अणु तेल के नस्य लेने से आँख, नाक, कान, आदि इन्द्रियाँ मजबूत होती हैं। इससे नाक में जमा कफ बाहर निकल जाता है और शरीर शुद्ध होता है। बालों का असमय सफ़ेद होना और गिरना भी दूर होता है।
अणु तैल (Anu Tailam) एक आयुर्वेदिक तेल है जिसे नस्य के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे चन्दन, अगर, तेजपत्र, दारुहल्दी, मुलेठी, बला, विडंग, खास, मोठा, सारिवा, बकरी का दूध, तिल तेल समेह २८ घटकों को मिलाकार बनाया गया है। यह तेल शरीर के सूक्ष्म अणुओं तक पहुँच जाता है इसलिए इसे \’अणु तेल\’ कहा जाता है। नस्य कर्म में दवा को नासिका या नाक के छिद्रों द्वारा शरीर में डाला जाता है।
अणु तेल के नस्य लेने से आँख, नाक, कान, आदि इन्द्रियाँ मजबूत होती हैं। इससे नाक में जमा कफ बाहर निकल जाता है और शरीर शुद्ध होता है। बालों का असमय सफ़ेद होना और गिरना भी दूर होता है। इसका प्रयोग गले को साफ़ करता है आवाज़ को साफ़ करता है। अणु तेल के विधिपूर्वक नस्य करने से सिर में दर्द, हनुस्तम्भ lock jaw, पीनस chronic coryza, अर्दित facial paralysis आदि दूर होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है की अणु तेल की बूंदे, शीत ऋतु में रोज़ तीन बार, एक सप्ताह के लिए डालनी चाहिए।
Anu taila is an Ayurvedic medicated oil used for prevention and treatment of various disorders of head, eyes, nose, ears, throat and hair. It is used for Nasya Karma. Anu taila strengthens the neck, shoulder, chest muscles and improves the capacity of sense organs. It removes toxins and congestion from head. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
अणु तैल के घटक | Ingredients of Anu Taila in Hindi
- जीवंती Leptadenia reticulata Rt. 28 g
- जला (Hrivera) Coleus vettiveroides Rt. 28 g
- देवदारु Cedrus deodara Ht. Wd. 28 g
- जलदा (मोथा) Cyperus rotundus Rz. 28 g
- त्वक Cinnamomum zeylanicum St. Bk. 28 g
- सेव्य (उशिरा ) Vetiveria zizanioides Rt. 28 g
- गोपी (श्वेता सारिवा ) Hemidesmus indicus Rt. 28 g
- हिमा (श्वेता चंदन ) Santalum album Ht. Wd. 28 g
- दर्वी (दारुहरिद्रा ) Berberis aristata St. 28 g
- मधुका (यष्टि ) Glycyrrhiza glabra Rt. 28 g
- पलवा (कैवर्त मोथा) Cyperus scariosus Rz. 28 g
- अगरु Aquilaria agallocha Ht. Wd. 28 g
- वारी (शतावरी ) Asparagus racemosus Rt. 28 g
- पन्द्रहवां (प्रपौण्डरीका ) Nelumbo nucifera Fl. 28 g
- बिल्व Aegle marmelos Rt.∗/ St. Bk. 28 g
- उत्पल Nymphaea stellata Fl. 28 g
- बृहती Solanum indicum Pl. 28 g
- कंटकारी Solanum surratense (= S. xanthocarpum) Pl. 28 g
- सुरभि (रसना ) Pluchea lancolata [Alpinia officinarum (Official Substitute)] Rt.*/ Lf. 28 g
- शालपर्णी Desmodium gangeticum Pl. 28 g
- पृश्निपर्णी Uraria picta Pl. 28 g
- क्रीमिहारा (विडंगा ) Embelia ribes Fr. 28 g
- पत्र (त्वकपत्र ) Cinnamomum tamala Lf. 28 g
- त्रुटि (सूक्ष्मैला ) Elettaria cardamomum Sd. 28 g
- रेणुका Vitex negundo Sd. 28 g
- कमलाकिंजल्का (कमल ) Nelumbo nucifera Adr. 28 g
- जल for decoction Potable Water – 76.800 l reduced to 7.680 l
