दमबेल, दमबूटी का लैटिन में नाम टाईलोफेरा इंडिका या टाईलोफेरा अस्थ्मेटिका है। भारत भर में यह दमे, कफ और श्वशन रोगों के लिए for respiratory tract diseases प्रयोग की जाने वाली बूटी है। दमे या अस्थमा के लिए तो इसे अत्यंत उत्तम औषधि माना गया है। इसमें मौजूद अल्कलोइड इम्यून सिस्टम को दबाते हैं जिस कारण यह उन रोगों में भी प्रयोग की जाती है जहाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने की आवश्यकता हो।
देश के कुछ हिस्सों में इसकी जड़ को रास्ना नाम से भी बेचा जाता है। इसके अन्य भी कई नाम हैं, जैसे की पित्तमारी, अंतमल, तथा अन्तमूल। दमबेल, एक नरम लता है जो मैदानी इलाकों में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। इसकी जड़ें रस से भरी और घनी होती हैं। इसके पुष्प छाते जैसे दिखते हैं। पुष्पकोष बाहर से रोयेंदार होते हैं। बीज कुछ चकोर आकार और लम्बे होते हैं तथा इनका रंग हरा कुछ पीला लिए होता है।
दवा की तरह लता के पत्तों और जड़ों दोनों का प्रयोग किया जाता है। पौधे की हरी जड़, सूखी जड़ से ज्यादा प्रभाव करती है तथा पत्ते जड़ों की अपेक्षा अधिक गुणकारी हैं। यह स्वाद में यह फीकी और कड़वी होती है। यह उल्टी कराने वाली, ज्वर नाशक, तथा कफ निस्सारक औषधि है।
दमबेल के मुख्य प्रयोग Chief Indications
- ब्रोंकाइटिस, अस्थमा
- एलर्जी, कफ, साईनोसाईटिस
- हे फीवर, नाक-आँख से पानी आना, आँखे लाल हो जाना, कफ बनना
- अमीबी पेचिश और दस्त
- गठिया
- बुखार
- उलटी लाने के लिए
सामान्य जानकारी
- वानस्पतिक नाम: Tylophora indica सिननिम Tylophora asthmatica
- कुल (Family): एसक्लेपियाडेसिऐइ
- औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते और जड़, ताज़े अथवा सूखे
- पौधे का प्रकार: लता वनस्पति
- वितरण: पूरे भारत में
- पर्यावास: Eastern India, Bengal, Assam, Kaehar, Chittagong, Deccan
वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification
- किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
- सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
- सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
- डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
- क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
- सबक्लास Subclass: Asteridae एसटेरिडेई
- आर्डर Order: Gentianales जेंटियानेल्स
- परिवार Family: Asclepiadaceae एसक्लेपियाडेसिऐइ
- जीनस Genus: Tylophora टाईलोफोरा
- प्रजाति Species: Tylophora indica (Burm। f।) Merr। टाईलोफोरा इंडिका
स्थानीय नाम / Synonyms
- वानस्पतिक नाम:: Tylophora indica
- हिन्दी: janglipikvam, antamul
- संस्कृत: Antamul, Mulini, Arkaparni
- सिद्ध: अस्वीकार Palai, Nangilaippiratti
- बंगाली: antamul, anantamul
- गुजराती: Damnivel
- कन्नड़: adumutadhagida
- मराठी: khodiki, Raasna, Atkari
- तमिल: Nachchuruppam, nanjamurichchaaan, nayppalai, peyppalai, kondachani
- तेलुगु: Verripaala, vettipaala, kaakpaala, kukkapala, tellayadala, tellavedavela, neelataapiri।
- उड़िया: Mendi, Mulini
- मलयालम: Vallipaala
- अंग्रेज़ी: Emetic Swallow Wort, Indian or Country Ipecacuanha
- ट्रेड नाम: Indian ipecacuanha, Emetic swallow wort
- महत्वपूर्ण औषधीय गुण Biomedical Action
- ज्वरनाशक Antipyretic
- आक्षेपनाशक Antispasmodic
- एंटी एलर्जी Anti-allergic
- अर्बुदरोधी Antitumour
- वमनकारी Emetic
- एक्सपेटोरेंट Expectorant
- इम्मुनोसप्रेसेंट Immunosuppressant
