अश्वगंधा चूर्ण के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

इसका सेवन पुरुषों में धातु को पुष्ट करता है और धातु क्षीणता, नपंसुकता impotence, शीघ्रपतन premature ejaculation, स्पर्म की कमी sperm deficiency, नसों की कमजोरी nerves weakness समेत बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है।

अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधा की जड़ को धो, सुखा, कूट और कपड़छन द्वारा बनाया जाता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा महत्वपूर्ण टॉनिक वनस्पतियों में से एक है। इसके सेवन से दुर्बलता senility, गठिया gout, सभी प्रकार की दुर्बलता weakness, नसों की दुर्बलता nerves weakness, याददाश्त में कमी memory loss, मांसपेशियों की शक्ति की हानि, और शुक्र-विकारों sperm disorders आदि दूर होते हैं।

इसका सेवन पुरुषों में धातु को पुष्ट करता है और धातु क्षीणता, नपंसुकता impotence, शीघ्रपतन premature ejaculation, स्पर्म की कमी sperm deficiency, नसों की कमजोरी nerves weakness समेत बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है।

स्त्रियों में इसका सेवन स्तनपान breastfeeding कराते समय दूध की मात्रा में वृद्धि galactagogue करता है और हॉर्मोन के संतुलन में मदद करता है। इसका सेवन भ्रूण fetus को स्थिर करता है और हार्मोन पुन: बनाता है। प्रसव after delivery बाद इसका सेवन शरीर को बल देता है।

अश्वगंधा के संघटक

जड़ में कई एल्कलॉइड होते हैं जैसे की, विथानिन, विथानानाइन, सोमनाइन, सोम्निफ़ेरिन आदि। भारतीय अश्वगंधा के पत्तों में विथफेरिन A समेत 12 विथनॉलिडेस होते हैं।

विथानिन में शामक और नींद दिलाने वाला गुण है sedative and hypnotic।

विथफेरिन एक अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है।

जड़ में उपस्थित फ्री अमीनो एसिड में शामिल है: एस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसिन, टाइरोसीन शामिल एलनाइन, प्रोलाइन, ट्रीप्टोफन ,ग्लूटामिक एसिड और सीस्टीन aspartic acid, glycine, tyrosine, alanine, proline, tryptophan, glutamic acid and cysteine.

अश्वगंधा चूर्ण के आयुर्वेदिक गुण

अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है। इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है।

आचार्य सुश्रुत ने इसे किसी भी प्रकार की कमजोरी में प्रयोग किया। आचार्य चरक ने इसे बलवर्धक माना। असगंध के चूर्ण का १५ दिन तक दूध, घी से लेने पर शरीर पुष्ट हो जाता है। अश्वगंधा का १ साल तक लगातार सेवन शरीर के सारे विकारों को दूर करता है। सर्दियों में इसका प्रयोग विशेष लाभकारी है।

यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

  • रस (taste on tongue): काषाय, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु
  • वीर्य (Potency): उष्ण
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • कर्म: रसायन, वात-कफ कम करने वाली (कम मात्रा में लेने पर), बल्य, वाजीकारक, वीर्य वर्धक।

अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से फायदे | Benefits of Ashwagandha Churna in Hindi

  • अश्वगंधा का सेवन शरीर में शक्ति और ऊर्जा का संचार करता है। इसका प्रयोग मज्जा और वीर्य को मजबूत बनाता है।
  • यह एक प्रतिरक्षा बढ़ाने immune-boosting और मस्तिष्क-टॉनिक brain tonic है।
  • यह उत्तम रसायन, कामोद्दीपक aphrodisiac और फर्टिलिटी बढ़ाने वाली हर्ब है।
  • यह अवसाद दूर करने वाली शामक, और टॉनिक antidepressant, sedative, and tonic है।
  • यह वजन बढ़ाती है और प्रतिरक्षा में increases weight and improves immunity सुधार करती है।
  • यह तंत्रिका कमजोरी nervous weakness, बेहोशी fainting, चक्कर giddiness और अनिद्रा insomnia में मदद करता है।
  • पुरुषों में इसे निर्बलता, वीर्यक्षीणता, नपुंसकता, स्नानुदुर्बलता, इन्द्रिय शिथालता, और एक सेक्स टॉनिक के रूप में ३-६ ग्राम की मात्रा में खाया जाता है।
  • महिलाओं में इसका सेवन शरीर को ताकत देने के लिए, सुन्दरता बढ़ाने के लिए और प्रसव के बाद दूधवृद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • यह बच्चों में सूखा रोग के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • कम्पवात या पार्किन्सन में अश्वगंधा जड़ के पाउडर को ३-६ ग्राम की मात्रा में लिया जाता है।

अश्वगंधा चूर्ण के औषधीय प्रयोग | Medicinal Use of Ashwagandha in Hindi

अश्वगंधा का प्रयोग सामान्य दुर्बलता general debility, तंत्रिकाओं में थकावट nerve exhaustion,दर्द pain, बुजुर्गों की समस्याओं senility, यौन दुर्बलता sexual weakness, दुर्बलता debility, स्मृति हानि memory loss, मांसपेशियों की कमजोरी muscles weakness, ऊर्जा की कमी low energy, अनिद्रा insomnia, पक्षाघात paralysis, कमजोर आंखों, गठिया gout, त्वचा वेदनाओं, खांसी, सांस लेने में मुश्किल, एनीमिया anemia, थकान lethargy, बांझपन infertility, ग्रंथियों में सूजन, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं, धातु दुर्बलता आदि में प्रयोग किया जाता है।

  • बल, वीर्य वर्धक, शारीरिक दुर्बलता Improving general health
  • अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण, ५ ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
  • वात विकार (आमवात, गठिया, गैस, रेयुमेटीज्म आदि) pain in joints
  • अश्वगंधा (२ भाग) + सोंठ (१ भाग) + मिश्री (३ भाग) मिलाकर रख लें और सुबह-शाम खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
  • नींद न आना Insomina
  • असगंध का क्षीर-पाक बना कर सेवन करें। क्षीर-पाक विधि में औषधि को दूध में पकाकर प्रयोग किया जाता है।
  • असगंध का ५-१० ग्राम पाउडर, पानी (२५० ग्राम) और दूघ (२५० ग्राम) में धीमी आंच पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए तो छान कर पियें।
  • बच्चों का सूखा रोग
  • करीब २५० mg अश्वगंधा चूर्ण, घिसी हुई बादाम गिरी को दूध में मिलाकर दें।
  • कमजोरी, दुर्बलता, कम वज़न Underweight
  • ३-६ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण + मिश्री, दूध में मिलाकर पियें।
  • १०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलकर रख लें और ३ ग्राम की मात्रा में लें।
  • सफ़ेद पानी
  • २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण + १/२ ग्राम वंशलोचन के साथ मिलाकर सेवन करें।

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