पालक Spinach information, benefits and Medicinal Uses in Hindi

पलक्या, वास्तुकाकारा, छुरिका, मधुरा, और चीरितच्छदा पालक के संस्कृत नाम है। इसे हिंदी में पालक का शाक, पालकी, सागपालक, इस्फंज, बंगाली में पालंड़ शाक, फ़ारसी में अस्पनाख, और इंग्लिश में स्पाईनेज spinach और लैटिन में स्पिनेसिया ओलेरेसिऐइ कहते है।

पालक का साग पूरे भारतवर्ष में खाया जाता है। इसकी आलू – बैंगन के साथ सब्जी बनती है जो बहुत ही पौष्टिक होती है। आलू भंटा साग, बनाना भी बहुत सरल है। बनाने के लिए, २-३ आलू, एक बैगन और एक गड्डी पालक को अच्छे से साफ़ कर लिया जाता है। आलू और बैंगन को पतला-पतला काट लेते है। पालक को भी अच्छे से चोप chop कर लेते हैं। कढ़ाही में सरसों का तेल २-३ चम्मच की मात्रा में डाल कर गर्म करते हैं। इसमें जीरा, लाल मिर्च का तड़का लगते हैं। फिर बारीक कटा लहसुन डाल कर भूरा होने तक तलते हैं। अब आलू, पालक और बैंगन सभी को कढ़ाही में डाल, स्वादानुसार नमक डाल कर चालते है और तब तक पकाते हैं जब तक आलू गल न जाए। कुछ मिनट में ही सब्जी तैयार हो जाती है।

Palak ke fayade

चना दाल या अरहर ही दाल में भी पालक डाल कर पालक की दाल बनायी जाती है। पालक की दाल बनाने के लिए, पालक को बारीक़ काट लेते है। कुकर में दाल धो लेते लें इसमें आवश्यकता अनुसार पानी डालते है, लहसुन-अदरक को कुचल कर डालते है और थोड़ी सी हींग भी डालते है। कटा कुआ पालक डालते है और एक सिटी आने के बाद 5-10 मिनट तक पकाते है। दाल पाक जाने पर लहसुन और जीरा का तड़का लगाते है।

पालक को उगाना भी बहुत सरल है और आप इसे घर पर गमलों में भी उगा सकते हैं। उगाने के लिए गमले में मिट्टी इस प्रकार ही होनी चाहिए जिसमें पानी न रुके नहीं तो पालक के पौधे गल जायेंगे। बीजों को लोकल नर्सरी या पूसा केन्द्रों से खरीद सकते हैं। वहां पर एक पैकेट जिसमें 50-100 बीज होते हैं दस-बीस रुपये में मिल जायेंगे। बीजों को गमले में तब डालें जब तापमान 25 डिग्री से कम हो। पालक के बीजों को जमीन में बहुत अन्दर नहीं दबाना चाहिए। बस मिट्टी पर रख हाथों से बिखेर दें और थोड़ी से मिट्टी से ढक दें। तीन से दस दिनों में पौधे उग जायेंगे। जब पत्ते बड़े हो जाए तो पत्तों को काटें पर पूरे पौधे को न उखाड़ें। आप इन पौधे से पूरी सर्दी पत्ते ले सकते हैं। पालक के पौधे में ज्यादा तापक्रम होने पर बोल्टिंग, बीज निकलना, हो जाती है और तब यह खाने योग्य नहीं रहता।

आयुर्वेद में पालक को शाक वर्ग में रखा गया है और इसे वातकारक, शीतल, श्लेष्मवर्धक, दस्तावर, भारी, आध्य्मानकारक माना गया है। यह मद, श्वास, पित्त, रक्त तथा पित्त के विकारों से होने वाले रोगों को दूर करने वाला है।

सामान्य जानकारी

  • वानस्पतिक नाम: स्पिनेसिया ओलेरेसा Spinacia oleracea Synonym Spinacia tetrandra Roxb.
  • कुल (Family): चेनोपोडिऐसिए Chenopodiaceae
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते
  • पौधे का प्रकार: हर्ब
  • वितरण: यह पूरी दुनिया में सब्जी की तरह खाए जाने के लिए उगाया जाता है। पालक को पर्शिया native to Persia का पौधा माना जाता है।
  • पर्यावास: यह ठंडी जलवायु का पौधा है।

स्थानीय नाम / Synonyms

  • English: Garden Spinach
  • Ayurvedic: Palankikaa, Palankya, Palakya
  • Unani: Paalak
  • Siddha: Vasaiyila-keerai

वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: कैरयोफीलीडए Caryophyllidae
  • आर्डर Order: कैरयोफिलेल्स Caryophyllales
  • परिवार Family: चेनोपोडिऐसिए – गूज़फुट फॅमिली Chenopodiaceae
  • जीनस Genus: स्पिनेसिया Spinacia
  • प्रजाति Species: स्पिनेसिया ओलेरेसा L। – स्पिनच Spinacia oleracea

