प्याज को तो सभी जानते हैं। संस्कृत में इसका नाम पलाण्डु, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक आदि हैं। हिंदी में इसे पियाज या प्याज़ और गुजराती में डूंगरी कहते हैं। इंग्लिश में इसे अनियन और लैटिन में एलियम सेपा कहते हैं। प्याज कच्चा और पका कर दोनों ही तरीकों से खाया जाता है। प्याज के बिना तो करी वाली सब्जी बन ही नहीं सकती। कच्चा प्याज सलाद की तरह और भरते में डाला जाता है। इसका रस निकाल कर भी प्रयोग करते हैं।
प्याज भोजन तो है ही लेकिन यह औषधि भी है। इसमें गंधक, जिसे सल्फर भी कहते हैं, होने से यह पूरे स्वास्थ्य को सही कर सकती है।
सल्फर शरीर के हर टिश्यू में पाया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर में बैक्टीरिया को बढ़ने को रोकता है और टॉक्सिक पदार्थों से सेल्स की रक्षा करता है। यह बालों, त्वचा, जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू के सही विकास के लिए भी ज़रूरी है। सल्फर जोड़ों के दर्द, नाखूनों के टूटने, और शरीर से नुकसान दायक केमिकल्स को दूर करने में सक्षम है। यह धमनियों को इलास्टिक बनाये रखता है और एंटीऑक्सीडेंट की सिंथेसिस के लिए भी ज़रूरी है। प्याज, लहसुन की ही तरह गंधक का आर्गेनिक स्रोत है। यह प्रोटीन में कम है इसलिए यूरिक एसिड की समस्या में भी लाभप्रद है। प्याज को आंतरिक और बाह्य, दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है। यह कफनिःसारक व मूत्रल होता है। इसे पुरानी खांसी, वूपिंग कफ, जकड़न आदि में अन्य पदार्थों के साथ प्रयोग किया जाता है।
प्याज ही एक ऐसी सब्जी है जिसे काटने पर आँखों से आंसू आते हैं और आँखों में जलन होती है। ऐसा इसमें पाए जाने वाले कुछ कंपाउंड्स lachrymator compounds के कारण होता है।
सामान्य जानकारी
प्याज का पौधा रसोन/लहसुन की ही भाँती एक 2-3 फुट उंचा क्षुप है। इसके पत्ते लम्बे और अन्दर से पोपले होते हैं। इसके पुष्प सफ़ेद होते हैं। भूमि के अन्दर कन्द होते हैं। सफ़ेद कन्द के दो प्रकार माने गए हैं – छोटा वाला घोड़ पियाज और बड़ा वाला पटनहिया प्याज। पटनहिया प्याज क्षीरपलांडू कहा गया है। सफ़ेद कन्द मधुर और पिच्छिल होता है। लाल कन्द को आयुर्वेद में राजपलांडू कहा गया है। यह सफ़ेद प्याज से अधिक तीक्ष्ण होता है।
- वानस्पतिक नाम: Allium cepa
- कुल (Family): प्लांडू कुल / लिलीएसिएई
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: बीज, बल्ब, पौधा जिसे स्प्रिंग अनियन कहते हैं।
- वितरण: प्याज का उत्पत्ति स्थान एशिया माना जाता है और अब यह पूरे विश्व में उगाई जाती है।
- प्राप्तिस्थान: समस्त भारत।
प्याज का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: Liliopsida – Monocotyledons एकबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: Liliidae
- आर्डर Order: Liliales लिलीएल्स
- परिवार Family: Liliaceae – लिली परिवार
- जीनस Genus: Allium L. – एलियम
- प्रजाति Species: Allium cepa एलियम सेपा
प्याज के संघटक Phytochemicals
प्याज में सिलापिक्रिन, सिलामेरिन, सिलीनाइन, सिनिस्ट्रिन, शक्कर, म्युसिलेज, लवण आदि पाए जाते है। इसके कन्द तथा पौधे दोनों में ही उग्रगंध युक्त व चरपरा तेल तथा गंधक पाया जाता है।
- Alliins (alkylcysteine sulphoxides):
- Fructosans (polysaccharides, 10-40%)
- Saccharose and other sugars
- Flavonoids quercetin-4′-O-beta-D-glucoside
- Steroid Saponins
प्याज काटते समय आँख में आंसू क्यों आते हैं?
