शतावरी एक एंटीऑक्सिडेंट और जीवाणुरोधी है, तथा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है। मधुमेह में इसके उपयोग से इन्सुलिन स्राव को उत्तेजित करता है। यह स्त्रियों के रोगों की एक उत्तम औषधी है।
शतावरी Asparagus racemosus आयुर्वेद में प्रयोग होने वाली एक बहुत जानी-मानी जड़ी-बूटी है। दवा बनाने के लिए इसकी जड़ का उपयोग किया जाता है। शतावरी एक एंटीऑक्सिडेंट और जीवाणुरोधी है, तथा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है। मधुमेह में इसके उपयोग से इन्सुलिन स्राव को उत्तेजित करता है। यह स्त्रियों के रोगों की एक उत्तम औषधी है। इसे महावारी पूर्व सिंड्रोम (PMS), गर्भाशय से रक्तस्राव और नई मां में दूध उत्पादन शुरू करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त इसे अपच, कब्ज, पेट में ऐंठन, और पेट के अल्सर, दर्द, चिंता, कैंसर, दस्त, ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग, मनोविकार, और मधुमेह के लिए भी प्रयोग किया जाता है. यह एक aphrodisiac के रूप में यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
स्थानीय नाम
- Ayurvedic: Shatavari, Shatmuuli, Atirasa, Bahusuta, Shatpadi, Shatviryaa, Bhiru, Indivari
- Assamese: Satmull
- Bengali: Satamuli, Satmuli, Shatamuli
- English: Asparagus
- Gujrati: Satavari
- Hindi: Satavar, Satamul
- Kannada: Ashadi poeru, Halavu Bau, Narayani, Makkala
- Malayalam: Satavari Kizhangu
- Marathi: Shatavari
- Punjabi: Satavar
- Tamil: Shimai-Shadvari, Nilichedi Kishangu
- Telugu: Sima-Shatawari (Dry Root), Pippipichara, Pilliteegalu (Fresh Root)
- Urdu: Satawari
- Unani Sataavar
Siddha/Tamil Thanneervittan, kizhangu, Sataavari Kizhangu.
जड़ के मुख्य संघटक: चीनी, Glycosides, Saponin और Sitosterol.
Distribution
यह पौधा उष्णकटिबंधीय tropical और उपोष्णकटिबंधीय subtropical भारत में 1500 मी की ऊंचाई तक जंगली रूप में पाया जाता है।
भारत के उत्तरी राज्यों, कश्मीर, केरल, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश में इसकी खेती की जाती है।
गुण और गतिविधि
शतावरी की जड़ें प्रोटीन 22%, वसा 6.2%, और 3.2% कार्बोहाइड्रेट होते हैं। विटामिन बी 0.36%, विटामिन सी 0.04% और कुछ मात्रा में विटामिन ए भी पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें अल्कालॉयड भी होते हैं।
महत्व
शतावरी का वर्णन ऋग्वेद और अथर्ववेद में दिया गया है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे ठंडक देने वाला और गर्भाशय का टॉनिक बताया गया है। यह बहुत सी आयुर्वेदिक दवाओं में मुख्य घटक है। शतावरी के औषधीय प्रयोग के लिए जड़ों का प्रयोग होता है। शतावरी शरीर को ठंडक पहुचता है। यह एक उत्कृष्ट सुरक्षित हर्बल दवा है जो महिलायों के विभिन्न रोगों में लाभकारी है।
गर्मियों में इसके सेवन से अत्यधिक प्यास को शांत करने में मदद मिलती है। शतावरी का रस शरीर गर्मी, अम्लता और पेप्टिक अल्सर के इलाज में मदद करता है। यह पेशाब में जलन burning sensation while passing urine और मूत्र पथ के संक्रमण UTI में प्रयोग किया जाता है। इसमें एक कैंसर विरोधी एजेंट asparagin भी पाया जाता है जो की ल्यूकीमिया के इलाज में उपयोगी है।
इसमें एक सक्रिय antioxytocic saponins भी है जो की विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों को बहुत ही अच्छा आराम देता है और संकुचन को रोकता है। इससे गर्भपात को रोकने और समय पूर्व प्रसव को रोकने में मदद होती है।
आम तौर पर गर्भपात को रोकने के लिए इसके पाउडर को दूध के साथ उबाल कर दिया जाता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यह खून की कमी से बचने में मदद करता है।
