अरसोल कैप्सूल के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

अरसोल कैप्सूल (Arsol Capsule), बन लैब्स द्वारा निर्मित एक प्रोप्राइटरी हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है तथा इसे पाइल्स की समस्या में इस्तेमाल किया जाता है। पाइल्स जिसे बवासीर और अर्श भी कहते हैं, में मलाशय के आसपास की रक्त वाहिकाएं जोर पड़ने से खिंच कर सूज जाती है। यह फूली हुई शिराएँ ही हेमेरोइड्स या मस्से हैं।

यह मुख्य रूप से कब्ज़ और पेट का रोग है। लगातार रहने वाला कब्ज़ से मलाशय में घाव हो सकता है और कब्ज़ से आराम पाने के लिए खाए गए जुलाब से मलाशय की दीवारे कमजोर हो जाती है। इन सबसे शिराएँ सूज जाती है और म्यूकस झिल्ली में खून भर जाता है।

बवासीर का सबसे प्रमुख लक्षण है शौच के दौरान दर्द या दर्द व खून जाना। इसका इलाज़ जटिल होता है। क्योंकि जब तक कब्ज़ और कारणों को दूर नहीं कर दिया जाता तब तक यह बार-बार होता रहता है। सर्जरी के बाद भी इसके होने के आसार बने रहते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Arsol Capsule from BAN labs, is an herbal remedy to get relief from piles. Piles is a difficult to treat disease. With the use of proper diet and appropriate lifestyle the risk factors can be reduced.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुरानी कब्ज़, बवासीर / पाइल्स अथवा अर्श
  • मुख्य गुण: विरेचन, एंटीसेप्टिक, पाइल्स के लक्षणों में आराम देना
  • मूल्य MRP:अरसोल के 10 कैप्सूल की कीमत 39.70 रुपए है.

अरसोल कैप्सूल के घटक | Ingredients of Arsol Capsule in Hindi

प्रत्येक कैप्सूल में:

  • अतीस Atish (Aconitum Heterophyllum) Ext 160 mg
  • सूरण Suran Kand (Amorphophallus Campanulatus) Ext 160 mg
  • रीठे की छाल Reetha Chhal (Sapindus Trifoliatus) 32 mg
  • रसोंत Rasot (Berberis Aristata) 16 mg
  • एलो वेरा Ghee Kunvar (Aloe Vera) 8 mg
  • वंश लोचन Vans Kapur (Bambusa Arundinacea) 8 mg
  • सनाए पट्टी Sonay (Cassia Angustifolia) 8 mg
  • सौंफ Saunf (Foenniculum Vulveri) 8 mg

जाने दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों को

अतीस पित्त वर्धक है और पाचन को सही करने वाली औषध है। अतीस रस में कटु, तिक्त है। गुण में लघु और रूक्ष है। तासीर में यह गर्म और कटु विपाक है। कर्म में यह भेदी, दीपन, पाचन, कफहर, वातदोषहर है।

जिमीकन्द, सूरण, कन्द, ओल, ओला, कांदल, अर्शोघ्न Sooran, Zamikand, Jimikand आदि सूरन के नाम हैं। पूरे भारत में इसे एक सब्जी के रूप पकाकर खाया जाता है।

यह फाइबर युक्त होता है और पुराने कब्ज़ और पाइल्स में लाभ करता है। आयुर्वेद में तो इसे अर्शोघ्न नाम दिया गया है है जिसका अर्थ होता है, अर्श अथवा पाइल्स को नष्ट करने वाला।

बवासीर के अतिरिक्त इसे ब्रोंकाइटिस, दमा, खांसी, अपच, पेट में दर्द, फ़ीलपाँव, त्वचा और रक्त रोग, नालव्रण, गर्दन की ग्रंथियों में सूजन, मूत्र रोगों और जलोदर के उपचार में एक दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह यकृत रोगों में विशेष रूप से उपयोगीहै। पुरानी कब्ज और बवासीर के रोगियों के लिए यह एक अच्छी सब्जी है।