प्याज में अमीनो एसिड सल्फोक्सिड्स sulfoxides होते हैं जो कि प्याज कोशिकाओं में सल्फ़ेनिक एसिड के रूप में होते हैं। प्याज में लेक्राइमेट्री-फैक्टर सिंथेस एंजाइम भी होते हैं। यह एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड अलग अलग कोशिका में होते हैं।
जब आप प्याज काटते हैं, तो अन्यथा अलग-अलग एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड मिल जाते हैं और सिन-प्रोपेनथिऑल एस-ऑक्साइड syn-propanethiol S-oxide का उत्पादन करना शुरू होता है, जो एक वाष्पशील सल्फर कंपाउंड है। यह उड़ती हुई वाष्पशील सल्फर कंपाउंड की गैस आंखों के पानी के साथ प्रतिक्रिया करती है और सल्फ्यूरिक एसिड बनाती है। इस प्रकार सल्फ्यूरिक एसिड ने आँखों में जलन पैदा करने का कारण बनता है। जलन से लेक्राइमल ग्लैंड उत्तेजित होते हैं और आँसूओं का निकलना शुरू हो जाता है।
कच्चे प्याज की पोषकता
कच्चे प्याज में बहुत कम कैलोरी होती है, करीब 40 कैलोरी प्रति 100 ग्राम। इसमें 89 प्रतिशत पानी, 9 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट, 1.7 प्रतिशत फाइबर और कुछ मात्रा में प्रोटीन भी होता है। इसके अतिरिक्त इसमें खनिज और विटामिन भी आये जाते है। नीचे 20 ग्राम प्याज की पोषकता दी गई है। ब्रैकेट में प्याज के सेवन से मिलने वाले पोषक पदार्थ को प्रतिदिन ज़रूरी मात्रा के रतिशत रूप में दिया गया है।
- कैलोरीज Calories 8
- पानी Water 89 %
- प्रोटीन Protein 0.2 g
- कार्बोहायड्रेट Carbs 1.9 g
- चीनी Sugar 0.8 g
- फाइबर Fiber 0.3 g
विटामिन्स
- विटामिन सी Vitamin C 1.48 mg (2%)
- विटामिन डी Vitamin D 0 µg ~
- विटामिन ई Vitamin E 0 µg
- विटामिन के Vitamin K 0.08 µg
- विटामिन बी१ Vitamin B1 (Thiamine) 0.01 mg (1%)
- विटामिन बी२ Vitamin B2 (Riboflavin) 0.01 mg
- विटामिन बी३ Vitamin B3 (Niacin) 0.02 mg
- विटामिन बी५ Vitamin B5 (Panthothenic acid) 0.02 mg (1%)
- विटामिन बी६ Vitamin B6 (Pyridoxine) 0.06 mg (5%)
- विटामिन बी१२ Vitamin B12 0 µg ~
- फोलेट Folate 3.8 µg (1%)
- काओलिन Choline 1.22 mg (0%)
खनिज पदार्थ Minerals
- कैल्शियम Calcium 4.6 mg 0%
- आयरन Iron 0.04 mg 1%
- मैग्नीशियम Magnesium 2 mg 1%
- फास्फोरस Phosphorus 5.8 mg 1%
- पोटेशियम Potassium 29.2 mg 1%
- सोडियम Sodium 0.8 mg 0%
- जिंक Zinc 0.03 mg 0%
- कॉपर Copper 0.01 mg 1%
- मैग्नीज Manganese 0.03 mg 1%
- सेलेनियम Selenium 0.1 µg 0%
अमीनो अम्ल Amino Acids
- ट्रिप्टोफैन Tryptophan 3 mg
- थ्रोनिन Threonine 4 mg
- आईसोल्यूसीन Isoleucine 3 mg
- ल्यूसीन Leucine 5 mg
- लाइसिन Lysine 8 mg
- मेथियोनीन Methionine 1 mg
- सिस्टीन Cysteine 1 mg
- टाईरोसिन Tyrosine 3 mg
- वेलिन Valine 4 mg
- आर्गीनिन Arginine 21 mg
- हिस्टीडाइन Histidine 3 mg
- एलनिन Alanine 4 mg
- एस्पेरेटिक एसिड Aspartic acid 18 mg
- ग्लूटामिक एसिड Glutamic acid 52 mg
- ग्लाइसीन Glycine 5 mg
- प्रोलाइन Proline 2 mg
- सेरीन Serine 4 mg
प्याज के आयुर्वेदिक गुण और कर्म
प्याज गुणों में लहसुन के सदृश्य ही गुण वाला है। यह भी गंधक युक्त है। यह पाक और रस में मधुर माना गया है। गुण में उष्ण और बहुत अधिक पित्त को बढ़ाने वाला नहीं है। इसके सेवन से बल और वीर्य की वृद्धि होती है। यह भारी और वात दोष को दूर करने वाला है।