यह संक्रमण infections और गर्भाशय गुहा की असामान्यताएं abnormalities of uterine cavity को सही करता है और इसलिए यह महिलाओं में बांझपन के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक गुण और कर्म PROPERTIES AND ACTION
- रस (स्वाद): तिक्त, मधुर
- गुण (विशेषताएँ): गुरु/भारी, स्निग्ध/चिकना
- वीर्य (शक्ति): शीत/ठंडा
- विपाक (पाचन के बाद प्रभाव): मधुर
गतिविधि Action on Body
- glalctogogue दूध बढ़ने वाला और एंठन कम करने वाला antispasmodic
- Alterative, टॉनिक, एंटीसेप्टिक
- शुक्रल (Spermatogenetic), नेत्रय
- कफवात्घन, वातहर
- रसायन, हृदय और दिमाग के लिए हितकारी
- वाजीकारक (रिप्रोडक्टिव टॉनिक / कामोद्दीपक)
- Demulcent शांतिदायक
- Diuretic मूत्रवर्धक
- Aphrodisiac कामोद्दीपक
औषधीय मात्रा Dosage for medicinal use
शतावरी का चूर्ण ३-६ ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार लिया जाता है।
शतावरी का उपयोग निम्न रोगों में होता है
- सूतिका रोग, स्तन्य दोष
- प्रसव के बाद कम मात्रा में दूध
- गर्भाशय के संकुचन को रोकना, समय पूर्व प्रसव को रोकना
- मूत्रवर्धक के रूप में, मूत्ररक्त, अपवृक्कता nephropathy
- लीवर की खराबी hepatopathy
- मूत्रकृच्छ strangury
- स्नायु संबंधी विकार
- परिणाम शूल, विसर्प
- अपच, दस्त, ट्यूमर, सूजन, पाइल्स
- वात और पित्त, जलन, वात ज्वर
- मूत्र, गले में संक्रमण
- क्षय रोग, खांसी, ब्रोंकाइटिस, प्रदर, कुष्ठ, मिरगी, थकान
- Hyperacidity, दर्द, बवासीर, उच्च रक्तचाप, गर्भपात
- और सामान्य दुर्बलता
- शतावरी मूत्रल है। इसका प्रयोग किडनी में सूजन होने पर न करें.
क्या थाइरोइड को ठीक करने के लिए शतावरी लिया जा सकता है??
यदि हाँ तो कितने दिनों तक????
nahi, isake effective ilaj ke liye aap ko allopathic dr ko dikha kar dawa leni chahiye ya fir kisi achchhe ayurvedic dr ko dikhakar dawa leni chahiye
Muje thakan weekns hoti hai mai le skta hu
yah mahilaawo ke liye laabhprad hoti hai
Shatavari plant Ki kheti karne ka tarika
आप्रेसन से बेबी होने के बाद काला खून थोड़ी मात्रा में योनि से आता है डॉक्टर बोला 1 महीना में बंद हो जायेगा बच्चेदानी में जो भी कचरा या गंददा खून है बच्चेदानी को साफ करना है कौन दावा दे please help me
ji doctor ne sahi bola hai, delivery ke baad 1 mahine tak bleeding hoti hai
Body building ke liye use kar sakte hain
Nahi
Wight badhane ke liye iska use ho sakata kya?
No, this will not increase weight.
Breast ka size badalne k liye kaise sevan karna hai
Kya wheat se allergic patients shatavar churn le sakte hain??
just try, if some side effect then stop taking it.
After delivery satavari kaa prayog kaisa kiya jata ha
3-6 gram satavari powder din men do baar doodh ke saath
Motapa kesea km kre…mem
1- drink 2.5-3.5 litre water daily
2- do 1 hr brisk walk(fast walking) 5 days in a week or if possible do 1 hr swimming for 6 months
3- Eat breakfast, lunch, evening snacks, dinner daily on fixed time. Make sure dinner before or on 8 PM. Eat less in diner
Try to eat less oily and junk foods and eat green salad and fresh fruits.
do this for 1-2 year
plus you can take Ayurvedic supplements like Triphala and Medohar Guggulu, this will help you for must.
Pragancy rakhne k liye satavari powder ka sewan 2 bar kar sakte h?
Yes 3-6 gm 2 times a day
Gynecomestia problem mey use kar sakthey hi
yes, it is very good.