भिन्डी गर्मियों में मिलने वाली आम हरीसब्जी है। यह एबलमोस्चस एसक्यूलेन्टस पौधे के कच्चे फल Immature pods होते है। इसे इंग्लिश में ओकरा या लेडी फिंगर भी कहते है। हिंदी में भिन्डी, रामतुरई, राम्तुरी, संस्कृत में भेंडा, भिंडा, अश्रपत्रक, चतुष्पदा, दारिवका, गंधमूला, पिच्छिला, वृतबीजा, इत्यादी कहते हैं।
यह पूरे भारत भर में एक सब्जी की तरह पका कर खायी जाती है। भिन्डी की सूखी सब्जी बनाने के लिए, पहले इसे पानी से अच्छे से धुला जाता है, फिर इसे बारीक काट लिया जाता है। आलू को भी पतला काट कर इसमें डाला जा सकता है। पैन में तेल गर्म कर, जीरा, लहसुन का तड़का लगाया जाता है। अब इसमें भिन्डी, अमचूर पाउडर और नमक डाल कर अच्छे से मिला कर ढक कर पकाते है। बीच – बीच में चलाते रहते हैं और कुछ देर में सब्जी पक जाती है। इसे रोटी या चावल के साथ खाया जाता है।
भिन्डी एक औषधीय वनस्पति भी है। भिन्डी के फल, पत्ते, जड़, बीज सभी औषधि रूप से प्रयोग किये जाते रहे है। भिन्डी के फल मधुमेह में लाभप्रद है। इसके पत्ते पीस कर सूजन आदि पर लागाये जाते हैं। जड़ को रह्यूमैटिस्म में प्रयोग किया जाता है। भिन्डी के फल स्निग्धकारी demulcent और ठंडक देने वाले emollient होते है। भिन्डी का सेवन शरीर में गर्मी को कम करता है और जलन आदि में आराम देता है।
भोजन, और दवा के अतिरिक्त, भिन्डी के पौधे को पेपर बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम: Hibiscus esculentus, Abelmoschus esculentus (L.) Moench
- कुल (Family): मालवेल्सिएइ – मैलो फॅमिली
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
- पौधे का प्रकार: हर्ब
- वितरण और पर्यावास: सब्जी की तरह पूरे भारत में इसकी खेती की जाती है
नाम / Synonyms
- English: Gumbo, Lady Finger, Lady\’s finger, Okra
- Sanskrit: Tindisa, Gandha-mula, Bhaandi, Bhindaka, Bhendaa
- Arab: Bamiya
- Hindi: Bhindi ram-turai
- Bengali: Dhenras, ram-torai
- Marathi: Bhenda
- Gujarati: Bhindu
- Tamil: Vendaik-kay, vendi
- Telugu: Pencla, benda-kaya
- Unani: Baamiyaa
वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: डिलेनीडेएई Dilleniidae
- आर्डर Order: मालवेल्स Malvales
- परिवार Family: मालवेल्सिएइ – मैलो फॅमिली Malvaceae – Mallow family
- जीनस Genus: एबलमोस्चस – ओकरा Abelmoschus Medik. – okra
- प्रजाति Species: एबलमोस्चस अथवा हेबिस्कस एसक्यूलेन्टस Abelmoschus esculentus (L. ) Moench – okra
भिन्डी के औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Okra/Lady Finger/Bhindi
भिन्डी बहुत ही लुआबदार slimy और स्वाद में मीठी sweet और फीकी होती है। यह तासीर में ठण्डी cool in potency और रुचिकारक, पौष्टिक, कामोद्दीपक aphrodisiac, खून बढ़ाने वाली, पित्त विकार दूर करने वाली और कफ-वात बढ़ाने वाली मानी गई है। यह मूत्रल diuretic है और पेशाब लाती है। इसके सेवन से सुजाक, अनैच्छिक वीर्यस्राव involuntary ejaculation, पेशाब की जलन burning urination, पेशाब सम्बन्धी विकार, bronchitis cough, diseases of the intestinal and genito-urinary organs आदि में लाभ होता है।
1) डायबिटीज, उच्च रक्तचाप diabetes and hypertension, antidiabetic
भिन्डी मधुमेह या डायबिटीज में लाभकारी है। यह रक्त में बढ़े हुए शर्करा के स्तर को कम करने में hypoglycemic असरदार है।
मधुमेह में भिन्डी को प्रयोग करने के लिए पांच-सात भिन्डियों को धो कर चॉप कर लें। इन टुकड़ों को रात में पानी में भिगो दें। अगली सुबह टुकड़ों को अच्छे से भिगोये गए पानी में दबाएँ जिससे उनका म्यूसिलेज पानी में चला जाए। इस पानी को सुबह खाली पेट पी लें तथा टुकड़ों को खा लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से कम से कम एक महीना करें।
2) वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता, यौन शक्ति बढ़ाने के लिए to increase the quality and quantity of semen and sexual vigour
भिन्डी के फल को मिश्री के साथ सुबह खाली पेट चबा कर खाने से वीर्य मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। यह प्रयोग रोजाना सुबह एक – दो महीने या उससे ज्यादा दिन तक किया जाना चाहिए।
3) पुरुष बाँझपन Male sterility
भिन्डी, निर्गुन्डी, सेमल, घुइयाँ (सभी की जड़) तथा आंवले के पाउडर Vitex negundo, Bombax ceiba, Colocasia esculenta, Abelmoschus esculentus, Emblica officinalis को मिला कर बनाये पाउडर को पांच ग्राम की मात्रा में एक गिलास दूध के साथ दिन में दो बार लेने से पुरुषों के बांझपन में लाभ होता है।
4) इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile Dysfunction
20mg भिन्डी की जड़ का पाउडर मिश्री और ठन्डे दूध के साथ किया जाता है।
5) सोराइसिस, जलने पर Psoriasis, Burns
भिन्डियों को पीस लें और इस लुआबदार पेस को प्रभावित जगह पर लागएं। इसे कुछ घंटे लगा रहने दें। ऐसा आधे महीने तक करें।
6) कफ cough
भिन्डी को दूध में उबाल कर प्रयोग किया जाता है।
7) कब्ज़ Constipation
कब्ज़ होने पर भिन्डी का सेवन राहत देता है।
8) पेशाब की रूकावट gonorrhea, painful micturition and dysuria
भिन्डी के काढ़े का सेवन पेशाब की रूकावट को दूर करता है। काढ़े का सेवन पेशाब की जलन, सुजाक और पथरी में भी लाभदायक है।
भिन्डी के म्युसिलेज को पानी में निकाल कर पीने से पेशाब रोगों में लाभ होता है।
9) सूजन swelling
पत्तों और फलों के पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं।
10) लिकोरिया leucorrhoea
रूट पाउडर या पेस्ट को दूध के साथ लिया जाता है।
2 ml जड़ से निकाला जूस मिश्री के साथ दिन में दो बार, पांच दिन तक सेवन करने से लाभ होता है।