आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

क्योंकि यह आरोग्य (बिना रोग) का वर्धन (बढ़ाती) करती है इसलिए आरोग्य वर्धिनी कहलाती है। आरोग्यवर्धिनी वटी, को आरोग्यवर्धिनी गुटिका, आरोग्यवर्धिनी रस और केवल आरोग्यवर्धिनी के नाम से भी जाना जाता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी को सैकड़ों साल से लीवर-तिल्ली के रोगों, पीलिया, त्वचा रोगों, कृमि, मूत्राशय, गुर्दे, गर्भाशय, आंत, हृदय, जीर्ण ज्वर, जलोदर, पीलिया आदि के इलाज में प्रयोग किया जाता रहा है। इसे कुटकी, त्रिफला, शिलाजीत, गुग्गुलु, नीम, एरंड, पारद, गंधक, तथा लोहे, अभ्रक, ताम्बे की भस्म मिला कर बनाया गया है।

क्योंकि यह आरोग्य (बिना रोग) का वर्धन (बढ़ाती) करती है इसलिए आरोग्य वर्धिनी कहलाती है। आरोग्यवर्धिनी वटी, को आरोग्यवर्धिनी गुटिका, आरोग्यवर्धिनी रस और केवल आरोग्यवर्धिनी के नाम से भी जाना जाता है।

एक आयुर्वेदिक रस-औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है।

रस औषधियों के निर्माण में शुद्ध पारे और शुद्ध गंधक को मिलाकर पहले कज्जली बनायी जाती है जो की काले रंग की होती है। रासायनिक रूप से कज्जली, ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ मरक्युरी है। कज्जली को रसायन माना गया है जो की त्रिदोष को संतुलित करती है। यदि इसे अन्य उपयुक्त घटकों के साथ मिलाकर दवा बनाई जाती है तो यह लगभग हर रोग को दूर कर सकती है। कज्जली वाजीकारक, रसायन, योगवाही है।

जब यकृत सही से काम नहीं करता तब पाचन की विकृति, खून न बनने, लीवर रोग होने पर शरीर पीला लगता है ऐसे में इस दवा का सेवन शरीर को आरोग्य देता है। यह लीवर फंक्शन को सही करती है इसके सेवन से कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड लेवल, LDL लेवल कम होता है।

आरोग्यवर्धिनी आंतों से विषाक्तता बाहर करती है। यह पाचक पित्त (अग्नि) का उत्पादन करती है और यकृत को स्वस्थ करती है। यह रसायन, दीपन, पाचन, शरीर से गन्दगी निकलने वाली, हृदय, यकृत, आँतों को बल देने वाली, शरीर से फैट कम करने वाली और मल को साफ़ करने वाली दवा है। यह शरीर से कृमि, गन्दगी, आँतों की विकृति, रक्त की विकृती को दूर कर त्वचा रोगों में लाभ देती है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ा कर मोटापे को दूर करती है। है हृदय की दुर्बलता को दूर करती है। आरोग्यवर्धिनी आंतो में रुके मल को दूर करती है और भूख को बढाती है। यह किडनी के रोगों, मूत्र दोषों, को दूर करती है।

Arogyavardhini Vati Ras is herbo-mineral-metallic Ayurvedic medicine. It is an excellent medicine to treat diseases of liver. It acts as a stimulant to the liver. Arogyavardhini cures diseases of skin such as leucoderma, itching etc. due to its purifying properties. It removes toxins from body. It is a tonic drug that promotes health and hence called Arogya (good health) Vardhani (promoter). Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक रसरत्नसमुच्चय, विसर्पादिचिकित्सा | Ingredients of Arogyavardhini Vati Ras in Hindi

  • रस Rasa (Parada) Shuddha 1 Part
  • गंधक Gandhaka Shuddha 1 Part
  • लोहा भस्म Lauha bhasma 1 Part
  • अभ्र Abhra (Abhraka) bhasma 1 Part
  • ताम्र भस्म Shulva (Tamra)-bhasma 1 Part
  • हरीतकी Haritaki (P.) 2 Parts
  • विभितकी Bibhitaka (P.) 2 Parts
  • आमलकी Amalaki (P.) 2 Parts
  • शुद्ध शिलाजीत Shilajatu Shuddha 3 Parts
  • गुग्गुलु Pura (Guggulu) Shuddha 4 Parts
  • एरंड Citra (Eranda) (Rt.) 4 Parts
  • कटुका Tikta (Katuka) (Rt./Rz.) 22 Parts
  • नीम की पत्ती का रस Nimba vriksha dalambha (Nimba) svarasa (Lf.) Q.S. (for mardana) two days