दमबेल के औषधीय प्रयोग Medicinal Uses of Dam Bel / Dam Buti / Antamula in Hindi
दमबूटी मुख्य रूप से सांस के रोगों जैसे की ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, रायनाइटिस, हे फीवर, श्वसन तंत्र की एलर्जी और कफ dysentery, diarrhea, respiratory affections, (bronchitis, whooping cough, asthma), syphilitic rheumatism, gout, impurity of blood and gouty pains में उपयोगी है। इसे घरेलू उपचार की तरह दमे समेत कई रोगों में प्रयोग किया जा सकता है।
दमबेल का प्रयोग उन सांस रोगों में लाभदायक है जिनमें खॉँसी के साथ बलगम productive or wet cough भी जाता हो। यह अपने कफनिस्सारक गुण के कारण अधिक कफ को दूर करता है। इसलिए यदि आपको अधिक कफ से परेशानी है, सांस लेने में दिक्कत है, कफ के कारण बुखार है तो अवश्य इसका प्रयोग करके देखें। यह एंटीबैक्टीरियल है, कफ को ढीला करती है और फेफड़ों के इन्फेक्शन को दूर करती है।
दवाई की तरह आप ताज़े पत्तों को साफ़ कर चबा कर खा भी सकते है। बड़ों को एक पत्ता लेने चाहिए और बच्चों को चौथाई पत्ता दिया जा सकता है। ज्यादा मात्रा में तथा ज्यादा दिन तक इसका सेवन नुकसान दायक है। यदि दम बूटी के ताजे पत्ते न उपलब्ध हों तो जब पत्ते मिलें उन्हें सुखा कर, चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को 250 मग से आधा ग्राम की मात्रा तक शहद के साथ सेवन करें।
नीचे इसके कुछ औषधीय प्रयोग दिए गए हैं जो की सरलता से घर पर किये जा सकते हैं।
कुक्कुर खांसी early stages of whooping cough
इसकी जड़ के चूर्ण अथवा पत्तों के चूर्ण / रस को मुलेठी व पानी के साथ लेने पर लाभ होता है।
अस्थमा / दमा, कफ रोग, साईनोसाईटिस Asthma, Sinusitis
अस्थमा में दमबेल के एक पत्ते को धो कर साफ़ कर लें। इसे चबा कर या हाथ से मसल कर गोली की शेप दे कर गुनगुने पानी के साथ निगल जाएँ।
ऐसा दिन में तीन बार, तीन दिन तक करें।
बच्चों में श्वशन रोग, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस Respiratory infections in children
इसके एक चौथाई पत्ते को कूट कर रस निकाल लें और शहद मिला कर दें।
सर्दी लग जाने पर, कफ Cold-cough, fever due to cough
दम बेल के १-२ पते, लौंग, अदरक को एक गिलास पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान कर दिन दो-तीन बार पियें।
अथवा दमबेल के २-३ पत्ते लेकर पानी में चाय Dambel Tea की तरह उबाल लें और कुछ मिनट तक छोड़ दें तथा फिर छान लें। इसे ऐसे ही या शहद डाल कर पी लें।
उल्टी कराने के लिए Inducing vomiting
पत्तों का थोड़ी ज्यादा मात्रा में सेवन उलटी लाता है।
पेचिश, अतिसार diarrhea, dysentery
पत्तों का सेवन कम मात्रा में इन पेट रोगों में लाभप्रद है।
अधिक वात के कारण सिर में दर्द Headache due to excessive Vata
इसकी जड़ को घिस कर माथे पर लेप किया जाता है।
औषधीय मात्रा Therapeutic Dosage
250 मिलीग्राम दिन में एक से तीन बार या प्रति दिन 1-2 मिलीलीटर tincture टिंकचर।
यह लंबे समय तक इस्तेमाल के लिए उपयुक्त नहीं है।
इसे लगातार दस दिनों से अधिक समय के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications
- इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
- यह वमनकारी है। इसके सेवन से उल्टी हो सकती है।
- यह दवा लम्बे समय के प्रयाग के उपयुक्त नहीं है।
- एक महीने में इसे दस दिनों से ज्यादा प्रयोग न करें।
- अधिक मात्रा में सेवन पाचन की दिक्कत, लूज़ मोशन, उलटी, मुख की सूजन, टेस्ट न आना आदि समस्याएं कर सकता है।
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