यह कटु-मधुर रस है। कटु रस जीभ पर रखने से मन में घबराहट करता है, जीभ में चुभता है, जलन करते हुए आँख मुंह, नाक से स्राव कराता है जैसे की सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, लाल मिर्च आदि। मधुर रस, धातुओं में वृद्धि करता है। यह बलदायक है तथा रंग, केश, इन्द्रियों, ओजस आदि को बढ़ाता है। यह शरीर को पुष्ट करता है। मधुर रस, गुरु (देर से पचने वाला) है। यह वात शामक है।
- रस (taste on tongue): मधुर, कटु
- गुण (Pharmacological Action): गुरु, तीक्ष्ण, स्निग्ध
- वीर्य (Potency): उष्ण
- विपाक (transformed state after digestion): मधुर
विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है।
प्रधान कर्म
- वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
- दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
- कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
- रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
- विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
- दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
- बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
- शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।
- मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये।
- हृदयोत्तेजक: द्रव्य जो हृदय को उत्तेजित करे।
- आर्त्तवजनन: मासिक लाने वाला।
- त्वग्दोषहर: त्वचा रोगों को दूर करने वाला।
- यकृदुत्तेजक: लीवर को उत्तेजित करने वाला।
बाह्यप्रयोग
- शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
- वेदनास्थापन: दर्द निवारक।
प्याज खाने के स्वास्थ्य लाभ Health Benefits of Onion in Hindi
- प्याज़ में घुलनशील फाइबर फ्रुक्टन होता है व यह कब्ज़ दूर करने में मदद करता है। फ्रुक्टन फ्रुक्टोस का पॉलीमर है। प्याज में कार्बोहायड्रेट का भण्डारण इसी रूप में होता है।
- यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। डायबिटीज में इसके सेवन से इन्सुलिन उत्पन्न होता है। एक अध्ययन में देखा गया दैनिक 100 ग्राम प्याज का सेवन ब्लड शुगर के लेवल को काफी हद तक नियंत्रित करता है। यह टाइप 1 और 2, दोनों तरह की डायबिटीज में लाभप्रद है।
- यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता और बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
- यह प्रकृति में गर्म है और पित्त वर्धक है।
- यह शरीर में कफ को कम करती है।
- इसमें विटामिन सी, एंथोसाईनिन, क्वरसेटिन आदि होने से यह अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है।
- इसमें फोलेट पाए जाते हैं जो की मेटाबोलिज्म और कोशिकाओं के विकास के लिए ज़रूरी है।
- यह हृदय के लिए कई कारणों से लाभप्रद है। इसमें पाया जाने वाला थायोसलफिनेट Thiosulfinates धमिनियों में रक्त के थक्के जमने से रोकता है। इसमें पोटैशियम है जो की ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में लाभप्रद है। यह खून को पतला करती है। यह बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करती है।
