अर्जुनारिष्ट एक हर्बल आयुर्वेदिक दवा है। इसे अर्जुन की छाल, द्राक्षा और मधुप पुष्प के काढ़े को फेर्मेंट करके तैयार किया गया है। यह हृदय के लिए अत्यंत हितकारी है। यह कान्तिजनक, और बलदायक औषध है।
Arjunarishta is a polyherbal Ayurvedic formulation. This medicine is useful in treatment of cardiovascular diseases, weakness of heart, palpitation, lung diseases and bleeding disorders. It is excellent for heart and Liver diseases, significantly effective on cardio-vascular system.
Here information is given about complete list of ingredients, properties, uses and dosage of this medicine in Hindi language.
अर्जुनारिष्ट एक हर्बल आयुर्वेदिक दवा है। इसे अर्जुन की छाल, द्राक्षा और मधुप पुष्प के काढ़े को फेर्मेंट करके तैयार किया गया है।
अर्जुनारिष्ट का मुख्य संघटक \’अर्जुन\’ पेड़ की छाल है। यह एक उत्कृष्ट हृदय का टॉनिक है। यह दिल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और दिल के काम करने को सही करता है। यह हृदय के विकारों में और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। यह रक्तस्तंभक है और रक्त प्रदर और रक्त अतिसार में भी उपयोगी है।
नीचे इस दवा के घटक, गुण, सेवनविधि, और मात्रा के बारे में जानकारी दी गयी है।
- पर्याय: पार्थद्यरिष्ट Parthadyarishta
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
- दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक आसव-अरिष्ट
- मुख्य उपयोग: हृदय रोग
- मुख्य गुण: हृदय को बल देना
अर्जुनारिष्ट के घटक | Ingredients of Arjunarishta in Hindi
- अर्जुन छाल Partha (Arjuna) Terminalia arjuna St. Bk. 4.8 kg
- द्राक्षा Mridvika (Draksha) Vitis vinifera Fr. 2.4 kg
- महुआ Madhupushpa (Madhuka) Madhuca indica Fl. 960 g
- पानी Jala for decoction Water 49.152 liter reduced to 12.288 liter
- धातकी Dhataki Woodfordia fruticosa Fl. 960 g
- गुड़ Guda Jaggery 4.8 kg
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि | Arjunarishta kaise banayen in Hindi
पहले अर्जुन की छाल के टुकड़े, मुनक्का, मधुप पुष्प और पानी मिला कर काढ़ा तैयार करें। काढ़ा बनने पर उसमें धाय के फूल और गुड़ डाल दें। इसे चिकने पात्र में दाल कर सन्धान करें. एक महीने बाद छान कर इस्तेमाल करें।
मुख्य घटक अर्जुन
अर्जुन की छाल, कषाय, शीतवीर्य, दर्द दूर करने वाली, कफ, पित्त को कम करने वाली औषध है। यह मेद को कम करती है। यह हृदय के लिए अत्यंत हितकारी है। यह कान्तिजनक, और बलदायक औषध है। अर्जुन की छाल, हृदय रोग, विषबाधा, रक्त विकार, कफ-पित्त दोष, और बहुत भूख और प्यास लगने के रोग में प्रयोग की जाती है।
स्वाद में कषाय, गुण में रूखा करने वाला और लघु है। स्वभाव से यह शीतल है और कटु विपाक है। यह कषाय रस औषधि है। यह कफ-पित्त रोगों में बहुत लाभप्रद होता है।
- रस (taste on tongue): कषाय
- गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
- वीर्य (Potency): शीत
- विपाक (transformed state after digestion): कटु
- कर्म:
- हृदय: हृदय के लिए लाभकारी
- रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
- रक्तपित्तशामक: रक्तपित्त bleeding disorders को दूर करने वाला।
- प्रमेहनाशक: मूत्र रोग / प्रमेह में लाभप्रद।
- कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
- पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष पित्तदोषनिवारक हो।
- शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
- विषहर : द्रव्य जो विष के प्रभाव को दूर करे।
- शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
- प्रभाव: हृदय के लिए टॉनिक
यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत।
शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।
