गर्मी में सर्दी जुकाम होना असामान्य नहीं है। जैसे सर्दी में वायरल इन्फेक्शन से कोल्ड कफ होता है वैसे ही गर्मियों में भी अलग प्रकार के वायरस से जुखाम हो सकता है। गर्मी में जुखाम होने पर भी कफ, बलगम, खांसी, बुखार, गले में दर्द, और छींके आदि लक्षण होते हैं। गर्मी में होने वाले जुकाम को समर कोल्ड के नाम से जानते हैं।
समर कोल्ड भी करीब सप्ताह दस दिन तक चलता है। वायरल इन्फेक्शन होने से यह तभी होता है जब कोई व्यक्ति संक्रमण करने वाले वायरस के संपर्क में आता है।
समर कोल्ड भी उन लोगों में अधिक असर दिखाता है जिनकी इम्युनिटी कम होती है। बच्चे अक्सर बड़ी आसानी से इससे संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण होने पर बच्चों को धूप से बचाना ज़रूरी है।
गर्मी में सर्दी हो जाएँ तो क्या करना चाहिए?
गर्मी में सर्दी हो जाए तो खूब सारा पानी पीते रहें। फलों का जूस, समेत अन्य तरल का सेवन करते रहें। मौसमी फलों को खाएं। फलों में मौजूद पानी, विटामिन्स और मिनरल्स शरीर में इम्युनिटी को बढ़ाएंगे और लक्षणों को कम करने में मदद करेंगे। तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा आदि खाएं। नींबू, संतरा, अनानास, आदि खाएं। शिकंजी पिएं। जलजीरा पियें जिससे इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे।
निम्न घरेलू उपचार मददगार होते हैं:
ग्रीन टी पियें
दिन में दो बार ग्रीन टी पियें। इससे कोल्ड कफ से होने वाली जकड़न में राहत होती है। ग्रीन टी खांसी और साइनस की समस्या में लाभप्रद है। हरी चाय की पत्तियों में छह प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जिन्हें कैटेचिन कहा जाता है। एंटीऑक्सीडेंट समृद्ध ग्रीन टी फ्लू समेत वायरल और जीवाणु संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा में मदद कर सकती है। हरी चाय एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ कोशिकाओं की संक्रमण दर को कम करते हैं, जो ठंडे जैसे लक्षण और बुखार को कम कर देता है। खांसी में ग्रीन टी में कुछ शहद डाल सकते हैं।
हरी चाय लेना कुछ दवाओं के साथ उचित नहीं है, जैसे एंटी-क्लॉटिंग एजेंट और जन्म नियंत्रण गोलियाँ। हरी चाय स्वाभाविक रूप से कैफीनयुक्त होती है इसलिए कोई दवा लेते हैं जिसमें कैफीन से इंटरैक्शन हो सकता है तो ग्रीन टी का सेवन नहीं करें।
आहार में करने बदलाव
फलों, सब्जियों और सलाद का सेवन करें। साबुत आनाज, ब्राउन राइस, लोकी, पालक, साग आदि खाएं। ठन्डे भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करें। इसे क्रीम नहीं खाएं। इससे कफ अधिक हो सकता है। फ्रिज का पानी नहीं पियें। फ्रिज का पानी पीने से गला खराब हो सकता है और संक्रमण अधिक हो सकता है।
जहाँ तक हो सके ताजे फलों का रस, ताज़े फल और गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें और ठन्डे भोज्य पदार्थों को नहीं खाएं। बासी खाना नहीं खाएं। फ्रिज से निकाला ठंडा खाना नहीं खाएं, इसे गर्म कर लें।
तुलसी का प्रयोग
पवित्र तुलसी में सूजन कम करने और एंटीऑक्सीडेंट गुण है। यह बुखार, अस्थमा, फेफड़ों के विकार में फायदेमंद है। तुलसी गले के लिए एक उत्कृष्ट इलाज हो सकता है। तुलसी को एक शक्तिशाली अनुकूलन (एंटी-तनाव एजेंट) माना जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा है जो मुक्त कणों का सामना करने में मदद करता है।
यह कॉफी और चाय के महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक है। तुलसी चाय का सेवन श्वसन प्रणाली के लिए अच्छा है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली और सहनशक्ति को बढ़ावा देती है और रक्त शर्करा का स्तर बनाए रखती है।
तुलसी की 11 पत्तियां और 7 काली मिर्च को आधे कप पानी में उबाल लें और आधा होने पर पियें। ऐसा दिन में दो बार करें।
गिलोय का रस पियें
गिलोय टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। गिलॉय को जूस या काढ़े की तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। गिलोय प्रतिरक्षा को बढ़ाती है। यह विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करतीहै, रक्त शुद्ध करती है, जीवाणुओं से लड़ती है और यकृत रोगों और मूत्र पथ संक्रमण में भी लाभ करती है। गिलोय ज्वरनाशक है, इसलिए यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसे मच्छर जनित रोगों में भी फायदा करती है। यह खांसी, ठंड, टन्सिल जैसे श्वसन समस्याओं को कम करने में मदद करती है।
गिलोय का रस निकालने के लिए, गिलोय का तना लेकर साफ़ कर लें। इसे कूट पीस कर ब्लेंडर में पानी डाल कर पीस लें और छान कर पियें। गिलोय का काढ़ा में बना क्र पी सकते हैं।
क्या नहीं करें?
- गर्मी में बाहर से आकर तुरन्त ठंडा पानी नहीं पियें।
- गर्मी में बाहर से आ कर तुरंत नहीं नहाएं।
- बारिश हो रही है तो बारिश में नहीं नहायें।