- Drugs 1-24 for Kalka 192 g
- तैल (तिल तैल ) Sesame oil – 768 g
- अजादुग्ध Goat milk – 768 ml
अणु तैल के लाभ | Benefits of Anu Taila in Hindi
- यह आँख, नाक, कान इन्द्रियों की शक्ति में वृद्धि करता है।
- इससे सिर के बाल, मूछ, दाढ़ी के बाल सफ़ेद नहीं होते।
- यह त्वचा को अच्छा वर्ण देता है।
- यह नसों, शिराओं, को बलवान करता है।
- यह नाक की सूजन को दूर करता है।
- यह शरीर के चैनलों यानी स्रोतों में रुकावट को साफ करता है।
- यह सिर, गर्दन और गले क्षेत्र से अतिरिक्त कफ को निकालता है।
- यह गर्दन, कंधे और छाती की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- यह चेहरे पर असमय होने वाली झुर्रियों को रोकता है।
अणु तैल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Anu Taila in Hindi
यह तेल नसों को ताकत देता है और सिर तथा नाक के बहुत से रोगों में लाभ करता है। यह माइग्रेन, सिर दर्द, मुंह के लकवा, नाक में सूजन, गले में जकड़न आदि में लाभकारी है।
- सिर और गर्दन के रोग Diseases of head and neck
- क्रोनिक साइनुसाइटिस Chronic sinusitis, सर्दी, खांसी
- नाक में सूजन, गले में जलन या खुजली
- नाक में रुकावट, गंध न आनस, नाक से पानी निकलना
- Allergic Rhinitis
- चेहरे का पक्षाघात Facial paralysis
- सिरदर्द, माइग्रेन
- बाल गिरने, समय से पहले बाल सफ़ेद होना
- गर्दन की अकड़न Stiffness of neck
- कंधे में दर्द और जकड़न
- कंधे की दुर्बलता, छाती की मांसपेशियों की दुर्बलता
- त्वचा सूखापन, स्नायु रोग
अणु तेल की प्रयोग विधि | Direction to use Anu Tailam in Hindi
सबसे पहले उठ कर नित्यकर्म से निवृत हो कर, सिर, माथे, नाक का अच्छे से तेल से स्नेहन और फिर स्वेदन करें। उसके बाद बिस्तर पर लेट कर या कुर्सी पर सिर टिका कर सर थोड़ा टेढ़ा करें जिससे नासिका में तेल डाला जा सके। अब अणु तेल की २-३ बूंदे रुई के फाहे में लेकर नाक में डालें। जब एक नाक में तेल डालें तो दूसरी नाक बंद रखें। सांस ऊपर की ओर खींचे। दोनों ही नाक में इस प्रकार तेल डालें और जो भी कफ आदि गले में इकट्ठा हो उसे थूक दें। तेल डालने के बाद किसी से के द्वारा हाथ, तलवों, आदि की मालिश भी करवाएं।
रोगों को रोकने के लिए और अधिक सर्दी या अधिक गर्मी न होने पर, कफ होने पर नस्य सुबह लिया जाना चाहिए। सर्दियों में इसे दोपहर में और गर्मी में दोनों समय किया जाना चाहिए।
वात के कारण होने वाले सिर के रोगों में, हिचकी, गला बैठना आदि में नस्य सुबह-शाम किया जाना चाहिए।
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
This medicine is manufactured by Shriji Herbal Products (Anu oil), Rajah Ayurveda (Anuthailam), Kerala Ayurveda (Anu Thailam), Vaidyaratnam or AVS Kottakal (Anutailam), Arya Vaidya Pharmacy AVP (Anu Thailam), Nagarjuna (Anu Thailam), Ayurveda Rasasala (Anu Taila), Sri Sri Ayurveda (Anu Taila) and many other Ayurvedic pharmacies.
अनु तेल के उपयोग से छाले का उभरना , कारन समझ नहीं आया …मेरा मार्ग दर्शन करें
Ji lena band kar den
नुक़्सानिसके उपयोग के 2-3 दिन में मेरे गले में छाले उभर आये है , क्या मुझे इसका उपयोग बंद करना चाहिए ,