द्राक्षा सूखे हुए अंगूर को कहते है। यह बहुत पौष्टिक, मीठे, विरेचक, रक्तवर्धक , कूलिंग और कफ ढीला करने वाले होते हैं । आयुर्वेद में मुख्य रूप से इन्हें खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गठिया, पीलिया, प्यास, शरीर, खांसी, स्वर बैठना और सामान्य दुर्बलता आदि को दूरकरने के लिए प्रयोग किया जाता है। द्राक्षा को आँखों और आवाज़ के लिए अच्छा माना गया है। यह शरीर में वायु और पित्त को कम करते हैं। यह तासीर में ठन्डे होते हैं और शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों जैसे की हाथ-पैर में जलन, नाक से खून गिरना, आदि में विशेष रूप से फायदेमंद हैं। द्राक्षा में कब्ज़, अग्निमांद्य, अधिक प्यास लगना, पेट में दर्द, खून की कमी, और वातरक्त को भी नष्ट करने के गुण हैं।
अर्जुनारिष्ट दवा के औषधीय कर्म
- एनाल्जेसिक: Analgesic दर्द में राहत
- एंटीइन्फ्लेमेटरी: Anti-inflammatory सूजन को कम करना
- आक्षेपनाशक: Antispasmodic अनैच्छिक पेशी की ऐंठन से राहत देना
- ह्रदय की रक्षा करना: Cardioprotective
- पित्तहर: पित्त दोष को संतुलित करना
- कफहर: कफ दोष को संतुलित करना
- रक्तस्तंभक: Styptic
अर्जुनारिष्ट के लाभ / फ़ायदे | Benefits of Arjunarishta in Hindi
- यह हृदय के लिए टॉनिक है।
- यह हृदय को बचाता है।
- यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है ।
- यह रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियमित करता है।
- यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
- यह शरीर को ठंडक देता है।
अर्जुनारिष्ट के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Arjunarishta in Hindi
- सभी हृदय और फेफड़े संबंधी विकार
- दिल की धड़कन Heart palpitation
- रोगक्षमता की हानि Loss of immunity
- फेफड़े संबंधी विकार pulmonary disorders
- दिल की कमजोरी Weakness of heart
- अस्थमा Asthma
- अत्यधिक पसीना Excessive sweating
- मुंह का सूखापन Mouth dryness
- गतिशील शुक्राणु की वीर्य में अनुपस्थिति Azoospermia
- अनिद्रा Insomnia
- उच्च रक्तचाप Hypertension
अर्जुनारिष्ट की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Arjunarishta in Hindi
- यह आयुर्वेद का अरिष्ट है और इसे लेने की मात्रा 12-24 मिलीलीटर है।
- दवा को पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए।
- इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद लें।
- इसे भोजन के 30 मिनट में बाद, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इस दवा को 3 महीने या उससे अधिक समय तक लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
अर्जुनारिष्ट की सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi
- इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
- बताई गई मात्रा में लेने से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
- गर्भावस्था में किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर से बिना पूछे न करें।
उपलब्धता
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- बैद्यनाथ Baidyanath Arjunarishta प्राइस: 680 ml @ Rs. 164.00; 450 ml @ Rs. 120.00; 225 ml @ Rs.73.00
- डाबर Dabur Arjunarishta, 450 ml @ Rs. 120.00
- झंडू Zandu Arjunadyarishta Price: 450 ml @ Rs. 110.00
- सन्डू Sandu Arjunarishta
- पतंजलि Divya Pharmacy Arjunarishta 500 ml @ Rs. 80.00. इत्यादि।
Diabetic can be use arjinarishta or noy
sar mera dharkan hamesa tej me dharkta rahta hai or hat kapta hai or mai ghabraya sa rahta hu mujhe acha salah ya doctor ko bataye
I am is very confident for this medition.
I AM SUFFERING FROM INDIGESTION, POOR DIGESATION FROM 5 YEARS AND RHEMUTIOD ATHORITIES FOR 2 YEARS. PL.GIVE US PROPER ADVISE.
Please consult a good Ayurvedic doctor
बहुत ही उपयोगी सुझाव और जानकारियाँ मिल रही हैं । धन्यवाद ।