तुम्बरू को भिन्न भाषाओं में भिन्न नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे, तुम्बारू, तीक्ष्णफल, महामुनि, शूलघ्न, अंधक, हिंदी में इसे नेपाली धनिया, तेजमाल, तेजपाल, तेजफल, और इंग्लिश में टूथऐक ट्री कहते हैं। लैटिन में इसका नाम जेनथोसाईलम ऐलेटम या एरमेटेम है। यह रूटेसी कुल का पेड़ है।
तुम्बुरु का पेड़ हिमालय की पहाड़ियों, उत्तरांचल से नेपाल की पहाड़ियों तक पाया जाता है। नेपाल में पाए जाने के कारण इसे नेपाली धनिया भी कहते हैं।
तुम्बरू एक छोटा पेड़ या कांटेदार झाड़ी है। यह हमेशा हरा रहने वाला पेड़ है। इसकी डालियों पर सीधे कांटे होते है और पत्तियां त्रिपत्री होती हैं। फल लम्बे, गोल, और उच्च नोकदार होते हैं। फलों के अन्दर बीज होता है जो की देखने में धनिया जैसा होता है (इसका धनिया से कोई सम्बन्ध नहीं है)।
तुम्बुरु का फल मीठा, कड़वा तथा बीज सुगन्धित होते हैं। यह एक औषधीय पेड़ है और इसे पत्ते, छाल, बीज, और कांटे लोगों द्वारा दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। इसके बीजों का मुख्य प्रयोग आजकल दांतों की देखभाल के लिए होता है। दंतमंजन बनाने के लिए, इसके बीजों का पाउडर इस्टेमाल होता है। इसकी मुलायम टहनी को दातुन की तरह प्रयोग करने से दांत साफ़ होते है। मसूड़ों से खून आना, पायरिया आदि में इसकी छाल के पाउडर से गम पर मालिश करने से लाभ होता है।
Common names/Synonyms
- लैटिन नाम: Zanthoxylum alatum, Zanthoxylum armatum DC।, Zanthoxylum planispinum Siebold & Zucc
- संस्कृत: Tumburu, Tejovati (बार्क), Tejovali, Tejohva, Tejbatee
- असमिया: Tejovati
- बंगाली: Tejovati, Nepali Dhania, Gaira
- अंग्रेज़ी: Tooth ache tree, Nepal Pepper
- गुजराती: Tejbal
- गढ़वाल: Tezbal, Tezmal
- हिन्दी: Tejbal, नेपाली धनिया, Timura, Darmar
- कन्नड़: Tejapatri, Tumburu, Tejovanti
- मलयालम: Thumboonal, Thumbooni
- मराठी: Tejbal, Tejobalee
- उड़िया: Tejbal
- पंजाबी: Tirmira, Tundopoda
- तमिल: Thejyovathi
- तेलुगु: Tumburl
- उर्दू: Kabab-e-Khanda (Miswak) कबाबेह
- यूनानी: Faaghir, Kabaab-e-Khandaan
- सिद्ध: Tejyovathi
- अरबी: Fagrieh फ़ाघीरेह
- नेपाल: Prumo, Prumu, Tebun, Tejbal, Tejphal, Timur, Yerma
- फिलीपींस: Chi-it, Sibit-paklauit
- थाईलैंड: Mak kak
आयुर्वेदिक गुण और कर्म
- तुम्बरू के फल और बीज तासीर में गर्म होते है और उनका आन्तरिक प्रयोग पसीना लाता है। यह शरीर से वात-कफ को तो कम करते हैं लेकिन पित्त को बढ़ाते है। यह वायुनाशक, भूख बढ़ाने वाले, कृमिनाशक, और उत्तेजक होते हैं।
- रस (जीभ पर स्वाद): कटु, तिक्त
- गुण (औषधीय कार्रवाई): लघु / हल्का, तीक्ष्ण, रुक्ष
- वीर्य (शक्ति): उष्ण
- विपाक (पाचन के बाद बदल राज्य): कटु
कर्म:
- मीठा, कड़वा, गर्म, पाचन, दीपन, ग्राही, वायुनाशक, क्षुधा वर्धक, कृमिघ्न, कफ-वातहर, रुच्य, दुर्गन्धनाशक
- तुम्बुरू उदररोग, कान के रोग, चमड़ी के रोग, दमे, पेशाब के रोगों, विषूचिका हैजा, छाती के रोगों, और खून के विकारों में लाभप्रद है।
औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Tumburu in Hindi
- दांत के दर्द में, इसके बीज को कुचल कर दांत के नीचे रखना चाहिए।
- दांतों को मजबूत बनाने के लिए इसकी दातुन करनी चाहिए।
- इसके बीजों को दन्तमंजन बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। दन्तमंजन बनाने के लिए, तुम्बरू के बीजों का पाउडर को त्रिफला पाउडर, हल्दी पाउडर और सेंधा नमक में मिलाकर रख लेते हैं और दांतों को साफ़ करने के लिए प्रयोग में लाते है।
- मुंह की बदबू को दूर करने के लिए, इसके कुछ फलों को चबाना चाहिए।
- अधिक पसीना लाने के लिए, जैसे की बुखार में, इसके बीजों का सेवन किया जाता है।
- पित्त कम बनने पर इसके कुछ बीजों का सेवन करना चाहिए।
- इसके कुछ बीजों को खाने से पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
- इसके पत्तों का रस या छाल का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर के दूषित पदार्थ पसीने के माध्यम से शरीर से निकल जाते हैं जिससे खून साफ़ होते है और त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
- बुखार होने पर इसके पत्ते का रस पीना चाहिए।
- गले की सूजन में इसके ताज़े पत्तों को पीसकर, चावल के आते के साथ गर्म कर प्रभावित जगह पर बंधाना चाहिए।
प्रयोग में सावधानियां Caution
- तुम्बुरु स्वभाव से गर्म होता है।
- इसका प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए।
- यह पित्त को अधिक बनाता है।
- यह पेट में जलन पैदा कर सकता करता है।
- इसके सेवन से शरीर में रूक्षता और गर्मी बढ़ती है।
Kitna Sevan kar sakte hai roj dama asthama k rogi Nepali dhaniya ka