पालक में पाए जाने वाले यौगिक

पालक के पत्तों में करीब 80-90% पानी, नाइट्रोजनअस पदार्थ 4%, फैट 0.5%, और फाइबर 1% पाया जाता है।

  • ट्रिटेरपेन सैपोनिन्स: स्पिनच सैपोनिन्स A and बी और दूसरे सैपोनिन्स
  • ऑक्जेलिक एसिड: नयी पत्तों में 6-8%, और पुराने पत्तों में 16% तक
  • हिस्टामिन: 140 mg/100 gm तक
  • फ्लावोनोइड्स : पटलेटिन , स्पिनॅसटिन ,स्पिनॅटोसिड तथा दूसरे फ्लावोनोइड्स
  • क्लोरोफिल: 0.3-1.0%
  • विटामिन्स : एस्कॉर्बिक एसिड (vitamin C, 40-155 mg/100 g)
  • नाइट्रेट्स: फ़र्टिलाइज़र के हिसाब से 0.3-0.6%

रोग जिनमे पालक खाना लाभदायक है

  1. अनीमिया anemia
  2. अस्थमा asthma
  3. उच्च रक्तचाप high blood pressure
  4. डायबिटीज diabetes
  5. दिखाई कम देना eyes sight weakness
  6. कम इम्युनिटी low immunity
  7. टोक्सिंस toxins
  8. पेट के रोग indigestion

पालक खाने के फायदे

  1. यह एक सुपर फ़ूड है।
  2. इसमें प्रोटीन होता है और मसल्स बिल्डिंग में मदद करता है।
  3. यह रोचक है और जलन में आराम देता है।
  4. यह तासीर में ठंडा है और शरीर में अधिक गर्मी को कम करता है।
  5. यह शरीर में पित्त को कम करने वाली सब्जी है।
  6. अधिक पित्त के कारण होने वाली बिमारियों जैसे की एसिडिटी, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, नकसीर फूटना, गुदा से खून गिरना आदि में इसके सेवन से लाभ होता है।
  7. यह जल्दी पच जाता है।
  8. इसमें लोहा, विटामिन सी, और विटामिन A, E, K प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  9. यह खून को साफ़ detoxify करता है।
  10. यह शरीर को ताकत देता है।
  11. यह अन्दर की रूक्षता internal dryness को कम करता है।
  12. इसमें फाइबर होता है जिस कारण यह कब्ज़ दूर करता है।
  13. यह फोलिक एसिड folic acid का अच्छा स्रोत है।
  14. यह शरीर में एसिडिटी कम करता है और एल्कलाइनिटी alkalinity को बढ़ाता है।
  15. इसमें Lutein and zeaxanthin एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आँखों को डैमेज से बचाता है।

पालक के औषधीय उपयोग

  1. यह सुपाच्य और पौष्टिक सब्जियों में से एक है।
  2. पालक का सेवन शरीर में हिमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ाता है।
  3. पालक के काढ़े को ज्वर, फेफड़ों या आंत की सूजन में दिया जाता है।
  4. सुबह-सुबह ताज़ी पालक को कुचल के उसका रस पीने से पेट साफ होता है।
  5. पालक के बीज विरेचक और ठंडक cooling and laxative देने वाले होते हैं।
  6. पालक के बीजों का सेवन पीलिया, लीवर की सूजन, और साँस लेने की दिक्कत में किया जाता है।
  7. गले में यदि जलन हो रही हो तो इसके रस से कुल्ले करना चाहिए।
  8. पत्तों का रस मूत्रवर्धक diuretic है।
  9. आतों के रोगों gastrointestinal tract diseases में पालक की सब्जी खाने से लाभ होता है।
  10. ततैया के काटे पर पालक का रस लगाना चाहिए।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. पालक के सेवन का स्वास्थ्य पर हानिप्रद प्रभाव नहीं होता।
  2. चार महीने तक के शिशु को पालक न दें।
  3. इसमें ओक्सालिक एसिड oxalic acid है जो की कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है.
  4. ओक्सालिक एसिड होने के कारण किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है। कुछ रोगों जैसे की किडनी स्टोंस, आर्थराइटिस,रूमेटिज्म गाउट में ओक्सालिक एसिड को न लेने या कम मात्रा में लेना चाहिए।
  5. जिन लोगों को कम ओक्सालिक एसिड लेने की सलाह हो वे इसका कम मात्रा में सेवन करें।
  6. पालक में नाइट्रेट high nitrate content की मात्रा अधिक होती है।
  7. बहुत देर तक पालक को स्टोर न nitrates may be converted to nitrites करें।
  8. पालक का सेवन गैस ज्यादा बनाता है.

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