शरपंखा एक औषधीय पौधा है। इसे आयुर्वेद में प्राचीन समय से औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। औषधीय प्रयोजन के लिए इसके पूरे पौधे का प्रयोग होता है। पौधे का पंचांग काढ़े के रूप में बहुत से रोगों में प्रभावी है।
सरपंखा को संस्कृत में शरपंखा, शरपुन्खा, सरपुच्छल, प्लीहाशत्रु, प्लीहरी, कालनाशक आदि नामों से जानते हैं। यह एक झाड़ी नुमा पौधा है जो भारत भर में पाया जाता है। शरपंखा का पौधा बिलकुल नील Indigo के पौधे से मिलता-जुलता है इसलिए इसे इंग्लिश में वाइल्ड-इंडिगो के नाम से भी जाना जाता है।
इसके पत्तों और नील के पत्तों में केवल इतना ही अंतर है कि नील के पत्तों में तंतु सीधे होते हैं और शरपंखा के पत्तों के तंतु तिरछे होते है। इसलिए जा नील के पत्तों को तोड़ा जाता है तो वे सदैव सीधे टूटते हैं लेकिन सरपंखा के पत्ते हमेशा ही तीर की तरह ही टूटते है। यह मटर की जाति का पौधा है और इसके फूल बैंगनी रंग के और देखने में बिल्कुल मटर के फूलों जैसे दिखते हैं। इसकी चपटी फलियाँ होती हैं जिनमें बीज होते हैं।
शरपंखा एक औषधीय पौधा है। इसे आयुर्वेद में प्राचीन समय से औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। औषधीय प्रयोजन के लिए इसके पूरे पौधे का प्रयोग होता है। पौधे का पंचांग काढ़े के रूप में बहुत से रोगों में प्रभावी है।
सरपंखा यकृत liver, प्लीहा spleen और गुर्दे kidney के रोगों की बहुत अच्छी हर्बल दवा है।
सरपंखा की सामान्य जानकारी | Sarpunkha Information in Hindi
- वानस्पतिक नाम: Tephrosia purpurea टेफरोसिया पर्पयूरी
- कुल (Family): फेबेसी (Fabaceae) मटर जाति
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा।
- पौधे का प्रकार: झाड़ी
- वितरण: पूरे भारत में, तथा दुनिया में अन्य कई देशों में जैसे लंका, चीन, पाकिस्तान आदि।
सरपंखा स्थानीय नाम / Synonyms of Tephrosia purpurea in Hindi
- Ayurvedic: Sharapunkha, Vishikha-punkha, Sarphoka, Surpunkha, Plihaa-shatru, Plihaari
- शरपुन्खा, विषीका पुंखा, सरफोका, प्लीहाशत्रु, प्लीहारि
- Unani: Sarponkha, Sarphuka
- Siddha: Kattu-kolingi, Kolingi, Paavali, Mollukkay, Kollukkayvelai।
- Sanskrit: Sarapunkah, Sarpunkha, Sarpankha
- Hindi: Sarphomka, Sarphonk, Sarpunkha, Sarpankha
- Bengali: Bannilgach
- Malayalam: Kattamari, Kozhinjil
- Tamil: Kattukkolincai
- Kannada: Phanike
- Gujarati: Unnali
- Rajasthani: Masa
- Punjabi: Jhojro
- Marathi: Untoali
- English: Purple Tephrosia, Fish poison, Wild indigo
- French: Bois nivre
- Persian: Barg sufar
- Urdu: Sarfonka
- Sinhalese: Pila, Kavilai, Kolinchi
- Hawaiian: Auhuhu, Auhola, Hola
शरपंखा का औषधीय गुण और उपयोग | Sharapunkha Ayurvedic Used in Hindi
शरपंखा स्वाद में कड़वा, चरपरा, कसैला और स्वभाव में उष्ण hot in potency होता है। यह हल्का light, कृमि, व्रण, खांसी, विष, यकृत रोगों, प्लीहा रोगों, किडनी रोगों, बवासीर, अस्थमा, रक्त-विकार, हृदयरोग, कफ, ज्वर, और न ठीक होने वाले घावों के लिए प्रयोग होता है।
औषधीय प्रयोजन के लिए पूरे पौधे का रस, पेस्ट, काढ़े और पाउडर का प्रयोग किया जाता है।
शरपंखा के औषधीय उपयोग | Medicinal Uses of Sharpankha in Hindi
औषधीय प्रयोजन के लिए शरपंखा के पेस्ट, पत्तियों का रस, चूर्ण और काढ़ा का प्रयोग किया जाता है।
पेस्ट Paste: पत्ते, फूल और मुलायम टहनियाँ को धो कर पेस्ट बनाया जाता है।
पत्ती का रस Leaf juice: पत्ती का रस निकालेने के लिए, पत्तों को छोटे खरल में खाख कर कूट लें और सूती कपड़े में डाल कर निचोड़ लें। खुराक: 14-28 मिलीलीटर।
सूखा पाउडर Dry powder: पूरे पौधे को साफ़ कर, छोटा-छोटा काट कर और धूप में सुखा लें। सूखने पर उसे कूट लें। खुराक: 3-5 ग्राम।
काढ़ा Decoction: काढ़े बनाने के लिए, पौधे के सूखे पाउडर को 5-10 ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबालें और मात्रा एक चौथाई होने पर छान लें। इस काढ़े को दिन में दो बार पियें।
यकृत के रोग, लीवर सिरोसिस, लीवर का बढ़ जाना, Liver cirrhosis, jaundice, and other Diseases of liver, Spleen diseases
सरपंखा के पंचांग को मोटा-मोटा कूटकर 5-10 ग्राम की मात्रा में लेकर करीब एक गिलास पानी में उबाल कर काढ़ा बनाकर पीयें ।
इसे सुबह और शाम पिए। यह लीवर फंक्शन को ठीक करता है। लीवर, किडनी और स्प्लीन में किसी भी तरह ही रूकावट दूर करता है।
प्लीहा और यकृत की तिल्ली की वृद्धि, शरीर में पानी भरना Dropsy, Enlargement of spleen, Diseases of spleen and liver
जड़ का पेस्ट १-२ ग्राम की मात्रा में लें।
सरपंखा के पंचांग का काढ़ा पियें।
पेट दर्द, डाकरें आना, एसिडिटी Abdominal pain, flatulence
सरपंखा के काढ़े को दिन में दो बार पियें।
एंजाइना, दिल की कमजोरी Angina pain, heart palpitation
5 ग्राम शरपुन्खा, 5 ग्राम अर्जुन और 2-3 लौंग लेकर काढ़ा बनाएं और दिन में दो बार पिए।
कफ या बलगम, अत्यधिक खांसी, कास Excessive cough, coughing, Kasa
5 ग्राम शरपुन्खा, 3-4 तुलसी के पत्ते और सोंठ dry ginger powder का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पियें।
मलेरिया बुखार, विषम ज्वर Malarial fever, Visham Jwar
मलेरिया बुखार होने पर 3-4 ग्राम गिलोय Giloy और 4-5 ग्राम शरपुन्खा को 200 ग्राम पानी में पकाकर काढ़ा बनाकर सवेरे शाम पीयें ।
फोड़े-फुंसियाँ, घाव, Non-healing wounds
शरपुन्खा और कुछ नीम की पत्तियों Neem leaves को पानी में उबालें और प्रभावित क्षेत्र को धो लें।
सूजन, Swelling
प्रभावित क्षेत्र पर पौधे से तैयार पुल्टिस लागायें।
Can this use in Enlarged spleen?