अमरसुंदरी रस के फायदे, नुकसान और प्रयोग

अमरसुंदरी रस, 80 प्रकार के वात रोगों की जानी-मानी औषधि है। इसके अतिरिक्त इसे खांसी, सांस की बिमारियों, बवासीर, सन्निपात, पेट में अभूत वायु, मोतीझरा में भी प्रयोग किया जाता है।

अमरसुंदरी रस, एक आयुर्वेदिक रस औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। पारा एक विषाक्त धातु है और इसे आयुर्वेद में केवल सही प्रकार से शोधित कर के ही इस्तेमाल किया जाता है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इसमें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है।

अमरसुंदरी रस, 80 प्रकार के वात रोगों की जानी-मानी औषधि है। इसके अतिरिक्त इसे खांसी, सांस की बिमारियों, बवासीर, सन्निपात, पेट में अभूत वायु, मोतीझरा में भी प्रयोग किया जाता है।

Amarsundari Vati Ras is herbo mineral Ayurvedic medicine in tablet form which is used for treating various Vata rog. Vata rog are Neurological Disorders. These are diseases of the brain, spinal cord, cranial nerves, peripheral nerves, nerve roots, autonomic nervous system, neuromuscular junction, and muscles. These disorders include epilepsy, Alzheimer disease and other dementias, cerebrovascular diseases including stroke, migraine and other headache disorders, multiple sclerosis, Parkinson\’s disease, neuro infections, brain tumors, traumatic disorders of the nervous system such as brain trauma, and neurological disorders as a result of malnutrition.

This medicine is prepared from purified Mercury, purified Sulphur, Triphala and many other medicinal herbs.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

अमरसुंदरी रस के घटक | Ingredients of Amar Sundari Vati in Hindi

12 grams शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, शुंठी, पिप्पली, मारीच, आमलकी, हरीतकी, बिभीतकी, रेणुका, पिप्पलीमूल, चित्रक, त्वक, तमालपत्र, नागकेशर, इला, अकारकरभ, विडंग, मुस्ता, शुद्ध वत्सनाभ, लोह भस्म 480 grams गुड़।

शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक को मिलाकर कज्जली बना कर शुंठी, पिप्पली, मारीच, आमलकी, हरीतकी, बिभीतकी, रेणुका, पिप्पलीमूल, चित्रक, त्वक, तमालपत्र, नागकेशर, इला, अकारकरभ, विडंग, मुस्ता, शुद्ध वत्सनाभ और लोहभस्म का चूर्ण कज्जली में मिला दिया जाता है। गुड़ की चाशनी बनाकर उसमें सभी को मिलाकर चने के आकार की गोलियों बना ली जाती है। यही अमरसुंदरी रस कहलाती है।

अमरसुंदरी रस के लाभ | Benefits of Amar Sundari Vati in Hindi

  • यह वात रोगों की प्रसिद्ध औषधि है।
  • यह वातवाहिनियों पर काम कर रक्त के संचरण को सही करती है।
  • यह वात दोष को सही करती है।

अमरसुंदरी रस के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Amar Sundari Vati in Hindi

  • पक्षाघात hemiplegia
  • अर्दित, लकवा paralysis
  • उन्माद, मिर्गी hysteria, epilepsy
  • श्वास, कफ respiratory ailments
  • वात रोग diseases that occur due to vitiation of Vata
  • मोतीझरा, सन्निपात typhoid fever

सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Amar Sundari Vati in Hindi

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार लें।
  • इसे गर्म पानी के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

This medicine is manufactured by Baidyanath (Amarsundari Bati Ras), Dabur (Amarsundari Gutika), and many other Ayurvedic pharmacies.

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