दारुहल्दी के काढ़े को बहुत पकाने पर रसोंत बनती है। रसोंत Rasont or Rasaunt or Rasanjana / Rasanjana, Rasobhuta, Tarksa saila, varsika and Rasagry को दारुहल्दी के तने की छाल और जड़ से बनाया जाता है। इसे बहुत से रोगों में घरेलू उपचार के रूप में पुराने समय से लोग प्रयोग करते रहे हैं। यह रस में मधुर, गुण में लघु, रूक्ष, तथा वीर्य में शीत है। यह कटु विपाक है तथा अरुचि दूर करने वाली है। यह पित्तशामक है और विषतम्भी है।

रसोंत को रक्तार्श, आँखों के रोगों, चमड़ी के रोगों, अल्सर, पीलिया, यकृत-तिल्ली की वृद्धि आदि में प्रयोग करने से लाभ होता है। ब्लीडिंग पाइल्स जिसे रक्तार्श भी कहते हैं, में इसे बाह्य रूप से प्रभावित स्थान को धोने के लिए भी प्रयोग करते हैं। आंतरिक रूप से सेवन पर है यह शरीर में सूजन कम करती है। लीवर के रोगों में इसे यह लाभप्रद है। नीम और हल्दी की ही तरह यह भी शरीर से गंदगी दूर करती है।

कुमारी, घृत कुमारी, ग्वारपाठा, एलो वेरा का नाम है। रस में यह मधुर-तिक्त, गुण में गुरु, स्निग्ध, पिच्छल, वीर्य में शीत और विपाक में कटु है। यह त्रिदोषहर, शोथहर, वृष्य, और व्रण रोपण है। यह पेट के रोगों, यकृत / लीवर के विकारों, गुल्म समेत प्लीहा और यकृत वृद्धि में लाभप्रद है।

अरसोल कैप्सूल के मुख्य गुणधर्म | Medicinal Properties in Hindi

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  • रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  • शोधक: द्रव्य जो शरीर की गंदगी को मुख द्वारा या मलद्वार से बाहर निकाल दे।
  • विरेचक: इसके सेवन से मलत्याग में आसानी होती है तथा ये मलाशय की सफाई करने का काम करती है।
  • अर्शोघ्न: अर्श को दूर करने का गुण।
  • दर्दनिवारक: दर्द को दूर करने का गुण।

अरसोल कैप्सूल के लाभ / फायदे | Benefits of Arsol Capsule in Hindi

  • इस दवा में विरेचक गुण हैं।
  • यह कब्ज़ में राहत देती है।
  • यह आँतों की सूजन में लाभ करती है।
  • यह एंटीसेप्टिक है।
  • यह घावों को जल्दी ठीक करने में मदद करती है।
  • यह खून से विजातीय पदार्थों को दूर करती है।
  • यह हर्बल है और लम्बे समय तक लेने के लिए सुरक्षित है।

अरसोल कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Arsol Capsule in Hindi

  • यह दवा खूनी और बादी बवासीर में दी जाती है। इसका सेवन बवासीर में राहत देता है और बवासीर संबंधी जटिलताओं को कम करता है।
  • यह दवा अर्श की वजह से होने वाले दर्द और जलन pain, burning sensation को दूर करती है।
  • रक्तार्श bleeding piles
  • अर्श dry pile
  • अर्श के कारण दर्द, जलन complications related to piles
  • फिश्चूला / भंगदर fistula in ano
  • आँतों की सूजन inflammatory conditions of intestines
  • खून में अशुद्धियाँ toxins in blood
  • लगातार रहने वाला कब्ज़ chronic constipation

अरसोल कैप्सूल की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Arsol Capsule in Hindi

  • इसे लेने की निर्धारित मात्रा 1-2 गोलियाँ हैं।
  • सटीक मात्रा रोग की स्थिति को देख कर बताई जा सकती है।
  • इसे दिन में दो बार लेना है।
  • इसे प्रातः खाली पेट और शाम को खाने से एक घंटा पहले, पानी या छाछ के साथ लेना चाहिए।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  • इसे गर्भावस्था में नहीं लेना है।
  • इसे दस्त, पेचिश में नहीं लें।
  • इसके सेवन से पित्त बढ़ सकता है।
  • खान-पान में आवश्यक बदलाव करें।
  • सादा खाना खाएं। मिर्च-मसाले, तला भुना भोजन, जंक फूड्स, मैदे से बने पदार्थ, तथा कब्ज़ करने वाला भोजन न खाएं।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में करें।
  • बहुत अधिक समय तक बैठे न रहें।
  • कुछ न कुछ व्यायाम अवश्य करें।

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