- इसमें गंधक के कंपाउंड हैं जो की शरीर की बीमारियों से रक्षा करते हैं।
- दही के साथ प्याज खाने से दस्त, आंव वाली दस्त, और खूनी दस्त में लाभ होता है।
- प्याज को कच्चा खाने से उसमें पाए जाने वाले विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट तथा अन्य पोषक पदार्थ नष्ट नहीं होते।
- प्याज के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड कम होता है। चूहों में किये गए एक्सपेरिमेंट में इस बात की पुष्टि होती है।
- प्याज के सेवन से शरीर में हानिप्रद जीवाणु नष्ट होते हैं।
- प्याज के नियमित सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है।
- प्याज को चबा कर खाने से मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और दांतों के रोगों से बचाव होते है। एक रूसी डॉक्टर Russian Doctor, B.P. Tohkin के अनुसार तीन मिनट तक प्याज चबाने से मुंह के सभी बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।
- खून की कमी को प्याज़ के सेवन से दूर किया जा सकता है।
- यह लिपिड को कम करती है।
- प्याज में क्वरसेटिन Quercetin bioflavonoid यौगिक पाया जाता है जो की हिस्टामिन का रिलीज़ रोकता है और सूजन को कम करता है।
प्याज दवा की तरह निम्न रोगों में लाभप्रद है
- धमनीकाठिन्य Arteriosclerosis
- सामान्य जुखाम Common cold
- खांसी / ब्रोंकाइटिस Cough/bronchitis
- पाचन की कमजोरी Dyspeptic complaints
- कफ और बुखार Fevers and colds
- उच्च रक्तचाप Hypertension
- मुंह और ग्रसनी का सूजन Inflammation of the mouth and pharynx
- भूख में कमी Loss of appetite
- संक्रमण की प्रवृत्ति Tendency to infection
प्याज के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of ONION in Hindi
प्याज गंधक युक्त होता है। इसमें स्टार्च, कैल्शियम, लोहा और विटामिन पाए जाते हैं। यह आंतरिक प्रयोग में दीपन, रोचन, मूत्रजनन, शुक्रजनन, बाजिकारक, बलकारक और बाह्य प्रयोग में दर्द निवारक, शोथहर और त्वचा के रोग दूर करने वाली है। यूनानी मत के अनुसार कन्द तीसरे दर्जे के गरम और पहले दर्जे के खुश्क हैं। बीज दूसरे दर्जे के गर्म और खुश्क हैं। बीजों को मुख्य रूप से वाजीकारक और लेखन माना गया है। प्याज के बीजों को अरबी और फ़ारसी में बज्रुल्ब्स्ल और तुख्मेपियाज कहते हैं।
प्याज को कान रोग, दाद-खुजली, कामशक्ति की कमी, अतिसार, पेट दर्द, वायु के रोगों में प्रयोग किया जाता है।
पीलिया
- आधा कप सफ़ेद प्याज के रस में पिसी हल्दी और गुड़ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- प्याज को काट, उसमें काली मिर्च और सेंधा नमक डाल कर भी खाना चाहिए।
अस्थमा, खांसी
प्याज का रस + शहद, मिलाकर चाटना चाहिए।
उलटी
- प्याज का रस + अदरक का रस, पीने से उल्टियां रुक जाती हैं।
- थोड़ी- थोड़ी देर पर पर प्याज का एक टीस्पून रस पियें।
पाचन की कमजोरी
प्याज को सिरके के साथ खाएं।
बवासीर
प्याज का रस को 30 ml की मात्रा में मिश्री के साथ लेते हैं।
कान का दर्द, टिनिटस, कान में आवाजें आना
प्याज के रस की कुछ बूंदे कान में टपकाते हैं।
आँख में दर्द, नजला
प्याज का रस + शहद, के साथ मिलाकर आँख में लगाते हैं।
अनिद्रा
रात के भोजन में कच्ची प्याज खाएं।
नपुंसकता, स्वप्नदोष, वीर्य की कमी
