रस का प्रयोग शरीर से कफदोष और पित्तदोष, मेदवृद्धि और मन्दाग्नि को नष्ट करता है।
अर्धांगवातारि रस आयुर्वेद की एक रस औषधि है। रस औषधि का मुख्य घटक रस या पारा होता है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। पारा एक विषाक्त धातु है और इसे आयुर्वेद में केवल सही प्रकार से शोधित कर के ही इस्तेमाल किया जाता है।
रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इसमें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है। अर्धांगवातारि रस को अर्धांगघात या hemiplegia के उपचार में दिया जाता है। अर्धांगघात या आधे शरीर के पक्षागात के कारण शरीर का आधा हिस्सा प्रभावित हो जाता है।
अर्धांगवातारि रस का प्रयोग शरीर से कफदोष और पित्तदोष, मेदवृद्धि और मन्दाग्नि को नष्ट करता है। यह दवा तीक्ष्ण और गर्म होने के कारण वातवाहिनियों और रक्तवाहिनियों में जमें कफ और मेद को हटाकर उनके सही तरीके से काम करने में सहयोग करती है।
Ardhang Vatari Ras is a herbomineral Ayurvedic medicine।It is indicated in treatment of Ardhagvata or hemiplegia. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.
अर्धांगवातारि रस के घटक | Ingredients of Ardhang Vatari Ras in Hindi
शुद्ध पारद 240 grams, शुद्ध गंधक 240 grams, ताम्र भस्म 48 grams
भावना द्रव्य जम्बीर नींबू का रस
अर्धांगवातारि रस के लाभ | Benefits of Ardhang Vatari Ras in Hindi
अर्धांगवातारि रस का प्रयोग शरीर से कफदोष और पित्तदोष, मेदवृद्धि और मन्दाग्नि को नष्ट करता है।
यह दवा तीक्ष्ण और गर्म होने के कारण वातवाहिनियों और रक्तवाहिनियों में जमें कफ और मेद को हटाकर उनके सही तरीके से काम करने में सहयोग करती है।
अर्धांगवातारि रस के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Ardhang Vatari Ras in Hindi
अर्धांगघात या hemiplegia
सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Ardhang Vatari Ras in Hindi
125-250 mg, आधा ग्राम त्रिकटु चूर्ण और शहद के साथ या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है.