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे | Benefits of Arogyavardhini Vati in Hindi

  • यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों, जैसे की लीवर, किडनी, हृदय, आँतों आदि के लिए टॉनिक है।
  • यह वात और कफ दोष को संतुलित करती है।
  • यह वात-कफ प्रधान त्वचा रोगों में जल्दी लाभ करती है।
  • यह शरीर में फ्री रेडिकल का बनना कम करती है।
  • यह लीवर के लिए अत्यंत उत्तम रसायन है।
  • यह लीवर फंक्शन को सही करती है।
  • यह लीवर की रक्षा करती है।
  • यह फैटी लीवर और पूरे शरीर में ज्यादा फैट को कम करती है।
  • यह शरीर में लिपिड लेवल (सीरम टोटल कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लीसराईड्स) को कम करती है।
  • यह LDL लेवल को कम करती है जबकि HDL को बढ़ाती है।
  • यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
  • यह आँतों को ताकत देती है और कब्ज़ को दूर करती है।
  • यह शरीर की हर धातु को पोषित करती है और ओज की वृद्धि करती है।
  • इसके सेवन से पाचन, अवशोषण और उत्सर्जन सही होता है।
  • यह वज़न कम करने और फैटी लीवर की समस्या में उपयोगी है।
  • अंत: स्रावी ग्रंथियों के ठीक काम न करने से जब शरीर में होर्मोनेस सही से नहीं बन पाते तो पुरुषों / महिलाओं में यौन अंगों का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। ऐसे में लम्बे समय तक इस दवा का सेवन लाभ देता है।
  • इसके सेवन से आरोग्य का वर्धन होता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Arogyavardhini Vati in Hindi

  • यकृत-विकार / लीवर डिसीज़ पीलिया, सिरोसिस, Yakritvikara (Disorder of liver) liver cirrhosis, fatty liver, liver enlargement, hepatitis, jaundice etc.
  • सभी प्रकार के इन्फेक्शन
  • पुराना बुखार / क्रोनिक फीवर Jirnajvara (Chronic fever)
  • वात-पित्त-कफ दोषों के कारन उत्पन्न बुखार
  • अपच से बुखार
  • पित्त की विकृति से बुखार
  • पुराना अपच Chronic indigestion
  • कब्ज़, सारे शरीर में सूजन
  • शरीर में खून की कमी, आँतों की कठोरता
  • मेदोदोष Medodosha (Disorder of adipose tissue)
  • कुष्ठ Kushtha (Diseases of skin)
  • चमड़ी के रोग, खुजली, रैशेस, मवाद वाले चक्खते, त्वचा की कठोरता-रूखापन, मवाद बहना
  • उदर रोग
  • सूजन edema मोटापा

आरोग्यवर्धिनी वटी की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Arogyavardhini Vati in Hindi

  • 250 से 500 mg, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे ज़रूरत के अनुसार ४-६ महीने तक लिया जा सकता है।
  • इसे पुनार्नावादी क्वाथ / पुनर्नवा क्वाथ / दशमूल क्वाथ / त्रिफला के पानी / पानी / दूध के साथ लें।
  • इस दवा को रोगानुसार अनुपान के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
  • इसे गर्भावस्था, शरीर में जलन, पित्त की अधिकता, भ्रम आदि में न लें।
  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

Ayurvedic medicines containing detoxified, toxic material/ poisonous substances, heavy metals should be taken under medical supervision.

You can buy this medicine online or from medical stores.

This medicine is manufactured by Baidyanath (Arogyawardhini Bati), Ayurveda Rasashala (Arogyavardhini Vati), Prince Pharma (Arogya Vardhni Vati), Dabur (Dabur Arogyavardhini Gutika (Ras)), Rasashram Pharmacy (Arogya Vardhani Vati), Sandu (Arogyavardhini Gutika), Zandu (Arogyavardhini Gutika), Patanjali Divya Pharmacy (Divya Arogyavardhini Vati), Shri Dhootapapeshwar Limited (Arogyavardhani), Satveda (Arogya Vardhini Vati), and many other Ayurvedic pharmacies.

10 thoughts on “आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

  1. I just start this vati since 10 days.
    My friend told me that it helps for my liver and lipid problem.
    And i hope it will be.

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