प्याज का रस 10 ml + अदरक का रस + शहद 6 ग्राम + घी 4 ग्राम, मिलाकर सेवन करें। ऐसा एक महीने तक करें।
पेट दर्द
प्याज का रस + हींग + काला नमक, का सेवन करें।
मधुमक्खी का काटना
प्रभावित जगह पर प्याज का रस लगायें।
पेट के कीड़े
प्याज का रस एक चम्मच की मात्रा में एक सप्ताह तक सेवन करें।
कॉलरा, हैजा
- प्याज का रस + नींबू का रस + पुदीने का रस, मिलाकर पियें।
- प्याज 30 ग्राम को सात काली मिर्च के साथ कूट कर, रोगी को दें। इसमें थोड़ी चीनी भी मिला सकते हैं।
गले की खराश, कोल्ड-कफ
प्याज का रस और शहद पियें।
पथरी
प्याज का रस सुबह खाली पेट पियें।
पेशाब की जलन, पेशाब के रोग
प्याज 10 ग्राम को आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें। इसे ठंडा करके पी लें।
अजीर्ण
प्याज में नींबू निचौड़ भोजन के साथ खाने से लाभ होता है।
वाजीकरण
- सफ़ेद प्याज को काट कर घी में भून लें। इसमें एक चम्मच शहद मिला कर नियमित खाली पेट खाएं।
- प्याज का रस और शहद पियें।
पटाखे से जल जाना
प्याज का रस लगाएं।
नकसीर
प्याज का रस नाक में टपकाते हैं।
गठिया का दर्द
प्याज का रस + सरसों का तेल, बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करें।
मोच
प्याज और हल्दी को पीस कर प्रभावित जगह पर बाधें।
सूजन
सरसों के तेल में प्याज के बारीक टुकड़े फ्राई करें। थोड़ी हल्दी डालें और सहता हुआ पुल्टिस बना सूजन पर लगायें।
दाद-खुजली
प्याज का लेप करें।
फोड़े-फुंसी
प्याज को कच्चा या भून कर पुल्टिस बनाकर लगाएं।
वार्ट
कच्चा प्याज रगड़ें।
प्याज की औषधीय मात्रा
- सलाद की तरह एक मीडियम साइज़ प्याज को काट कर दिन में एक-दो बार खाना चाहिए।
- प्याज के रस को 10-30 ml की मात्रा में पी सकते हैं।
- बीजों के चूर्ण को लेने की मात्रा 1 से 3 ग्राम है।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications
- प्याज़ में फ्रुक्टन होता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन गैस, पेट फूलना और पेट में दर्द कर सकता है।
- कुछ लोग फ्रुक्टन fructans are also known FODMAPs (fermentable oligo-, di monosaccharides and polyols) का पाचन करने में सक्षम नहीं होते। उनमें फ्रुक्टन युक्त भोज्य पदार्थ खाने के बाद पाचन समस्या हो सकती है। ऐसा सभी में नहीं होता लेकिन इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के साथ हो सकता है।
- प्याज के सेवन से मुंह और पसीने से प्याज की बदबू आ सकती है।
- आयुर्वेद के अनुसार अत्यधिक मात्रा में प्याज का सेवन बेचैनी, पेशाब में जलन, पेट-अंत में जलन, आदि कर सकता है।
- अधिक मात्रा में इसके सेवन से विरेचन होता है।
- यह पित्त प्रकृति के लोगों के लिए अहितकर कहा गया है।
- प्याज गर्म स्वभाव वाले लोगों में प्यास पैदा करता है।
- गर्भावस्था में प्याज को औषधीय मात्रा या अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। भोजन के रूप में इसे खाने से कोई नुकसान नहीं देखा गया है।
- प्याज के हानिप्रद असर को कम करने के शहद, अनार का रस, सिरका और नमक का प्रयोग किया जा सकता है।
- प्याज़ की बदबू को कम करने के लिए गुड़ का सेवन करना चाहिए।
- प्याज को बहुत अधिक मात्रा में न खाएं।
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