यह तीक्ष्ण, उष्ण होने के कारण शरीर से कफ को दूर करती है और लंग्स को साफ़ करती है। इसको गोमूत्र के साथ मिला कर लेप करने से श्वेत को नष्ट करती है।
अपामार्ग से तैयार क्षार को अपामार्ग क्षार कहा जाता है। इसमें पोटाश काफी मात्रा में होता और इसे बाहरी और आतंरिक दोनों रूपों में औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। अपामार्ग का वानस्पतिक नाम अकाईरंथेस अस्पेरा Achyranthes aspera है।
आयुर्वेद में, क्षार कल्पना में पौधों की भस्म बना कर उनसे क्षार बनाने की विधि वर्णित है। क्षार बनाने के लिए वह पौधे जिनमें क्षार या अल्कली मौजूद होता है, को प्रयोग किया जाता है जैसे की पाटल, कुटज, अर्क, करंज, अडूसा, इमली, पुनर्नवा, यव, धतूरा, पीपल, पलास, अपामार्ग आदि। क्षारों में विरेचक, मूत्रवर्धक और एंटासिड गुण होते है।
अपामार्ग क्षार में तीक्ष्ण (sharp), उष्ण (hot), पिच्च्ला (slimy), सलक्षण (smooth), शूल-हर (pain relieving) गुण पाए जाते हैं। यह सांस रोगों, कफ, दर्द और कान रोगों का नाशक है। यह तीक्ष्ण, उष्ण होने के कारण शरीर से कफ को दूर करती है और लंग्स को साफ़ करती है। इसको गोमूत्र के साथ मिला कर लेप करने से श्वेत को नष्ट करती है।
अपामार्ग क्षार के घटक | Apamarga Kshara Ingredients in Hindi
- अपामार्ग 1 भाग
- जल पानी 6 भाग
अपामार्ग क्षार का वर्णन
बारीक पाउडर, पानी सोखने वाला hygroscopic, हलकी गंध और नमकीन स्वाद; पानी में घुलनशील।
- 10% जलीय घोल का pH = 10 से 11;
- पोटेशियम: कम से कम 29 फीसदी;
- सोडियम: कम से कम 4 प्रतिशत तक;
- लोहा: कम से कम 1.2 फीसदी;
- भंडारण: एक एयरटाइट कंटेनर में बंद कर, प्रकाश और नमी से दूर रखें।
अपामार्ग क्षार का चिकित्सकीय उपयोग | Therapeutic uses of Apamarga Ksara in Hindi
- अपामार्ग क्षार, बाह्य और आंतरिक रूप से प्रयोग किया जाता है।
- यह श्वसन रोगों में शहद के साथ दिया जाता है।
- तिल का तेल (Apamarga Kshar Taila) के साथ इसे कर्ण पूरन, कान के विकारों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
- गैस और पेट दर्द के मामले में, यह त्रिकटू Trikatu और यवनी चूर्ण Yavani churna के साथ संयोजन में दिया जाता है।
- प्लीहा रोग और गुल्म Gulma में इसे सेंधा नमक के साथ दिया जाता है।
- शिव्त्र leucoderma/Shivtr/सफ़ेद दाग़, बराबर भाग में अपामार्ग क्षार और गोमूत्र से शोधित मन्शिला में मिला कर बाह्य रूप से लगाया जाता है।
- गुल्म Gulma (abdominal lump)
- पेट में दर्द (pain in the abdomen)
- ग्रहणी (malabsorption syndrome)
- विसूचिका (gastro-enteritis with piercing pain)
- अजीर्ण (dyspepsia)
- अरुचि (tastelessness)
- अनाह (distention of abdomen due to obstruction to passage of urine and stool)
- अर्श (piles)
- भगंदर (fistula in ano)
- शर्करा (gravel in urine)
- अश्मरी (calculus)
- कृमि (helminthiasis)
- अंतरवृध्धि (hernia)
- श्वास (asthma)
- सफ़ेद दाग
अपामार्ग क्षार की खुराक | How to tale Apamarg Kshar in Hindi
यह दवा चिकित्सक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत ही ली जानी चाहिए। एक दिन में ली जानी वाली मात्रा 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम है। इसे मधु, गुलबनस्फा शरबत, मुलेठी शरबत, द्राक्षासव, आदि के साथ लेना चाहिए।
कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति, बीमारी, और दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
अपामार्ग का क्षार बनाने की सरल विधि बताए
As per my experience, the ash of the leaves( 2gram with honey) is very effective in curing cold and whooping cough.