेद दूध निकलता है। स्वाद में यह पहले मीठा फिर कटु होता है। इसकी अपनी एक गंध होती है। निशोथ के लता, पुष्प और जड़ों के आधार पर इनके श्वेत, कृष व रक्त भेद माने गए हैं। काले निशोथ की बेल, सफ़ेद निशोथ जैसी ही होती है अपर इसके फूल काले, पत्ते और फल कुछ छोटे होते हैं।
निशोथ की मुख्य जड़ को ही औषधीय प्रयोग के लिए लेना चाहिए।
सामान्य जानकारी
वानस्पतिक नाम: आइपोमिया टरपेथम (सफ़ेद त्रिवृत), कनवोलवुस टरपेथम (कृष्णा त्रिवृत)
- कुल (Family): कॉन्वॉल्वुलसए
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: जड़
- पौधे का प्रकार: लता
- वितरण: पूरे भारत में 1000 m की ऊंचाई तक
- पर्यावास: आद्र क्षेत्र
वैज्ञानिक वर्गीकरण
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपर डिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
- सब क्लास Subclass: एस्टेरिडए Asteridae
- आर्डर Order: सोलनलेस Solanales
- परिवार Family: कॉन्वॉल्वुलसए Convolvulaceae
- जीनस Genus: ओपरक्युलिन सिल्वा मनसो Operculina Silva Manso – मोर्निंग ग्लोरी परिवार
- प्रजाति Species: ओपरक्युलिन टरपेथम (L.) सिल्वा मनसो Operculina turpethum (L.) Silva Manso
- Variety: ओपरक्युलिन टरपेथम (L.) सिल्वा मनसो वार। टरपेथम
समानार्थक Synonyms
आइपोमिया टरपेथम आर बीआर। Ipomoea turpethum R. Br.
मेररेमिया टरपेथम (एल) शाह और भट्ट Merremia turpethum (L.) Shah & Bhat
स्थानीय नाम / Synonyms
- वैज्ञानिक नाम: Operculina turpethum (Linn.) Silva Manso
- संस्कृत: Ardhachandra, अरुणा, Kalameshi, Kalaparni, काली, Kalingika, Kumbhadhatri, Laghurochani, मालविका, Masuravidala, Masuri, Nandi, Paripakini, Rechani, Rochani, साहा, सारा, Sarana, Sarasa, Sarata, Sarvanubhuti, श्यामा, Susheni, Suvaha, Tribhandi, Triputa, Trivela, Trivrit, Trivrittika, Vidala
- हिन्दी: Nishothra, Nisotar, Nisoth, Nukpatar, Pitohri, Trivrut, Tarbal, Tarbud, Trabal
- बंगाली: Teudi, Tvuri, Dhdhakalami
- गुजराती: Kala Nasottara
- कन्नड़: Vili Tigade
- मलयालम: Trikolpokanna
- मराठी: Nisottar
- उड़िया: Dudholomo
- पंजाबी: Nisoth
- तमिल: Karum Sivadai, Adimbu, Kumbam, Kumbanjan, Kunagandi, Paganrai, Samaran, Saralam, Sivadai
- तेलुगु: Tella, Tegada
- उर्दू: Turbud, Nishoth
- अंग्रेज़ी: Indian Jalap, Turpeth, Terpeth Root, False Jalap जैलाप
शरीर पर मुख्य प्रभाव
- गर्भान्तक abortifacient/ induces abortion
- रोगाणुरोधी antimicrobial
- वमनकारी emetic
- कफ निकालने वाला expectorant
- हिपटोप्रोटेक्टिव protects liver
- विरेचक और दस्तावर laxative and purgative
आयुर्वेदिक गुण और कर्म
रस (taste on tongue): मधुर, कटु, तिक्त, कषाय
गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण
वीर्य (Potency): उष्ण
विपाक (transformed state after digestion): कटु
कर्म:
- विरेचक: रेचन करने वाला
- कफहर: कफ दूर करने वाला
- पित्तहर: पित्त कम करने वाला
- वातल: शरीर में वात बढ़ाने वाला
- ज्वरहर: बुखार दूर करने वाला
- भेदनीय: शरीर में जमे मल और कफ को निकालने वाला
निशोथ की प्रजातियाँ
- निशोथ की दो मुख्य प्रजातियाँ हैं, श्वेत और श्यामा। श्वेत त्रिवृत की जड़ें सफ़ेद या कुछ लाल से रंग की होती हैं जबकि काले त्रिवृत की जड़ों का रंग काला होता है।
- सफ़ेद त्रिवृत को आयुर्वेद में श्वेता, अरुणा, अरुणाभ, त्रिवृत्ता, त्रिपुता, सर्वानुभूति, सरला, निशोथा, रेचनि कहते है। हिंदी में इसे सफ़ेद निशोथ, बंगाली में श्वेत तेऊडी, मराठी में निशोतर, गुजराती में धोली नसोतर, फ़ारसी में तुखुद, कन्नड़ में तिगडे, इंग्लिश में टरबीथ रूट तथा लैटिन में आइपोमिया टरपेथम के नाम से जानते हैं।
- काले त्रिवृत का लैटिन में नाम कनवोलवुस टरपेथम है। इसे आयुर्वेद श्यामा, कृष्ण त्रिवृत, अर्ध्रचंद्र, पालिंदी, मसूरविद्ला, कोलकैषिका, कालमेषिका, कहते हैं।
- श्वेत निशोथ, विरेचक, मधुर, गर्म, रूक्ष, होता है। यह ज्वर, कफ, सूजन, कब्ज़ तथा उदर रोगों का नाशक माना गया है।
- श्यामा त्रिवृत, सफ़ेद त्रिवृत से अधिक दस्तावर होता है। इसे बेहोशी, जलन, मद, भ्रम, तथा कंठ को खराब करने वाला माना गया है।
औषधीय मात्रा
- निशोथ की औषधीय मात्रा 1-3 ग्राम है।
- दवाई की तरह सफ़ेद निशोथ का प्रयोग ही किया जाना चाहिए।
औषधीय उपयोग
- निशोथ मूल का प्रधान कर्म विरेचक और दस्तावर का है। इसे अकेले ही या अन्य औषधीय द्रव्यों के साथ प्रयोग किया जाता है।
- इसे हरीतकी के साथ आमवात, पक्षाघात, मनोविकार, वातशोध, तथा कुष्ठ रोगों में प्रयोग किया जाता है।
- इसे काबुली हरड़ के साथ मिलाकर देने से पागलपन, उन्माद, मिर्गी जैसे रोगों में लाभ होता है।
- सोंठ के साथ २-३ ग्राम की मात्रा देने पर खांसी, कफ, दूर होता है। इससे कफ ढीला होकर बाहर निकल जाता है।
- जोंडिस / पीलिया में इसे ३ ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ लेना चाहिए।
सावधानी
- यह तासीर में गर्म है।
- इसे गर्भावस्था में प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह गर्भपात का कारण बन सकती है।
- इसे १२ साल से छोटे बच्चों में प्रयोह नहीं किया जाना चाहिए।
- यह विरेचक है। इसका अधिक मात्रा में प्रयोग स्वास्थ्य ]के लिए हानिप्रद है।
- यह वात को बढ़ाती है।
- अधिक मात्रा में इसका सेवन दस्त, गुदा से खून आना, उलटी, पेट में दर्द, सीने में दर्द, पानी की कमी, चक्कर आना और बेहोशी कर सकता है।